सीकर में कामरेड vs बाबा की लड़ाई, अमरा राम और स्वामी सुमेधानंद में कौन पड़ रहा भारी?
नवंबर 2023 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस का इस क्षेत्र पर दबदबा रहा. पार्टी ने इस क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की जबकि बीजेपी को तीन सीटें मिली.
ADVERTISEMENT

Sikar Lok Sabha seat: राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में आने वाली सीकर लोकसभा सीट पर दिलचस्प माहौल बना हुआ है. बीजेपी ने यहां से स्वामी सुमेधानंद को अपना प्रत्याशी बनाया है वहीं उनके सामने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी(CPIM) के कॉमरेड अमरा राम मैदान में हैं. कांग्रेस ने यहां से कोई प्रत्याशी न उतारते हुए कॉमरेड अमरा राम को समर्थन देने का फैसला किया है. कांग्रेस के CPIM के समर्थन के साथ ही इस सीट का पूरा सियासी खेल फंस गया है. इस सीट पर सियासत इतनी दिलचस्प हो गई है कि, यहां से दो बार सांसद होने के बावजूद भी स्वामी सुमेधानंद अपनी जीत को लेकर सहज नहीं दिख रहे हैं. INDIA अलायंस के कॉमरेड अमरा राम वर्तमान सांसद स्वामी सुमेधानंद को जमकर चुनौती देते नजर आ रहे हैं, जिससे इस जाट बाहुल्य सीट पर यह लड़ाई हाल के वर्षों में देखी गई सबसे कठिन चुनावों में से एक बन गई है. आइए आपको बताते हैं क्या है इस सीट के चुनावी मुद्दे और सियासी समीकरण.
सीकर में इन मुद्दों पर हो रही सियासत
सीकर लोकसभा क्षेत्र असंख्य मुद्दों में के बीच उलझा हुआ है. यह क्षेत्र पूरी तरह से कृषि पर निर्भर है. यहां मुख्य रूप से बाजरा, जौ, कपास और दालों का उत्पादन होता है. वैसे यहां की प्रमुख चिंता किसानों को लेकर है. वर्तमान सरकार उनकी फसल, विशेषकर प्याज के लिए उचित मूल्य उपलब्ध नहीं करा पा रही है जिसके लिए वे सरकार को दोषी मानते है. वर्तमान सांसद स्वामी सुमेधानंद के लोकसभा क्षेत्र में न रहना भी एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. इसके साथ ही जाति समीकरण और क्षेत्रीय और बाहरी होने के मुद्दों पर भी सियासत गर्म है. दरअसल स्वामी सुमेधानंद पर हरियाणा के रोहतक के मूल निवासी होने की बात कही जा रही है वहीं इसके विपरीत उनके प्रतिद्वंद्वी अमरा राम वहां के लोकल मुद्दों पर हमेशा सक्रिय रहें हैं खासकर उन्होंने किसानों के विरोध प्रदर्शन में प्रमुख भूमिका निभाया है.
हालांकि लोकल होने और मुद्दों के मांग में भागीदार रहने के बाद भी कॉमरेड मरा राम के लिए जीत का रास्ता आसान नजर नहीं आ रहा है. इस चुनाव से पहले कई लोकसभा चुनावों में उम्मीदवारी करने के बावजूद उन्हें अभी तक एकबार भी जीत नहीं मिल सकी है. इसके साथ ही कांग्रेस के साथ गठबंधन होने के बावजूद पार्टी के काडर से उनके जटिल रिश्ते उनकी चुनावी सफलता में एक बड़ी बाधा बन सकते है.
अब जानिए सीकर का चुनावी गणित
सीकर लोकसभा सीट पर जाटों का लगभग 28 फीसदी वोट शेयर है जो इस सीट पर पूरा सियासी खेल को निर्धारित करता है. यहां मुस्लिम आबादी लगभग 10 फीसदी, राजपूत लगभग 6 फीसदी है. इस सीट पर अनुसूचित जाति की आबादी 17 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 3.5 फीसदी है. कुल मिलाकर सीकर लोकसभा सीट में 21 लाख से अधिक मतदाता हैं.
यह भी पढ़ें...
नवंबर 2023 में हुए पिछले विधानसभा चुनावों की बात करें तो कांग्रेस का इस क्षेत्र पर दबदबा रहा. पार्टी ने इस क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर जीत दर्ज की जबकि बीजेपी को तीन सीटें मिली. वैसे दिलचस्प बात ये हैं कि, केवल तीन सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी को 41.3 फीसदी वोट मिले तो वहीं पांच सीटें जीतने के बावजूद भी कांग्रेस के पास सिर्फ 40.5 फीसदी वोट शेयर मिला जो बीजेपी से कम है. वहीं अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में बीजेपी को जबरदस्त जीत मिली थी. पार्टी को 58.4 फीसदी वोट मिले वहीं प्रतिद्वंदी कांग्रेस को सिर्फ 36.1 फीसदी वोट ही मिले थे. वहीं CPIM के उम्मीदवार को सिर्फ 2.4 फीसदी वोट मिले थे. ऐसे ही 2014 के लोकसभा चुनाव में भो बीजेपी 46.8 फीसदी वोट शेयर हासिल किया, जो कांग्रेस के 24.5 फीसदी वोट से काफी ज्यादा था. इस चुनाव में CPIM के उम्मीदवार को पांच फीसदी वोट मिला था.
सीकर लोकसभा सीट पर पिछले दो बार से बीजेपी का कब्जा तो रहा है लेकिन इस बार CPIM-कांग्रेस ने सियासी गठजोड़ करके चुनाव को दिलचस्प जरूर बना दिया है. 19 अप्रैल को यहां मतदान होने है. मतगणना 4 जून को होगी तब नतीजों में ही पता चल पाएगा कि, स्वामी सुमेधानंद जीत की हैट्रिक लगाते है या कॉमरेड अमरा राम अपने सियासी जीत का स्वाद चख पाते हैं या नहीं.