चौथे फेज में यूपी के कन्नौज, कानपुर, लखीमपुर.... जैसी 5 हॉट सीटों पर किसे मिलेगी जीत? यहां समझिए
चौथे चरण में सपा का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज में भी वोटिंग हो रही है. यहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. अखिलेश यादव साल 2000, 2004 और 2009 में इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर चुके हैं.
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UP Lok Sabha Election: देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है. 13 मई यानी आज चौथे चरण में 10 राज्यों की 96 सीटों पर मतदान हो रहा है. उत्तर प्रदेश में भी 13 सीटों पर मतदान हो रहा है जो अकबरपुर, बहराईच, धौरहरा, इटावा, फर्रुखाबाद, हरदोई, कन्नौज, कानपुर, खीरी, मिश्रिख, शाहजहांपुर, सीतापुर और उन्नाव है. वैसे आपको बता दें कि, कन्नौज सीट को छोड़ दें तो पिछले दो लोकसभा चुनावों में सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. 2014 में हुए चुनाव में सपा की डिंपल यादव को जीत मिली थी और 2019 के चुनाव में बीजेपी के सुब्रत पाठक ने डिंपल यादव को हरा दिया. इस हार से अखिलेश यादव को गहरी क्षति पहुंची जहां उनकी पत्नी ही चुनाव हार गई. हालांकि बाद में डिंपल मैनपुरी के उपचुनाव में सांसद बन गई. 2024 के चुनाव में उसी हार का बदल लेने और अपनी साख बचाने के लिए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव कन्नौज से खुद ही मैदान में उतर गए. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी इस बार अपनी जीत को दोहराने की कोशिश में है.
ऐसे ही यूपी की 13 सीटों में से पांच सीटें ऐसी है जहां कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. आइए आपको बताते हैं इन पांच सीटों का क्या है सियासी समीकरण.
क्या कन्नौज में अपना दबदबा कायम कर पाएंगे अखिलेश?
चौथे चरण में सपा का गढ़ कहे जाने वाले कन्नौज में भी वोटिंग हो रही है. यहां से सपा प्रमुख अखिलेश यादव चौथी बार चुनावी मैदान में हैं. अखिलेश यादव साल 2000, 2004 और 2009 में इस सीट पर लगातार जीत हासिल कर चुके हैं. सपा प्रमुख 12 साल बाद इस सीट से चुनाव लड़ रहे है. बीते शुक्रवार को INDIA गठबंधन के नेता राहुल गांधी और संजय सिंह कन्नौज के रण में कूदें और अखिलेश के समर्थन में प्रचार किया था. कन्नौज में अखिलेश यादव का मुकाबला बीजेपी के मौजूदा सांसद सुब्रत पाठक से है. पाठक ने 2019 में डिंपल यादव को हराकर जीत हासिल की थी.
लखीमपुर खीरी से हैट्रिक लगा पाएंगे टेनी?
लखीमपुर खीरी में बीजेपी ने केंद्रिय मंत्री अजय मिश्र टेनी को फिर से मैदान में उतारा है. टेनी का मुकाबला सपा के उत्कर्ष वर्मा और बसपा के अंशय कालरा से है. टेनी साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर चुके हैं. इस बार हो जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है. वैसे आपको बता दें कि, किसान आंदोलन के समय अजय मिश्र टेनी के बेटे के ऊपर प्रदर्शनकारीयों को कार से कुचल कर मारने का आरोप लगा था. ये मामला कोर्ट में अभी भी चल रहा है. इस मामले में टेनी की बहुत फजीहत हुई थी.
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इटावा में बीजेपी है भारी?
इटावा लोकसभा सीट में सैफई गांव भी आता है जो सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का पैतृक गांव है. मूलायम सिंह यादव के देहांत के बाद यह सीट सपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गई है. सपा ने इस सीट को साल 1996, 1999, 2004 और 2009 में जीता था. वहीं बीजेपी पिछले दो बार से 2014 और 2019 में इस सीट पर कब्जा जमाई हुई है. बसपा के संस्थापक कांशी राम ने भी साल 1991 के चुनाव में यहां से जीत हासिल की थी. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने राम शंकर कठेरिया को मैदान में उतारा हैं जिन्होंने 2014 में यहां से जीत दर्ज किया था. हालांकि 2019 में पार्टी ने उन्हें आगरा भेज दिया था. वहीं सपा ने जितेंद्र दोहरे और बसपा ने सारिका सिंह को मैदान में उतारा है. बता दें कि, इटावा में दलित सबसे बड़ा समूह है. यहां ओबीसी वर्ग भी अधिक संख्या में हैं, जिनमें यादव की आबादी सर्वाधिक है. इटावा में मुसलमान वोटर्स भी निर्णायक संख्या में है.
कानपुर में है दिलचस्प मुकाबला
कानपुर को यूपी का औद्योगिक और वाणिज्यिक केंद्र के रूप में जाना जाता है. वैसे तो यह सीट कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, श्री प्रकाश जयसवाल ने 1999, 2004 और 2009 में यहां से जीत हासिल की थी. साल 2014 में बीजेपी के मुरली मनोहर जोशी ने श्री प्रकाश जयसवाल को हरा कर जीत का सिलसिला तोड़ दिया. 2019 के चुनाव में एकबार फिर से बीजेपी के सत्यदेव पचौरी ने जयसवाल को हरा दिया था. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के आलोक मिश्रा और बसपा के कुलदीप भदौरिया के खिलाफ रमेश अवस्थी को मैदान में उतारा है. दिलचस्प बात ये है कि, ये तीनों उम्मीदवार अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
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बता दें कि अवस्थी और मिश्रा दोनों ब्राह्मण हैं, इस समुदाय का कानपुर सीट पर बड़ा प्रभाव रहा है. बसपा ने क्षत्रिय नेता कुलदीप भदौरिया को मैदान में उतारा है. इस सीट पर सवर्ण जातियों के अलावा मुस्लिम, दलित और ओबीसी खासकर कुर्मी वोटर्स अच्छी संख्या में हैं.
उन्नाव में साक्षी महाराज बचा पाएंगे अपना किला?
बीजेपी ने उन्नाव से हमेशा विवादों में रहने वाले सांसद स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी उर्फ साक्षी महाराज को फिर से टिकट दिया है. वहीं सपा ने अन्नू टंडन और बसपा ने अशोक कुमार पांडे को चुनावी मैदान में उतारा है. साल 2014 और 2019 दोनों चुनावों में साक्षी महाराज ने लगातार जीत दर्ज की हैं. इस बार वो जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है. वैसे सपा ने इस बार अपने स्थानीय नेता अन्नू टंडन की लोकप्रियता पर भरोसा जताते हुए टिकट दिया है. माना ये जा रहा है कि, अन्नू को ब्राह्मण और दलितों का समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा ये भी माना जा रहा है कि, ब्राह्मण समुदाय के लोग सजातीय उम्मीदवार को टिकट नहीं देने के कारण बीजेपी से नाराज है. बता दें कि, साक्षी महाराज एक ओबीसी लोधी हैं, जो इस सीट पर प्रभावी संख्या में है. वैसे चुनाव में उन्होंने एक दिलचस्प नारा भी दिया है 'ढाई लाख लोधी-बाकी सब मोदी.
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आज शाम 6 बजे इन सभी सीटों के लिए मतदान संपन्न हो गया है. सभी उम्मीदवारों की किस्मत EVM में कैद हो गई है. अब 4 जून को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा कि, किस उम्मीदवार की जीत और किसकी हार होगी.
इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.
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