BJP के मुस्लिम कैंडिडेट ने ही CAA पर उठाए सवाल, कौन हैं मल्लापुरम से चुनाव लड़ रहे मोहम्मद अब्दुल सलाम
BJP के मुस्लिम कैंडिडेट मोहम्मद अब्दुल ने एशियानेट न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, पार्टी को CAA के बारे में समझाने और लोगों को इसके बारे में समझाने के लिए मुस्लिम इलाकों में प्रभावी हस्तक्षेप करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि, लेकिन इस संबंध में भाजपा नेतृत्व के प्रयास 'अपर्याप्त' रहे है.
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Loksabha Elections 2024: केंद्र की मोदी सरकार देश में नागरिकता संशोधन ऐक्ट (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट-CAA) को साल 2019 से प्रभावी करने में जुटी हुई है. बीते 11 मार्च को गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए CAA के लागू होने की घोषणा भी कर की थी. हालांकि अब उन्हीं की पार्टी के केरल एक मल्लपुरम से उम्मीदवार अब्दुल सलाम का CAA पर रुख बीजेपी को परेशानी में डाल सकता है. दरअसल एशियानेट न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, पार्टी को CAA के बारे में समझाने और लोगों को इसके बारे में समझाने के लिए मुस्लिम इलाकों में प्रभावी हस्तक्षेप करना चाहिए था. उन्होंने कहा कि, लेकिन इस संबंध में भाजपा नेतृत्व के प्रयास 'अपर्याप्त' रहे है. आइए आपको बताते हैं कौन है अब्दुल सलाम और क्या है उनकी मल्लपुरम सीट का समीकरण.
पहले जानिए आखिर अब्दुल सलाम ने कहा क्या?
एशियानेट न्यूज चैनल से बात करते हुए सलाम ने कहा कि पार्टी को सीएए के बारे में लोगों को समझाने के लिए मुस्लिम इलाकों में प्रभावी हस्तक्षेप करना चाहिए था. उन्होंने कहा, लेकिन इस संबंध में भाजपा नेतृत्व के प्रयास "अपर्याप्त" रहे हैं. सलाम ने कहा कि मुझे लगा कि चुनाव के दौरान विवाद पैदा होने से मलप्पुरम जैसे निर्वाचन क्षेत्र में उम्मीदवार प्रभावित हो सकते हैं, जहां 70 फीसदी आबादी मुस्लिम है. उन्होंने कहा कि अयोध्या, ज्ञानवापी मस्जिद और सीएए जैसे मुद्दे भी भड़क गए हैं और उनके जैसे उम्मीदवारों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
जानिए कौन हैं अब्दुल सलाम?
डॉ. अब्दुल सलाम केरल के एक प्रमुख नेता हैं जिन्हें भारतीय जनता पार्टी ने मलप्पुरम लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. 68 साल के अब्दुल सलाम केरल के त्रिशूर के रहने वाले हैं. बायोलॉजी उनका सब्जेक्ट रहा है जिसमें उन्होंने 153 रिसर्च पेपर और 13 किताबें लिखी है. सलाम साल 2011 से लेकर 2015 तक कालीकट यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं. वैसे अब्दुल सलाम का वाइस चांसलर के तौर पर कार्यकाल विवादों में रहा. उन पर यूनिवर्सिटी की जमीन बेचने और बिना प्लस टू यानी बारहवीं किए छात्रों को डिग्री कोर्स में एडमिशन देने के आरोप लगे. टीचर्स और स्टूडेंस यूनियन से भी उनकी नहीं बनी क्योंकि वो स्टूडेंट पॉलिटिक्स के न सिर्फ खिलाफ रहे बल्कि उसपर बैन लगाना चाहते थे.
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पीएम मोदी से प्रभावित होकर अब्दुल सलाम एकेडेमिक करियर से पॉलिटिक्स में आए और 2019 में बीजेपी ज्वाइन कर ली. 2021 में हुए केरल विधानसभा चुनाव लड़ते समय उन्होंने अपनी संपत्ति छह करोड़ से ऊपर घोषित की थी. हालांकि मेमोम विधानसभा सीट पर उन्हें मुस्लिम लीग के उम्मीदवार से करारी हार मिली थी.
क्या है मल्लपुरम सीट का गणित
जिस मल्लपुरम सीट से बीजेपी ने अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाया है वहां मुस्लिमों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है. अब्दुल सलाम को उम्मीदवार बनाने के पीछे शायद बीजेपी के लिए यही प्लस प्वाइंट रहा की वो मुस्लिम हैं. वहीं माइनस प्वाइंट ये है कि, 1952 से 2019 तक हुए इस सीट पर चुनाव में से एक चुनाव छोड़कर हर चुनाव मुस्लिम लीग के उम्मीदवार ने ही जीता है. केरल में कांग्रेस-मुस्लिम लीग में अलायंस हैं और सीट शेयरिंग फॉर्मूले में मल्लपुरम सीट मुस्लिम लीग के खाते में रहती है.
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