देश का मिजाज सर्वे: केरल में मोदी नहीं राहुल के जलवे! कांग्रेस, बीजेपी को इतनी सीटों का अनुमान
केरल में लोकसभा की 20 सीटें है. 2019 में हुए पिछले चुनाव की बात करें, तो कांग्रेस के अलायंस UPA का दबदबा था क्योंकि नतीजों में प्रदेश की 20 में 19 सीटों पर UPA ने ही कब्जा जमाया था,
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Mood of The Nation: इंडिया टुडे के ‘मूड ऑफ द नेशन'(MOTN) यानी देश का मिजाज सर्वे से आए आंकड़ों में एकतरफ तो देश में बीजेपी की एकबार और सरकार बनते दिख रही है, लेकिन दूसरी तरफ पार्टी की एक कमजोर कड़ी भी सामने आ रही है. बीजेपी जहां देश के उत्तर, पूर्व और पश्चिम में तो पताका फहराती नजर आ रही है, लेकिन वहीं दक्षिण के राज्यों में अगर कर्नाटक को छोड़ दे तो लगभग शून्य पर सिमटती दिख रही है. वैसे इस आर्टिकल में हम दक्षिण के राज्य केरल की बात कर रहे है, जहां कांग्रेस का INDIA अलायंस राज्य में पूरी तरह से डोमिनेट करता नजर आ रहा है और बीजेपी दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रही है. आइए आपको बताते हैं लोकसभा चुनाव को लेकर क्या है केरल की जनता का मिजाज और क्या थे पिछले चुनाव के नतीजे.
वैसे आपको बता दें कि, इंडिया टुडे ने C- वोटर के साथ मिलकर इस सर्वे में पूरे देश में 15 दिसंबर 2023 से 28 जनवरी 2024 के बीच डाटा इक्कठा किया है. इस सर्वेक्षण का सैंपल साइज 149092 है, यानी पूरे देश से लगभग डेढ़ लाख लोगों से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सवाल पूछे गए है. सर्वे में देश की सभी 543 लोकसभा सीटें कवर किया गया है जिसमे केरल की भी 20 सीटें शामिल है.
देश का मिजाज सर्वे के ये है निष्कर्ष
MOTN सर्वे के मुताबिक, केरल में अगर आज चुनाव हुए, तो प्रदेश में कांग्रेस गठबंधन को 18 सीटें मिलने का अनुमान है जबकि लेफ्ट गठबंधन दो सीटों पर सिमट सकता है. वोट शेयर की बात करें, तो कांग्रेस गठबंधन को सर्वाधिक 45.7 फीसदी वोट, लेफ्ट गठंबधन को 32.3 फीसदी और अन्य के खाते में 5.5 फीसदी वोट मिल सकते है. सबसे दिलचस्प बात ये है कि, प्रदेश में बीजेपी को 16.5 फीसदी वोट तो मिलता नजर आ रहा है लेकिन ये वोट सीटों में बदलता नहीं दिखा रहा है.
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पिछले चुनाव के ये थे नतीजे
केरल में लोकसभा की 20 सीटें है. 2019 में हुए पिछले चुनाव की बात करें, तो कांग्रेस के अलायंस UPA का दबदबा था क्योंकि नतीजों में प्रदेश की 20 में 19 सीटों पर UPA ने ही कब्जा जमाया था, जिसमें 15 सीटें कांग्रेस को, दो सीटें IUML और एक-एक सीट KC(M) और RSP को मिली थी. वहीं मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की CPI(M) को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा था. बात अगर बीजेपी की करें, तो पार्टी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कहीं से भी सफलता हाथ नहीं लगी थी.