दिव्यकीर्ति, अवध ओझा... कोचिंग हादसे पर अबतक बस ब्लेम-गेम, स्टूडेंट्स की इन डिमांड का क्या?

अभिषेक

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Delhi Coaching tragedy: दिल्ली के कोचिंग हादसे ने देशभर को झकझोर कर रख दिया है. बेसमेंट में चल रही लाइब्रेरी में बरसाती पानी ऐसा भरा कि 3 स्टूडेंट्स IAS बनने का ख्वाब लिए हुए उसमें डूब गए. मुखर्जी नगर से लेकर राजेंद्र नगर तक फैले कोचिंग वालों के नेक्सस और अमानवीय स्थिति में इनमें पढ़ते स्टूडेंट्स और फिर ये हादसा, इन्हीं सब बातों को लेकर छात्र प्रोटेस्ट कर रहे हैं. युवाओं ने IAS कोचिंग इंडस्ट्री के विकास दिव्यकीर्ति, अवध ओझा जैसे सेलिब्रिटी टीचर्स को भी बोलने पर मजबूर कर दिया है. इस मामले में अब तक चाहे सत्ताधारी हों या कोचिंग संचालक, हर तरफ से सिर्फ ब्लेम-गेम ही देखने को मिला है. समझिए अरबों के इस धंधे का पीड़ित बनने वाले हमारे-आपके घरों के बच्चों की उस पीड़ा को जिसपर अबतक हुई सिर्फ राजनीति.

स्टूडेंट्स मृतक छात्रों को श्रद्धांजलि देते हुए प्रदर्शन कर रहे है

इन सब के बीच कुछ ऐसे भी टीचर रहे जो छात्रों के साथ आए और प्रदर्शन का हिस्सा बने. इसके साथ ही बीते दिन कई टीचरों की प्रतिक्रिया भी आई. दृष्टि IAS के प्रमुख विकास दिव्यकृति, अवध ओझा सहित कई टीचरों ने इस हादसे पर अपनी बात रखी. सब ने ये माना है कि, ऐसा हादसा नहीं होना चाहिए था और भविष्य में ऐसे हादसे रोकने के लिए सबको साथ में मिलकर काम करना चाहिए. वैसे छात्र अपने मुद्दों पर अडिग है और उनका प्रदर्शन जारी है.  

पहले जानिए कैसे हुआ हादसा?

27 जुलाई की शाम को ओल्ड राजेंद्र नगर में बारिश हुई और नाले जाम हो गए जिससे रोड पर घुटने भर से ज्यादा पानी जमा हो गया. तभी पानी के दवाब से राव IAS कोचिंग का दरवाजा टूटता है और पानी बेसमेंट में भरने लगता है. तकरीबन 10 मिनट में पूरे बेसमेंट में 7 से 8 फुट तक पानी जमा हो जाता है. कोचिंग के बेसमेंट में स्थित लाइब्रेरी में पढ़ रहे करीब 35 छात्र इसकी जद में आ जाते है. कई छात्र समय रहते बाहर निकल जाते है पर 3 छात्रों की पानी में डूबने से मौत हो जाती है. इस हादसे के बाद से ही IAS बनने के हब कहे जाने वाले ओल्ड राजेंद्र नगर और मुखर्जी नगर में छात्र आक्रोशित है और विरोध प्रदर्शन कर रहे है. 

क्या है छात्रों की मांगे?

- छात्रों का कहना है कि, ओल्ड राजेंद्र नगर, पटेल नगर में हर साल ऐसी ही स्थिति रहती है. उनकी मांग है की गंभीर कुप्रबंधन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल राव IAS, MCD, अधिकारियों और सार्वजनिक कर्मियों से जुड़े सभी दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज की जानी चाहिए. इसके साथ ही मामले में दर्ज FIR को सार्वजनिक किया जाना चाहिए और जिससे जो लोग शामिल हैं उनके नाम सबको पता चलने चाहिए. 

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- प्रत्येक मृतक के लिए सरकार और संस्थान दोनों को मिलकर 2 करोड़ का मुआवजा दिया जाना चाहिए.

- घटना स्थल की सीसीटीवी फुटेज जारी किया जाना चाहिए और मामले की जांच की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की जानी चाहिए. 

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- स्थानीय विधायक, सांसद और एमसीडी कमिश्नर उनके पास आएं और उनसे बात करें.

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इसी तरह की 9 मांगों को लेकर छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं.

हादसे पर विकास दिव्यकृति ने क्या कहा? 

4 छात्रों की मौत के बाद से जारी विरोध प्रदर्शन में विकास दिव्यकीर्ति को जमकर निशाना बनाया जा रहा था. छात्र उनके पुराने वीडियो, बातों और फिर उनके कोचिंग के क्लासरूम और लाइब्रेरी सील होने को लेकर सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल कर रहे थे. आखिरकार चार दिन के बाद उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी. पहले दिन में उनके संस्थान ने अपना बयान जारी किया फिर शाम को उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI को इंटरव्यू दिया. इंटरव्यू में उन्होंने सभी बातों पर चर्चा करते हुए अपने आप को 'बली का बकरा बताया'.  

विकास दिव्यकृति ने कहा कि, 'मैं बहुत एक्सप्रेसिव नहीं हूं. 3 बच्चों की मौत हो गई है और यह बहुत दर्दनाक मौत थी. टारगेट करने वाले सवाल पर उन्होंने कहा कि, 'मुझे इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इस तरह के मामलों में हर किसी को बलि का बकरा चाहिए होता है. इससे प्रशासन के लिए चीजें आसान हो जाती हैं और उन्हें लगता है कि वो सुरक्षित हैं, वो एक इंसान को सफर करने देते हैं और यहां तक कि सोसाइटी को भी लगता है कि उन्हें उनका आरोपी मिल गया है. इस वक्त पर स्टूडेंट्स इमोशनली काफी परेशान हैं और उनका मुझसे नाराज होना जायज भी है. 50 से अधिक इंस्टीट्यूट को सील किया गया है, जिसमें से एक हमारा भी है.'

अवध ओझा ने क्या कहा?

हादसे पर जब अवध ओझा से उनकी प्रतिक्रिया पूछी गई तो उन्होंने कहा कि, मैं जयपुर के एक सेमिनार में हिस्सा लेने गया था. यहां इतना बड़ा हादसा हो गया है और अब छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. मैं घटनास्थल पर जाना चाहता था, लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि किससे बात करनी है. उन्होंने कहा, सूरत और मुखर्जी नगर में भी इस तरह की घटनाएं हुईं, तब सरकार सोयी हुई थी. आज सरकार सबके बेसमेंट को सील कर रही है. अगर एक साल पहले सारे मापदंड चेक कर लिए जाते तो शायद ये हादसा नहीं होता. इसके साथ ही उन्होंने एक चार सूत्रीय प्रोग्राम की. उन्होंने कहा सरकार और अधिकारियों को इसपर सोचना चाहिए और अगर वो इसे मानते है तो आगे से ऐसे हादसे कभी नहीं होंगे. 

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