कर्मण्येवाधिकारस्ते... DK क्यों पढ़ने लगे गीता का ये श्लोक, सुरजेवाला के कर्नाटक दौरे से मची खलबली
डीके शिवकुमार कर्नाटक के सीएम कब बनेंगे. नए साल में सिद्धारमैया के जाने और डीके के आने की चर्चा बहुत तेज हुई तो सुरजेवाला फिर कर्नाटक पहुंचे. सुरजेवाला के कर्नाटक दौरे से कांग्रेस में बहुत ज्यादा तेज हलचल है. खूब मीटिंग्स, बयानबाजी हो रही है. बस सस्पेंस बना हुआ है कि सिद्धारमैया और डीके का क्या होगा.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

मैं नहीं चाहता कोई भी विधायक मेरे लिए समर्थन का ऐलान करे: DK

कर्नाटक कांग्रेस प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने की कई दौर की मीटिंग
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले कर्नाटक कांग्रेस में एक तिकड़ी बनी थी. डीके शिवकुमार फ्रंट से लीड कर रहे थे. तिकड़ी में सिद्धारमैया थे और कांग्रेस हाईकमान की ओर से कर्नाटक के इन्चार्ज महासचिव रणदीप सुरजेवाला. इस तिकड़ी ने वो कर दिखाया जो कई साल से कांग्रेस में कहीं नहीं हुआ. सीधी फाइट में बीजेपी से कांग्रेस ने कर्नाटक छीन लिया. कांग्रेस की सरकार बन गई. चुनाव बाद भी रणदीप सुरजेवाला का कर्नाटक आना-जाना बंद नहीं हुआ. डेढ साल पहले खेल बस इतना हुआ कि सीएम के लिए डीके शिवकुमार को नहीं, हाईकमान ने सिद्धारमैया को चुना.
तब से यही इंतजार हो रहा है कि डीके शिव कुमार सीएम कब बनेंगे. नए साल में सिद्धारमैया के जाने और डीके के आने की चर्चा बहुत तेज हुई तो सुरजेवाला फिर कर्नाटक पहुंचे. सुरजेवाला के कर्नाटक दौरे से कांग्रेस में बहुत ज्यादा तेज हलचल है. खूब मीटिंग्स, बयानबाजी हो रही है. बस सस्पेंस बना हुआ है कि सिद्धारमैया और डीके का क्या होगा.
31 मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार
रणदीप सुरजेवाला ने भी सीरीज ऑफ मीटिंग्स की है. कांग्रेस विधायकों के साथ, कर्नाटक के मंत्रियों के साथ, सिद्धारमैया और डीके के साथ. 31 मंत्रियों की रिपोर्ट कार्ड तैयार करके हाईकमान को सौंपा जाना है. कहा तो जा रहा है कि 21 जनवरी को बेलगाम में कांग्रेस की जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली के लिए हलचल तेज है. दूसरी कहानी ये है कि फरवरी में राहुल गांधी मल्लिकार्जुन खरगे के साथ कर्नाटक आकर गांधी भारत भवन नाम से 100 नए कांग्रेस ऑफिस का शिलान्यास करेंगे. एक कहानी ये भी कि कांग्रेस के रायपुर, जोधपुर डिक्लेरेशन के मुताबिक पंचायत, वार्ड, ब्लॉक लेवल पर कांग्रेस का संगठन रीस्ट्रक्चर किया जाएगा.
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बस ये कोई नहीं कह रहा है कि सरकार और कांग्रेस में कोई बदलाव होने जा रहा है या नहीं. सुरजेवाला कह गए कि ये सब मीडिया का क्रिएशन है. सिद्धारमैया कह रहे हैं मैं भी बस सुनता हूं. डीके भी कह रहे हैं कि कोई बात न करे. प्रियांक खरगे बोले कि सीएम की पोस्ट वेकेंट नहीं है. इन सबके बाद भी मुद्दा एक ही है. सिद्धारमैया को जाना है, डीके शिवकुमार को आना है लेकिन कब? ये सवाल है.
मैं प्रयास करता हूं और भगवान पर छोड़ देता हूं: DK
डीके शिवकुमार ने पिछले कुछ दिनों में लगातार ऐसे बयान दिए हैं जिससे इशारा मिल रहा है कि सारी अटकलों, चर्चाओं के सेंटर में वो खुद हैं. डीके के इस बयान से हड़कंप मचा कि सत्ता न सौंपी जाए तो उसे छीन लेनी चाहिए. फिर संस्कृत का श्लोक सुनाने लगे-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन. मैं प्रयास करता हूं. परिणाम भगवान पर छोड़ देता हूं. फिर कह गए कि मुझे किसी का समर्थन नहीं चाहिए. मैं वही करूंगा जो पार्टी मुझसे करवाना चाहती है. मामला सिर्फ कांग्रेस पार्टी और मेरे बीच है. मैं नहीं चाहता कोई भी विधायक मेरे लिए समर्थन का ऐलान करे. राजनीति में ऐसे निर्देश सिर्फ देने के लिए होते हैं. समर्थकों के लिए मानना जरूरी नहीं होता. डीके जहां जहां जा रहे हैं अब उनके लिए सीएम वाले नारे ही लगते हैं.
डीके के लगातार मठ-मंदिर जाने को टेंपल रन कहा जा रहा है. श्रिंगेरी की यात्रा को भी इसी सबसे जोड़कर देखा जा रहा है. इन सबके बीच डीके शिव कुमार पहुंच गए दिल्ली. कांग्रेस के नए ऑफिस का उद्घाटन के लिए तमाम राज्यों के सीएम, बड़े नेता दिल्ली पहुंच रहे हैं. डीके भी इसीलिए दिल्ली पहुंचे हैं. इन सारी हलचलों का इशारा माना जा रहा है कि बड़े चेंज का काउंटडाउन शुरू है. बस बिलकुल सटीक समय, सटीक दिन की अटकलें लग रही हैं.
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CM की लड़ाई में कमजोर पड़ रहे डीके
कांग्रेस हाईकमान का धर्मसंकट ये है कि सिद्धारमैया और डीके शिव कुमार समर्थक बीजेपी का तो मजबूती से सामना कर रहे हैं लेकिन अपने-अपने नेता के लिए सीएम की लड़ाई में कमजोर नहीं पड़ रहे. सतीश जारकोली, केएन रजन्ना, जी परमेश्वरा जैसे नेता खुलकर सीएम बदलने का विरोध कर रहे हैं. सिद्धारमैया ने डीके विरोधी सतीश जारकोली की डिनर पार्टी में जाकर मामला गर्म कर दिया. डिनर पार्टी तब हुई जब डीके परिवार के साथ तुर्की गए हुए थे. हाईकमान ने बड़ी मुश्किल से परमेश्नरन को एक और डिनर पार्टी करने से रोका.
कांग्रेस हाईकमान पर दबाव ये है कि जब डीके ने चुनाव जिताया तब सोनिया गांधी ने उन्हें सीएम नहीं बनाया बल्कि इंतजार करने के लिए कहा. डीके ने बार-बार खुद को साबित किया. सिद्धारमैया के मूडा घोटाले में घिरने के बाद भी हाईकमान कुछ करता नहीं दिख रहा. डीके कह तो रहे हैं कि सरकार स्थिर है पांच साल चलेगी लेकिन ये ऐसा सवाल है जिसपर कोई भरोसा नहीं करना चाहता. खलबली बीजेपी में भी मची है. कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष वाई एस विजयेंद्र माने बैठे हैं कि कर्नाटक में सत्ता परिवर्तन होगा और डीके को ही सीएम बनना है लेकिन कब इस पर वो भी टकटकी लगाए है. कर्नाटक में कांग्रेस फिलहाल इतनी मजबूत स्थिति में है कि बीजेपी सिर्फ टुकुर देख सकती है. उसका कोई रोल है नहीं अभी.