क्या राजस्थान में वसुंधरा के किनारे होने से बिगड़ जाएगा BJP का खेल? जाने सियासी समीकरण

अभिषेक

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Raje Vasundhara
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राजस्थान में चुनाव बेहद करीब है. पार्टियों ने अपने चुनावी अभियान तेज कर दिए हैं. प्रदेश में पिछले 25 सालों से अल्टरनेट सरकार की परंपरा रही है. एक तरफ बीजेपी कांग्रेस के बाद एंटी इन्कंबेंसी के बल पर सत्ता में आने की हर कोशिश कर रही है. वहीं कांग्रेस गहलोत सरकार की लाभकारी योजनाओं के दम पर इस परंपरा को तोड़ना चाहती है. कांग्रेस पार्टी में भले ही सीएम फेस घोषित न हुआ हो पर, मुख्यमंत्री गहलोत फ्रंट फुट पर खेल रहे हैं. वहीं बीजेपी ने ‘फेस कमल के फूल’ को बनाया है. हालांकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे फिलहाल बैकफुट पर नजर आ रही हैं.

वजह है पार्टी में गुटबाजी और आलाकमान की अनदेखी. पीएम मोदी के मंचों पर राजे की मौजूदगी भी बता रही है कि, वो कहीं न कहीं राजस्थान बीजेपी में हासिए पर जा रही हैं. ऐसे में राजस्थान के सियासी गलियारों में ये चर्चा तेज हो गई है कि, गहलोत की लाभकारी योजनाओं और राजनैतिक जादूगरी के सामने बीजेपी क्या बिना राजे के दम दिखा पाएगी?

सर्वे में कांटे की टक्कर, राजे बिगाड़ सकती हैं BJP का खेल?

राजस्थान चुनाव पर हाल ही में दो ताजा सर्वे रिपोर्ट में कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर बताई गई है. सितंबर में आए IANS-Polstrat सर्वे में बीजेपी पर कांग्रेस भारी दिख रही है. हालांकि जीत का ये अंतर काफी कम सीटों से बताया गया है. वहीं टाइम्स नाऊ ETG के सर्वे में दोनों पार्टीयों में कांटे की टक्कर बताई गई है. अब सवाल ये है कि, दोनों पार्टियों में कांटे की टक्कर के बीच राजे को पार्टी किनारे करती है तो, क्या राजस्थान में बीजेपी का खेल बिगड़ जाएगा.

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राजे बतौर CM फेस लोगों की पसंद में दूसरे नंबर पर

IANS-Polstrat सर्वे में 38 फीसदी लोगों ने अशोक गहलोत को अपना पसंदीदा मुख्यमंत्री बताया है. वहीं 26 फीसदी लोगों ने वसुंधरा राजे को पसंदीदा मुख्यमंत्री के तौर पर चुना है. सचिन पायलट 25 फीसदी लोगों की पसंद के साथ तीसरे नंबर पर हैं.

पिछले ढाई दशक तक राजे का था बोलबाला

सर्वे के नए आंकड़ों ने भाजपा केन्द्रीय नेतृत्व की नींद हराम कर रखी है. पार्टी अपनी रणनीति को लेकर पशोपेश में फंसी हुई है. पार्टी एक तरफ तो वसुंधरा को किनारे कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उसे कोई चेहरा नहीं मिल रहा, जो चुनावों में उसकी नैया पार करा सके. वरिष्ठ पत्रकार विजय विद्रोही के मुताबिक राजस्थान में पिछले दो-ढाई दशक से राजे और बीजेपी एक दूसरे के पर्याय बने हुए हैं. प्रदेश में वसुंधरा आटे में नमक और दाल में तड़के की तरह बनी रही हैं. अब एकाएक उन्हें साइडलाइन करना बीजेपी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है.

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इन सीटों पर माना जाता है राजे का प्रभाव

वसुंधरा राजे का प्रभाव राजस्थान के हाड़ौती, वागड़, मेवाड़ समेत पश्चिमी राजस्थान के कुछ इलाकों में माना जाता है. वे दो बार विधानसभा में रिकार्ड बहुमत से मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. बकौल विद्रोही उनमें एक्स्ट्रा एबिलिटी है. उनमें एक पॉजिटिव वाइव्स है, जिससे वे महिला और युवा वोटरों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती हैं.

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एक चुनाव हराने का दम रखती हैं राजे!

विजय विद्रोही के मुताबिक बीजेपी को उनसे किनारा करना मुश्किल में डाल सकता है. पार्टी में अंदरखाने कुछ भी हो पर, राजे बीजेपी को एक चुनाव हराने का माद्दा जरूर रखती हैं. इसीलिए पार्टी पशोपेश में है. माना ये जा रहा है कि, बीजेपी ने आंतरिक सर्वे कराया है. जो इस बात पर है कि, राजे को चेहरा घोषित करने या ना करने से कितना फायदा या नुकसान होगा. पार्टी आलाकमान का ये मानना है कि, राजे को चेहरा बनाने पर नुकसान ज्यादा होगा बजाय की कोई चेहरा घोषित ना करने करने पर. इसीलिए बीजेपी ये मान रही है कि ‘विद या विदाउट वसुंधरा हम जीत रहे है’.

वसुंधरा समर्थकों को अभी भी है उम्मीद

राजे समर्थक अभी भी ये उम्मीद लगाए बैठे है कि, पार्टी एन मौके पर ‘महारानी’ को उतार सकती है. इसकी एक बानगी हाल ही में जयपुर के बिड़ला ऑडिटोरियम में पार्टी के कार्यक्रम में देखने को मिली. यहां राजे न केवल पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्‌डा के साथ मंच पर थीं, बल्कि जमकर विपक्ष पर बरसीं और इशारे-इशारे में राजा के गुण बताते हुए कई संदेश भी दे गईं. देखा जाए तो राजनीति में कुछ भी संभव है. क्रिकेट मैच की तरह यहां भी आखिरी वक्त में कई समीकरण बनते-बिगड़ते देखा जा सकता है. कुल मिलाकर प्रदेश की सियासत में राजे अब क्या स्टैंड लेंगी ये देखने वाली बात होगी.

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