बनारस जानें पर जरूर करें काल भैरव कोतवाल के दर्शन, वर्ना नहीं पूरे होंगे कोई काम
ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में रहने के लिए पहले बाबा काल भैरव की इजाजत लेनी होती है. वे इस पवित्र शहर के प्रशासक हैं, इसलिए उन्हें "काशी का कोतवाल" कहा जाता है.
ADVERTISEMENT

वाराणसी, मोक्ष की नगरी, जहां गंगा आरती की भव्यता, गलियों का रहस्य और प्राचीन मंदिरों का समागम आत्मा को छू लेता है. इस पवित्र शहर में यात्रा का शुभारंभ काल भैरव मंदिर में हाजिरी लगाने से होता है, जो भगवान शिव के भयंकर रूप का प्रतीक है. आइए जानते हैं काल भैरव के दर्शन के बिना क्यों सफल नहीं माने जाते हैं बाबा के दर्शन.
काशी के मुख्य कोतवाल हैं काल भैरव
वाराणसी, मोक्ष की नगरी, जहाँ भगवान शिव के रूप, बाबा विश्वनाथ, का वास है. उनके साथ ही, बाबा काल भैरव, काशी के कोतवाल, शहर की रक्षा करते हैं.
ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में रहने के लिए पहले बाबा काल भैरव की इजाजत लेनी होती है. वे इस पवित्र शहर के प्रशासक हैं, इसलिए उन्हें "काशी का कोतवाल" कहा जाता है. बाबा काल भैरव का प्राचीन मंदिर, शहर के मैदागिन क्षेत्र में स्थित है. यह मंदिर शहर के सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है. भक्त दूर-दूर से इस मंदिर में आते हैं ताकि भगवान का आशीर्वाद ले सकें. मंदिर में प्रवेश करते ही, एक विशेष तरह की शक्ति और सकारात्मकता महसूस होती है.
यह भी पढ़ें...
कैसे बने भैरव बाबा काशी के कोतवाल?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, बाबा काल भैरव भगवान शिव के रुद्र रूप हैं. त्रिदेवियों (लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती) के शाप के कारण, भगवान शिव को ब्रह्मा का सिर काटना पड़ा था. इस घटना के बाद, वे पापों से ग्रस्त हो गए और भटकने लगे. अंत में, वे काशी पहुंचे, जहाँ उन्होंने गंगा नदी में स्नान किया और अपने पापों से मुक्ति प्राप्त की. भगवान विष्णु ने उन्हें क्षमा कर दिया और उन्हें "काल भैरव" नाम दिया. इसके बाद, भगवान शिव ने बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल बनाया और उन्हें शहर की रक्षा करने का आदेश दिया. तब से बाबा काल भैरव काशी की रक्षा कर रहे हैं और भक्तों को आशीर्वाद दे रहे हैं.
काल भैरव के दर्शन के बाद ही सफल होते हैं बाबा विश्वनाथ के दर्शन
काल भैरव मंदिर, विशेष्वरगंज क्षेत्र में स्थित है, जो बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर से थोड़ी दूरी पर है. मान्यताओं के अनुसार, बिना काल भैरव मंदिर के दर्शन किए काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन का लाभ नहीं मिलता है. कहा जाता है कि बाबा काल भैरव, काशी के कोतवाल हैं और वे ही भक्तों को भगवान विश्वनाथ के दर्शन की अनुमति देते हैं. इसलिए वाराणसी आने वाले हर भक्त को पहले बाबा काल भैरव के दर्शन करने चाहिए.