ट्रोलिंग या कुछ और...चुनाव आयुक्त की बेटी IAS मेधा रूपम को क्यों छोड़ना पड़ा सोशल मीडिया?
राजनीति में जब भी कोई बड़ा आरोप लगता है उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव में 'वोट चोरी' के आरोपों ने कुछ ऐसा ही माहौल बना दिया. इन आरोपों का सीधा निशाना मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार थे.
ADVERTISEMENT

राजनीति में जब भी कोई बड़ा आरोप लगता है उसकी गूंज दूर तक सुनाई देती है. हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव में 'वोट चोरी' के आरोपों ने कुछ ऐसा ही माहौल बना दिया. इन आरोपों का सीधा निशाना मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार थे. लेकिन इस राजनीतिक तूफान की चपेट में उनकी बड़ी बेटी तेज-तर्रार आईएएस अधिकारी मेधा रूपम भी आ गईं. सोशल मीडिया पर उनकी हालिया नोएडा पोस्टिंग को लेकर खूब ट्रोलिंग हुई. जिससे वह इतना परेशान हो गई कि उन्होंने अपना X (पूर्व में ट्विटर) प्रोफाइल डिलीट कर दिया.
यह भी पढ़ें...
नोएडा की पहली महिला डीएम पर संदेह
मेधा रूपम पहले शूटर रह चुकी है. जुलाई 2025 में मेधा रूपम नोएडा की पहली महिला जिलाधिकारी बनी. इससे पहले वह उत्तर प्रदेश के कासगंज की डीएम रही. लेकिन अब सोशल मीडिया के निशाने पर मेधा आई तो उनकी नोएडा वाली पोस्टिंग को भी संदेह की नजरों से देखा जाने लगा.
एक एक्स यूजर ने लिखा, "ज्ञानेश कुमार का परिवार देश के कुछ सबसे ताकतवर प्रशासनिक पदों को नियंत्रित करता है." इस पोस्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि मेधा रूपम को यूपी की सबसे महत्वपूर्ण पोस्टिंग मिली है, जबकि उनके पति मनीष बंसल सहारनपुर के डीएम हैं. इतना ही नहीं, उनकी छोटी बहन आईआरएस अभिश्री और उनके आईएएस पति अक्षेय लाबरू को भी निशाना बनाया गया. सोशल मीडिया पर यह सवाल उठाया गया कि कैसे ये दो दंपत्ति आसानी से एक ही राज्य (मेधा और मनीष यूपी में, अभिश्री और अक्षेय जम्मू-कश्मीर में) में पोस्टेड हैं.
मेधा रूपम के नोएडा डीएम बनने पर तो इतनी टिप्पणी होने लगी कि उन्होंने परेशान होकर अपना एक्स प्रोफाइल डिलीट कर दिया. हालांकि कई लोगों ने ज्ञानेश कुमार के परिवार को घसीटे जाने पर विरोध किया. रिटायर्ड आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि जब दिक्कत सीईसी से है तो उनकी बेटी और दामाद को क्यों घसीटा जा रहा है. मेधा रूपम और पति मनीष बंसल ऑउटस्टैंडिंग अधिकारी हैं जिन्हें उनकी मेहनत और ईमानदारी के लिए जाना जाता है.
मेधा रूपम की पूरी कहानी
1990 में यूपी के आगरा में जन्मीं मेधा ऐसे परिवार में बड़ी हुई जहां पब्लिक सर्विस में आना एक करियर चॉइस से ज्यादा जेनेटिक इन्हेरिटेंस रहा. केरल के एर्नाकुलम में नेवल पब्लिक स्कूल में पढ़ाई शुरु की. हाइर सेकेंडरी के लिए वो थिरुवनंथपुरम के सेंट थॉमस स्कूल चली गई. दुनिया की समझ तब आई जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में एडमिशन हुआ. वहीं उन्होंने इकोनोमिक्स हानर्स की पढ़ाई की.
करियर की शुरुआत शूटिंग से की. स्कूली दिनों में ही 10 मीटर एयर राइफल इवेंट के लिए ट्रेनिंग ली. केरल स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में तीन गोल्ड मेडल वो जीत चुकी हैं. इसके बाद उन्होंने अपने करियर को नई दिशा देने की सोची और सिविल सेवा में आने का मन बनाया. अपने पिता के पदचिन्हों पर चलकर साल 2013 में मेधा ने यूपीएससी का एग्जाम दिया. ऑल इंडिया रैंक 10 पाकर यूपीएससी क्रैक किया.
एग्जाम क्रैक किया तो अब ट्रेनिंग का मौका था. हर अफसर की मसूरी की वादियो के बीच स्थित LBSNAA में ट्रेनिंग तो होती ही है. वहां से कुछ दोस्त बन कर निकलकर आते हैं तो कुछ लवर्स बनकर. कईयों की शादी भी हो चुकी है. मेधा और मनीष के साथ भी ऐसा ही हुआ. LBSNAA एकेडमी में ही मेधा की मुलाकात हुई मनीष से. मनीष मूल रूप से पंजाब से हैं. 2013 बैच के अधिकारी हैं. मनीष भी 53वीं रैंक से पास करके आईएएस अफसर बने थे. LBSNAA में ट्रेनिंग के दौरान दोनों की पहले बातचीत शुरु हुई. और फिर प्यार में बदल गई. परिवार को बताया गया. दोनों की बाद में शादी हुई. आज दो बच्चे हैं. बता दें मनीष ने आईआईटी दिल्ली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एमटेक किया है.
मेधा रूपम मैदान में उतरी तो यूपी के कठिन जिलों में निकल जाया करती. बरेली और मेरठ से शुरुआत की. जब हापुड़ की डीएम रही तो सिर्फ घोषणाएं नहीं करती रही. बल्कि उनके डीएम रहते आयुषमान भारत स्कीम फाइलों से निकलकर धरातल पर पहुंची. 1.3 लाख से ज्यादा होल्ड कार्ड्स लोगों के हाथों में पहुंचे. इम्युनाइजेशन ड्राइव भी होती थी जो फोटो खींचने वाले कल्चर के लिए नहीं, बल्कि घर घर तक पहुंचने के इरादे से.
फिर मेधा का कासगंज आना हुआ. बाढ़ के पानी ने रोड की रोड निगल ली थी. गांव से कनेक्शन टूट चुका था. एसयूवी छोड़कर मेधा रूपम ट्रैक्टर में सवार हो गई. खुद जाकर रेस्क्यू रिलीफ देखने लगी.
फिर जब ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की सीईओ बनी. ग्रेटर नोएडा में जेवर एयरपोर्ट और इंटरनेशनल फिल्म सिटी प्रोजेक्ट जैसे मामलों को मेधा देख चुकी हैं. दोनों ही सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट हैं. ये प्रोजेक्ट्स भी किसी तूफान से कम नहीं. लैंड डिस्प्यूट से लेकर कम्युनिटी पुशबैक और डेडलाइन का डंडा सिर पर था. लेकिन मेधा ने अपने अनुभव की ताकत दिखाई.
जिन आईएएस मेधा रूपम पर आज छीटाकंशी हो रही है, उनकी छवि एक तेज तर्रार बेदाग अफसर की रही है. मेधा को सीएम योगी आदित्यनाथ के भरोसेमंद अधिकारियों में गिना जाता है.
चर्चित चेहरा का वीडियो देखें