उत्तराखंड: सीएम धामी की अनूठी पहल, टॉपर्स बनेंगे एक दिन के डीएम-एसपी, नदियों के लिए ‘नदी उत्सव’

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Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए दो नई प्रेरणादायक योजनाओं की शुरुआत की है.

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CM Pushkar Singh Dhami
सीएम धामी(फाइल फोटो).
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Uttarakhand News: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में दो अनूठी पहल शुरू की हैं, जो युवाओं को प्रेरित करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देंगी. सीएम धामी ने मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने और नदियों के संरक्षण के लिए अभिनव कदम उठाए हैं, जो राज्य में बदलाव की नई दिशा ला सकते हैं.

टॉपर्स को विशेष सम्मान

मुख्यमंत्री धामी ने प्रदेश के हर जिले में हाई स्कूल और इंटरमीडिएट के टॉपर्स को सम्मान देने का अनोखा तरीका अपनाया है. उनके निर्देश पर इन मेधावी छात्रों को एक दिन के लिए जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) की जिम्मेदारी दी जाएगी. इस पहल का मकसद छात्रों को प्रशासनिक अनुभव देना, उनमें आत्मविश्वास जगाना और बड़े लक्ष्यों के लिए प्रेरित करना है.

जल्द ही इस योजना को लागू करने के लिए सभी जिलों में विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जाएगी. सीएम धामी का मानना है कि यह कदम न केवल मेधावी छात्रों को सम्मान देगा, बल्कि उन्हें भविष्य में प्रशासनिक सेवाओं के लिए भी प्रेरित करेगा.

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‘नदी उत्सव’ से होगा नदियों का संरक्षण

शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी सीएम धामी ने बड़ा कदम उठाया है. उन्होंने राज्य की प्रमुख नदियों के नाम पर ‘नदी उत्सव’ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. इस उत्सव का उद्देश्य नदियों की सफाई, स्वच्छता और पुनर्जनन को जन अभियान बनाना है.

मुख्यमंत्री ने कहा, 

“हमारी नदियां सिर्फ जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और जीवन का आधार हैं. ‘नदी उत्सव’ के जरिए लोगों को जल संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जाएगा.”

यह आयोजन जनसहभागिता के साथ होगा, ताकि नदियों के संरक्षण में हर नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित हो.

धामी सरकार का प्रेरणादायी कदम

सीएम पुष्कर सिंह धामी की इन पहलों को शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्र में गेम-चेंजर माना जा रहा है. जहां एक तरफ मेधावी छात्रों को सम्मान और प्रेरणा मिलेगी, वहीं दूसरी ओर ‘नदी उत्सव’ के जरिए पर्यावरण संरक्षण को जन आंदोलन का रूप मिलेगा. ये कदम न केवल उत्तराखंड के युवाओं और पर्यावरण के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश हैं.

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