Bihar Election 2025: मुकेश सहनी ने लालू यादव को लेकर ऐसा क्या कहा की बढ़ गई महागठबंधन की मुश्किलें, एनडीए ने साधा निशाना

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के भीतर सियासी हलचल तेज हो गई है. वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के एक बयान ने राज्य की राजनीति में नया बवंडर खड़ा कर दिया है. सहनी ने कहा कि कभी समाज ने लालू प्रसाद यादव को मसीहा माना, लेकिन बाद में “नाइंसाफी” होने लगी.

Mukesh Sahani statement
मुकेश सहनी ने लालू यादव को लेकर दिया बड़ा बयान

हिमांशु मिश्रा

• 08:14 PM • 04 Nov 2025

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Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राज्य में सरगर्मियां काफी तेज हो चुकी है. राज्य की सियासत में महागठबंधन के भीतर पहले से ही कई सीटों पर आपसी टकराव और उम्मीदवारों के आमने-सामने उतरने से घमासान मचा हुआ है. इसी बीच वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के एक बयान ने सियासी माहौल और गरमा दिया है. मुकेश सहनी ने कहा कि कांग्रेस के बाद समाज ने लालू प्रसाद यादव पर भरोसा किया, उन्हें “मसीहा” माना और गरीबों की आवाज समझकर लंबे समय तक साथ दिया. लेकिन बाद में ऐसी परिस्थिति बनी कि समाज के साथ नाइंसाफी होने लगी.

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'हम बड़े लेवल पर लड़ाई लड़ रहे हैं-' मुकेश सहनी

सहनी ने आगे कहा, 'फिर हम नीतीश जी और बीजेपी के साथ भी गए. आज पूरे बिहार में निषाद समाज ने मुझे अपना भाई, बेटा और नेता माना है. हम बड़े लेवल पर लड़ाई लड़ रहे हैं और लोगों के जख्मों को भरने का काम कर रहे हैं.'

भाजपा ने साधा निशाना

सहनी का यह बयान सामने आते ही भाजपा ने इसे राजनीतिक हथियार बना लिया. पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर वीडियो साझा करते हुए लिखा कि, 

'मुकेश सहनी ने खुद स्वीकार किया है कि लालू प्रसाद के शासनकाल में निषाद समाज पर अत्याचार हुए थे. क्या अब निषाद समाज फिर से उसी ओर आकर्षित होगा?'

इसके बाद एनडीए के नेता लगातार आरजेडी पर हमलावर हो गए हैं. उनका कहना है कि लालू यादव के शासनकाल में गैर-यादव ओबीसी वर्गों के साथ भेदभाव हुआ था, और अब वही पुरानी राजनीति दोहराई जा रही है.

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मुकेश सहनी ने दी सफाई

वहीं विवाद बढ़ने पर मुकेश सहनी ने सफाई दी कि उनकी बातों को 'तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.' उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी समुदाय या दल पर आरोप लगाना नहीं था, बल्कि समाज की पिछली यात्रा का जिक्र करना था.

स्मृति ईरानी ने भी कसा तंज

लेकिन मामला यहीं नहीं रुका. भाजपा की स्टार प्रचारक स्मृति ईरानी ने भी मोर्चा संभालते हुए मुकेश सहनी पर तंज कसा. उन्होंने कहा यह सवाल तो मुकेश सहनी से होना चाहिए कि जब लालू राज में निषादों पर अत्याचार होते थे, तो अब वे किस दबाव या प्रलोभन में उन्हीं लोगों के साथ खड़े हैं? 

राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं तेज

राजनीतिक हलकों में यह बयानबाजी महागठबंधन के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है. पहले से सीटों के तालमेल पर विवाद झेल रहे गठबंधन के भीतर अब यह बयान नई फूट का कारण बन सकता है. वहीं एनडीए इसे 'सामाजिक न्याय बनाम जातीय पक्षपात' की बहस में बदलने की कोशिश में है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी मौसम में यह मुद्दा निषाद और अन्य पिछड़े वर्गों के मतदाताओं पर असर डाल सकता है  और यही बात महागठबंधन की सबसे बड़ी चिंता है.

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