बिहार विधानसभा चुनाव में अब काफी कम समय बचा हुआ है. राज्य में मौजूद हर एक राजनीतिक दल चुनाव में ज्यादा से ज्यादा वोट पाने की जुगत में जुटा हुआ है. इसी बीच बीते कल कैमूर जिले के मोहनिया सीट से आरजेडी उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन रद्द कर दिया गया था, जिसके बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई थी. लेकिन अब तेजस्वी यादव ने एक मास्टरस्ट्रोक दांव खेला है और इसी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार रवि पासवान को समर्थन दे दिया है. पार्टी ने इसकी आधिकारिक घोषणा भी कर दी है.
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कौन है रवि पासवान?
रवि पासवान पूर्व सांसद छेदी पासवान के बेटे है. छेदी पासवान का अपने क्षेत्र में काफी नाम है और वे बड़े नेताओं में गिने जाते है. साथ ही दलित समाज के अंदर छेदी पासवान की पकड़ काफी मजबूत है और उनका नाम बहुत ही सम्मान के साथ लिया जाता है. रवि पासवान ने इस सीट ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया था और अब आरजेडी ने उन्हें समर्थन दे दिया है.
रवि पासवान से आरेजडी को कितनी मिलेगी मदद?
भले ही आरजेडी ने रवि पासवान को समर्थन दे दिया है लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इससे पार्टी और गठबंधन दोनों को कितना फायदा होगा. इस सवाल के जवाब में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह कदम एक मास्टरस्ट्रोक है और इससे पार्टी को दोहरा फायदा पहुंचा सकता है. एक तो छेदी पासवान के जो वोटर नाराज हो गए थे, वे इस फैसले से सध गए है और दूसरा यह कि मोहनिया सीट पर अब दलित वोट बैंक बंटेगा नहीं और इसका सीधा फायदा आरजेडी को मिलेगा.
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अगर रवि पासवान इस सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ते तो इससे आरजेडी को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता था. लेकिन श्वेता सुमन के नामांकन रद्द होने के बाद रवि पासवान को समर्थन देने से यह भरपाई हो गई है और राजद इस सीट पर पहले से ज्यादा मजबूत हो गया है.
यहां देखें राजद का पोस्ट
आरजेडी के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे रवि?
अब एक सवाल यह भी सामने आया है कि क्या रवि पासवान आरजेडी के सिंबल चुनाव लड़ेंगे? तो इसका जवाब हैं नहीं. दरअसल दूसरे फेज के नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 20 अक्टूबर को ही थी और अब कोई भी सिंबल नहीं बदल सकता है. आयोग ने रवि पासवान का निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन एक्सेप्ट किया था और वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर ही चुनाव लड़ेंगे.
हालांकि उनका नाम EVM में नीचे होगा क्योंकि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार पहले राज्य और राष्ट्रीय पार्टी के उम्मीदवारों का नाम और सिंबल होता है और उसके बाद निर्दलीय उम्मीदवारों का नाम-सिंबल होता है.
श्वेता सुमन का नामांकन हुआ था रद्द
दरअसल बीते कल आरजेडी उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन चुनाव आयोग ने रद्द कर दिया था. इस मामले में पहले बीजेपी ने उनके उम्मीदवारी पर आपत्ति जताते हुए आयोग में शिकायत की थी कि, श्वेता सुमन राज्य की मूल निवासी नहीं है और वह उत्तर प्रदेश की रहने वाली है. इसके बाद आयोग ने इस शिकायत की जांच कर इसे सही पाया और उनका नामांकन रद्द कर दिया था.(यहां पढ़ें पूरी खबर)
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