विधानसभा चुनाव से पहले एक नीतीश कुमार की पार्टी को एक और जोरदार झटका लगा है. एक ओर जहां नीतीश कुमार बिहार वासियों को नई-नई सौगात दे रहे है, तो वहीं दूसरी ओर नेता उनकी पार्टी को छोड़ रहे है. JDU के पूर्व विधायक श्याम बिहारी प्रसाद ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और साथ ही कांग्रेस पार्टी जॉइन भी कर लिया है. माना जा रहा है कि चुनावी साल में इनका इस्तीफा जदयू को काफी भारी पड़ सकता है. गौरतलब है कि इसी महीने पूर्व विधायक मीना द्विवेदी ने भी जदयू छोड़ जन सुराज का दामन थाम लिया था.
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प्रदेश अध्यक्ष को भेजा इस्तीफा
पूर्व विधायक श्याम बिहारी प्रसाद ने अपना इस्तीफा पत्र जदयू प्रदेश अध्यक्ष को भेजा है. इस पत्र में उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि पार्टी के प्राथमिक सदस्यता एवं प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य से मैं त्याग पत्र दे रहा हूं. मिली जानकारी के मुताबिक श्यामा बिहारी प्रसाद का यह इस्तीफा तब सामने आया है जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चंपारण दौरे की तैयारी में है.
चंपारण में पहले से ही जदयू को काफी चुनौती का सामना करना पड़ रहा और ऐसे में श्यामा प्रसाद बिहार जैसे वरिष्ठ और कद्दावर नेता का पार्टी छोड़ना जदयू के लिए बड़ा झटका है.
वैश्य समाज में मजबूत पकड़
श्यामा बिहारी प्रसाद पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद के भाई और पूर्व सांसद रमा देवी के देवर हैं. साथ ही वे पार्टी की एक मजबूत कड़ी के साथ-साथ वैश्य समाज के एक बड़े तबके का नेतृत्व करते थे. इनका पार्टी छोड़ना JDU के उस सामाजिक समीकरण को सीधे तौर पर प्रभावित कर सकता है, जिस पर वह लंबे समय से काम कर रही थी.
कांग्रेस का थामा दामन
पार्टी से इस्तीफा देने के बाद श्यामा बिहार प्रसाद ने पटना के सदाकत आश्रम में कांग्रेस का दामन थाम लिया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर उन्होंने खुद इसकी जानकारी साझा. इस पोस्ट में कुछ फोटोज भी है जिसमें वे बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, राजेश राम, पप्पू यादव समेत कई कांग्रेस के नेता मौजूद है.
मीना द्विवेदी ने थामा जन सुराज का दामन
इससे पहले जदयू से 3 बार विधायक रहीं मीना द्विवेदी ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ जदयू छोड़ जन सुराज जॉइन कर लिया था. मीना द्विवेदी का भी अपने सीट पर वर्चस्व था जिसका अब फायदा जदयू के जगह जन सुराज को मिलेगा.(यहां पढ़ें पूरी खबर)
अब इन दो बड़े वैश्य नेताओं का पार्टी से बाहर जाना यह दिखाता है कि JDU के भीतर असंतोष बहुत ज़्यादा बढ़ गया है, जिसका असर आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है.
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