निजी क्षेत्र में काम करने वालों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी Employees' Provident Fund Organisation बैक बोन माना जाता है. निजी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी EPFO से जुड़े होते हैं. उनकी सैलरी का एक हिस्सा इसमें PF और पेंशन के रूप में जाता है. PF पर 8 फीसदी से ज्यादा सालाना ब्याज मिलता है, जिससे कर्मचारी को रिटायरमेंट पर एक बड़ा और गारंटीड फंड मिल जाता है.
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अब बात कर लेते हैं पेंशन की. आज के समय में यहां मामला एकदम हल्का यानी ऊंट के मुंह में जीरा हो जाता है. पेंशन के नाम पर कर्मचारी से अधिकतम 1250 रुपए मंथली लिए जाते हैं. जरूरत पड़ने पर कर्मचारी अपना PF तो निकाल सकता है पर पेंशन में जमा की गई राशि नहीं.
माना कि किसी कर्मचारी ने 23 साल की उम्र में नौकरी शुरू की और 57 साल की उम्र तक काम करता रहा तो 58 की उम्र से उसे अधिकतम 7500 रुपए की मंथली पेंशन मिलेगी. ये पेंशन आजीवन मिलेगी. हालांकि बहुत कम लोग 23 की उम्र से नौकरी करना शुरू करते हैं. यदि इसे 25 की उम्र से कैलकुलेट करें तो अधिकतम 7000 महीने की पेंशन बनेगी.
7000 मंथली की 33 साल बाद क्या होगी कीमत?
राघव की उम्र 25 साल है. उन्होंने निजी कंपनी में नौकरी करनी शुरू की. उन्हें पता चला कि 58 साल की उम्र पर उन्हें 7000 रुपए मंथली मिलेंगे. यदि हम महंगाई दर कम से कम 4 फीसदी रखते हैं तो...आज के समय में वे 7000 रुपए में कोई जितना सामान खरीद पाएंगे उसके लिए 33 साल बाद करीब 30,000 रुपए खर्च करने पड़ेंगे. यानी आज का 7000 उस वक्त करीब 1900 रुपए के बराबर होगा. अब सोचिए कि 1900 रुपए की पेंशन में राघव क्या करेंगे?
1250 रुपए म्युचुअल फंड में लगाते तो मिलता 55 लाख
मान लीजिए कि राघव 1250 रुपए पेंशन में न देकर SIP में लगाते तो 33 साल बाद 55,00000 रुपए का फंड बनता. इसे ये एफडी में निवेश कर देते तो मंथली 30 हजार रुपए मिलते जो EPFO के पेंशन से 4 गुना से भी ज्यादा है. हालांकि म्युच्युअल फंड में रिस्क भी है जबकि EPFO में ऐसा नहीं है.
1250 NPS में लगाते हैं तो...
यदि राघव 1250 रुपए नेशनल पेंशन सिस्टम यानी NPS में लगाते हैं तो इन्हें 33 साल बाद 17 लाख रुपए से ज्यादा का मैच्योरिटी अमाउंट मिलेगा और 6 लाख 83,000 रुपए से ज्यादा पेंशन में चला जाएगा. उस वक्त अनुमानित 4000 के आसपास रुपए के करीब मंथली पेंशन मिलेगी. यदि 17 लाख रुपए राघव एफडी में लगा देते हैं तो 4000 रुपए महीने का ब्याज मिलेगा. ऐसे ये 8000 रुपए के आसपास महीने का इंतजाम करने के साथ इसी पैसे से एफडी में 17 लाख की एक बड़ी रकम भी इकट्ठा कर पाते हैं.
क्या ये सब संभाव है?
दरअसल EPFO में पेंशन कंट्रीब्यूशन मेंडेटरी है. ये पैसे आप निकाल भी नहीं सकते हैं. पेंशन में कंट्रीब्यूशन के बाद भी उसे निकालने के नियम हैं. लंबे समय तक काम करने के बाद इसे नहीं निकाला जा सकता है. इसकी पूरी गणित यहां समझें.
न्यूनतम पेंशन बढ़ाने को लेकर मांग तेज
न्यूनतम पेंशन बढ़ाने को लेकर ट्रेड यूनियन की मांग तेज हो गई है. पिछले दिनों संसद में सरकार ने कर्मचारी संगठनों की मांग से जुड़े सवाल पर बताया कि मार्च 2025 के आंकड़ों के मुताबिक हर दूसरे पेंशनभोगी को 1,500 रुपये प्रति माह से कम पेंशन मिलती है. 31 मार्च, 2025 तक इस योजना के तहत कुल 81,48,490 पेंशनभोगियों में से केवल 53,541 यानी 0.65 फीसदी को ही 6,000 रुपये से अधिक मासिक पेंशन मिलती है. यहां समझें EPFO के पेंशन की हर एक डिटेल
न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाने की मांग
कर्मचारी संगठन न्यूनतम मासिक पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. इसे 9,000 रुपये करने की मांग उठने लगी है. वहीं पेंशन कैलकुलेशन के लिए अधिकम बेसक+डीए को 15000 से बढ़ाने की भी मांग हो रही जिससे पेंशन कंट्रीब्यूशन बढ़ेगा ताकि बुढ़ापे में पेंशन इतना मिल सके.
EPFO का एक नियम ये भी
FP और EPS यानी पेंशन कैलकुलेशन को लेकर EPFO का एक नियम और भी है. वे यदि EPS-95 स्कीम के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों राजी हो जाएं तो सीलिंग (बेसिक+DA=15000) से ऊपर एक्चुअल सैलरी पर EPFO और EPS में कंट्रीब्यूशन किया जा सकता है. इसे ज्वॉइंट ऑप्शन ऑफ हायर पेंशन (Joint Option for Higher Pension) कहते हैं. हालांकि इस मामले में अधिकांश में नियोक्ता अपनी रजामंदी नहीं देते हैं क्योंकि इससे उनका कंट्रीब्यूशन भी बढ़ जाता है जिससे उनपर आर्थिक भार बढ़ता है.
कुल मिलाकर EPFO कर्मचारियों को पेंशन तो देता है पर वो ऊंट के मुंह में जीरा है. इससे रिटायरमेंट में कितनी मदद मिलेगी ये एक बड़ा सवाल है.
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