Chapra Chutney Recipe: छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले की चपड़ा चटनी सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति और सेहत का खजाना है. लाल चींटियों और उनके अंडों से बनी यह चटनी न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि स्थानीय लोग इसे डेंगू, मलेरिया और कई बीमारियों से बचाव का पारंपरिक नुस्खा भी मानते हैं. हालांकि वैज्ञानिक प्रमाणों का अभाव है, फिर भी आदिवासी समुदाय में इसकी लोकप्रियता बरकरार है. आइए जानते हैं, क्या है इस चटनी की सीक्रेट रेसिपी और इसके फायदे.
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चपड़ा चटनी क्या है?
‘चपड़ा’ का मतलब स्थानीय भाषा में चींटी होता है. यह चटनी लाल चींटियों और उनके अंडों से तैयार की जाती है, जो बस्तर के साल और आम के जंगलों में पाए जाते हैं. ये चींटियां पत्तों को मोड़कर घोंसले बनाती हैं और अपने आक्रामक स्वभाव के लिए जानी जाती हैं. इनके काटने से तेज दर्द हो सकता है, लेकिन इन्हीं से बनी चटनी स्वाद और सेहत का अनोखा मेल है.
कैसे बनती है चपड़ा चटनी?
चपड़ा चटनी बनाने की प्रक्रिया सरल लेकिन अनोखी है. यहां है इसकी रेसिपी:
- चींटियों का संग्रह: लाल चींटियों और उनके अंडों को घोंसलों से सावधानीपूर्वक इकट्ठा किया जाता है.
- भूनना या सुखाना: ताजी चींटियों को हल्का भून लिया जाता है या धूप में सुखाया जाता है. सूखी चींटियों को हल्की आंच पर सेंककर स्वाद बढ़ाया जाता है.
- मसाले तैयार करना: लाल मिर्च, हरी मिर्च, लहसुन, धनिया और पुदीना को तेल में हल्का भून लिया जाता है.
- पीसना: चींटियों, अंडों और भुने मसालों को स्वादानुसार नमक के साथ पीस लिया जाता है. राई के तेल की कुछ बूंदें डालने से तीखापन और स्वाद बढ़ जाता है.
- परोसना: चटनी को चावल या पसंदीदा खाने के साथ परोसा जाता है.
नोट: पहली बार खाने वालों को इसकी तीखी प्रकृति के कारण थोड़ी मात्रा से शुरुआत करनी चाहिए. कीटजन्य चीजों से एलर्जी होने पर इसे न खाएं.
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चपड़ा चटनी के स्वास्थ्य लाभ
बस्तर के आदिवासी इस चटनी को सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी खाते हैं. यहां हैं इसके कुछ पारंपरिक लाभ:
रोग प्रतिरोधक क्षमता: चींटियों में मौजूद फॉर्मिक एसिड सर्दी-जुकाम और बुखार से बचाव में मदद करता है.
प्रोटीन का खजाना: चींटी और उनके अंडे उच्च गुणवत्ता वाला प्रोटीन प्रदान करते हैं, जो मांसाहारी भोजन की कमी को पूरा करता हैं.
पाचन में सुधार: मसाले और प्राकृतिक एंजाइम भूख बढ़ाते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं.
दर्द से राहत: लोक मान्यताओं के अनुसार, यह चटनी गठिया और जोड़ों के दर्द में राहत देती है, क्योंकि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं.
सर्दी-खांसी में फायदा: बच्चों और बुजुर्गों में खांसी या गले की खराबी के लिए इसे घरेलू नुस्खे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
त्वचा के लिए लाभ: कुछ लोग इसे फोड़े-फुंसी या खुजली के लिए बाहरी उपचार के रूप में भी लगाते हैं.
क्यों खास है चपड़ा चटनी?
चपड़ा चटनी बस्तर की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है. यह न केवल स्थानीय लोगों के खानपान को दर्शाती है, बल्कि उनकी प्रकृति के साथ गहरी जुड़ाव को भी दिखाती है. इसका तीखा स्वाद और अनोखा अंदाज एक बार चखने के बाद आपके मुंह में पानी ला देगा. बस्तर की इस चटनी का स्वाद लेने के लिए आपको वहां की संस्कृति को करीब से जानना होगा.
इनपुट- कुंज आर्य (न्यूज तक के साथ इंटर्न)
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