Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बीजापुर से एक बड़ी खबर सामने आई है, जो नक्सलवाद के खिलाफ चल रही जंग में मील का पत्थर साबित हो सकती है. शुक्रवार को 13 इनामी नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने हथियार डाल दिए और मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया. इनमें 8 लाख रुपये की इनामी नक्सली देवे मुछाकी उर्फ प्रमिला जैसे बड़े नाम शामिल हैं. सरकार की पुनर्वास नीतियों और विकास योजनाओं पर भरोसा जताते हुए इन नक्सलियों ने नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया है. आइए, जानते हैं आखिर क्यों हो रही इस सरेंडर की खूब चर्चा?
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नक्सलियों का सरेंडर: एक नई शुरुआत
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सुरक्षाबलों को नक्सलवाद के खिलाफ बड़ी कामयाबी मिली है. 13 नक्सलियों ने पुलिस और अर्धसैनिक बलों के सामने सरेंडर कर दिया. ये नक्सली पश्चिम बस्तर, आंध्र-ओडिशा बॉर्डर (एओबी) और धमतरी-गरियाबंद-नुआपाड़ा डिवीजन में सक्रिय थे. इनमें से कई पर लाखों रुपये का इनाम था.
सरेंडर करने वालों में देवे मुछाकी उर्फ प्रमिला (8 लाख रुपये का इनाम), कोसा ओयाम उर्फ महेश (5 लाख रुपये का इनाम) और कोसी पोड़ियम (2 लाख रुपये का इनाम) जैसे बड़े नक्सली शामिल हैं. ये नक्सली पीपुल्स लिबरेशन गोरिल्ला आर्मी (PLGA), लोकल ऑपरेटिंग स्क्वॉड (LOS) और मिलिशिया प्लाटून के सदस्य थे, जो 2000 से 2004 के बीच नक्सली गतिविधियों में सक्रिय रहे.
क्यों चुनी मुख्यधारा?
इन नक्सलियों ने सरेंडर के पीछे कई वजहें बताई हैं:
नक्सली विचारधारा से मोहभंग: नक्सलियों ने माना कि वे अब इस हिंसक विचारधारा में विश्वास नहीं रखते.
आंतरिक कलह और अविश्वास: नक्सली संगठनों में आपसी झगड़े और विश्वास की कमी ने उन्हें मुख्यधारा की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया.
सरकारी योजनाओं पर भरोसा: केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीतियों और विकास कार्यों ने नक्सलियों को नई जिंदगी की उम्मीद दी.
विकास का असर: नक्सल प्रभावित इलाकों में सड़क, बिजली, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाओं ने उन्हें सरेंडर के लिए प्रेरित किया.
‘नियद नेल्लानार’ योजना की भूमिका
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार की ‘नियद नेल्लानार’ योजना को इस सरेंडर में अहम भूमिका दी जा रही है. इस योजना के तहत नक्सल प्रभावित गांवों में विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है. गांवों में बैंक सेवाएं, मुफ्त बिजली, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य केंद्र और मुफ्त गैस सिलेंडर जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं. इन सुविधाओं ने नक्सलियों को यह विश्वास दिलाया कि मुख्यधारा में लौटकर वे बेहतर जिंदगी जी सकते हैं.
नक्सल मुक्त भारत का सपना
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2026 तक भारत को नक्सल मुक्त करने का संकल्प लिया है. इस दिशा में छत्तीसगढ़ में हो रहे सरेंडर और विकास कार्य अहम कदम हैं. नक्सलियों को मुख्यधारा में लाकर उन्हें देश के विकास में भागीदार बनाया जा रहा है.
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