महाराष्ट्र में बिन सीएम तय हो गई शपथ ग्रहण की तारीख, सामने आई ये जानकारी

Maharashtra: मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस की एक वजह जातीय समीकरण और सहयोगी दलों को संतुष्ट करना भी है. भाजपा हाईकमान इस पर कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता. इसी कारण मुंबई से दिल्ली तक लगातार बैठकें हो रही हैं.

Devendra Fadnavis, Amit Shah and Eknath Shinde.

देवेन्द्र फडणवीस, अमित शाह और एकनाथ शिंदे

शुभम गुप्ता

• 03:50 PM • 30 Nov 2024

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Maharashtra Next CM: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के चेहरे पर अब भी सस्पेंस बना हुआ है, लेकिन शपथ ग्रहण समारोह की तारीख सामने आ चुकी है. भाजपा सूत्रों के अनुसार, 2 दिसंबर को भाजपा विधायकों की बैठक होगी, जिसमें विधायक अपने नेता का चुनाव करेंगे. इसके बाद 5 दिसंबर को दोपहर 1 बजे मुंबई के आजाद मैदान में मुख्यमंत्री शपथ लेंगे. इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत भाजपा के कई दिग्गज नेता और मुख्यमंत्री शामिल हो सकते हैं. 

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शिवसेना की गृह मंत्रालय की मांग  

सरकार के गठन को लेकर महायुति के नेताओं के बीच लगातार बातचीत जारी है. इसी बीच, एकनाथ शिंदे की शिवसेना की पहली बड़ी मांग सामने आई है. शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने गृह मंत्रालय की मांग करते हुए कहा कि यह विभाग शिवसेना को मिलना चाहिए. आमतौर पर गृह मंत्रालय उपमुख्यमंत्री के पास होता है. इस मांग के चलते भाजपा और शिवसेना गुटों के बीच मंथन और तेज हो गया है. 

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महायुति में मंत्री पद का बंटवारा  

सूत्रों के अनुसार, सरकार में विभागों के बंटवारे के लिए "छह विधायकों पर एक मंत्री पद" का फॉर्मूला अपनाने पर विचार हो रहा है. इस आधार पर भाजपा को 21-22, शिंदे गुट को 10-12, और अजित पवार एनसीपी गुट को 8-9 मंत्रालय मिल सकते हैं. महाराष्ट्र कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित 43 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते, इसलिए सभी दलों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश जारी है.  

महायुति की ऐतिहासिक जीत  

288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में महायुति ने इस बार 233 सीटों पर प्रचंड जीत दर्ज की. भाजपा ने 132 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि शिंदे गुट को 57 और अजित पवार की एनसीपी को 41 सीटें मिलीं. विपक्षी महाविकास अघाड़ी महज 49 सीटें जीतने में सफल रही. इसमें उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 20, कांग्रेस ने 16, और शरद पवार की एनसीपी ने 10 सीटें जीतीं.  

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जातीय समीकरण और बैठकों का दौर  

मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस की एक वजह जातीय समीकरण और सहयोगी दलों को संतुष्ट करना भी है. भाजपा हाईकमान इस पर कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता. इसी कारण मुंबई से दिल्ली तक लगातार बैठकें हो रही हैं. माना जा रहा है कि भाजपा किसी भी निर्णय से पहले सभी सहयोगी दलों को विश्वास में लेना चाहती है. अब देखना यह है कि शपथ ग्रहण समारोह में किसका नाम मुख्यमंत्री के रूप में घोषित किया जाएगा.

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