खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति से जुड़ी टिप्पणी करने के बाद उठे विवाद पर चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई से खुद ही सफाई दी है. सीजीआई(CJI) ने सोशल मीडिया पर हो रही अपनी आलोचना पर अपनी बात रखते हुए कहा कि मैं हर धर्म का सम्मान करता हूं. उन्होंने कहा कि, मुझे बताया गया है कि मेरी टिप्पणी पर कुछ लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहें है और इसलिए मैंने स्पष्टीकरण दिया है.
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CJI को मिला केंद्र सरकार के वकील का साथ
इस मामले में CJI बी. आर. गवई को केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का समर्थन मिला है. उन्होंने कहा कि, वे उन्हें(CJI) 19 साल से जानते हैं. लेकिन यह मामला गंभीर है. हालांकि न्यूटन के नियम के मुताबिक हर एक्शन के अपोजिट रिएक्शन होता है. लेकिन अब इस एक्शन की सोशल मीडिया पर अनुचित रिएक्शन नजर आते है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने विशेष तौर पर यह भी कहा कि चीफ जस्टिस गवई हर धर्म से जुड़े स्थान पर जाते हैं.
वहीं इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता संजय नुली ने भी गलत सोशल मीडिया पोस्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त किया. उन्होंने भी यह स्पष्ट किया कि सीजेआई ने कभी भी वह नहीं कहा जिसके लिए उनकी आलोचना की जा रही है.
सोशल मीडिया एक बेलगाम घोड़ा- सिब्बल
इसी बात पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोशल मीडिया को 'बेलगाम घोड़ा' का टैग दे दिया है. कपिल सिब्बल ने यह भी कहा कि इसका खामियाजा हम हर रोज भुगतते है. मुख्य न्यायाधीश ने नेपाल के मौजूदा हालात को देखते हुए कहा कि, वहां जो कुछ हुआ उसके पीछे सोशल मीडिया भी एक वजह है.
न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन ने भी सोशल मीडिया के अपने एक अनुभव को साझा करते हुए इसके दुष्प्रभाव पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया वास्तव में एंटी सोशल मीडिया है.
आखिर क्या है CJI का बयान?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब CJI गवई की पीठ ने एक याचिका को खारिज कर दिया. इस याचिका में मध्य प्रदेश के खजुराहो में जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की 7 फुट ऊंची मूर्ति को दोबारा स्थापित करने की मांग की गई थी. इस दौरान CJI गवई ने याचिकाकर्ता से कथित तौर पर कहा था, "यह पूरी तरह से प्रचार के लिए दायर की गई याचिका है. जाइए और भगवान से खुद कुछ करने के लिए कहिए. अगर आप भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त हैं, तो आप प्रार्थना और ध्यान कीजिए." CJI ने यह भी कहा कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकार क्षेत्र में आता है.
VHP ने वाणी पर संयम रखने की दी सलाह
इस मामले में विश्व हिंदु परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X(पहले ट्विटर) पर ऑफिशियल हैंडल से एक पोस्ट किया. इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि, न्यायालय न्याय का मंदिर है. भारतीय समाज की न्यायालयों में श्रद्धा और विश्वास है. हम सब का कर्तव्य है कि अपनी वाणी में संयम रखें. विशेष तौर पर न्यायालय के अंदर. यह जिम्मेवारी मुकदमा लड़ने वालों की है, वकीलों की है और उतनी ही न्यायाधीशों की भी है.
यहां देखें VHP का पोस्ट
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