Ex-Terrorist on Pahalgam Attack: 22 अप्रैल 2025, वो दिन जब पूरा देश एकबार फिर रोया. कोई रोया अपने भाई के लिए, कोई अपने बेटे के लिए, तो किसी ने आतंकवादियों को कहा कि मुझे भी मार दो. विनय नरवाल की पत्नी हो या शुभम द्विवेदी की पत्नी या मारे गए हर एक इंसान के परिवार वालों के मन में एक ही सवाल है कि "क्यों मारा"? इसी बीच आज तक की टीम एक ऐसे शख्स से मिली जो कभी आतंकवादी हुआ करते थे.
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आज तक की टीम जम्मू-कश्मीर के रियासी पहुंच मोहम्मद कालू से खास बातचीत की जो 4 साल तक इसी राह पर थे और वे हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करते थे. मोहम्मद कालू ने बड़े आराम से इस मुद्दे पर बात किया और पहलगाम हमले पर दुख भी जताया. साथ ही उन्होंने आतंकवादियों का हिसाब-किताब कैसे किया जाए ये भी बताया.
कौन है Ex-Terrorist मोहम्मद कालू?
कभी हिजबुल मुजाहिदीन के साथ आतंकवाद का रास्ता चुनने वाले मोहम्मद कालू, जिन्हें शाकिर के नाम से जाना जाता था, आज एक बदले हुए इंसान हैं. करीब 20 साल पहले सरेंडर करने के बाद, वे अब न केवल शांति की राह पर हैं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते हुए हिंदुस्तान के प्रति अपनी वफादारी जता रहे हैं. उन्होंने आतंकवाद के पुराने और नए चेहरों, पाकिस्तान की भूमिका और जम्मू-कश्मीर में शांति की जरूरत पर खुलकर बात की.
पर्यटकों पर हमले की कड़ी निंदा
हाल के दिनों में जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों पर हुए हमलों ने कालू को गहरे तक आहत किया है. उन्होंने कहा “पर्यटक हमारे मेहमान हैं. वे हमारे मुल्क को देखने आते हैं, उनकी वजह से हमारी रोजी-रोटी चलती है. फिर उन पर हमला क्यों?”. वे कहते हैं कि ऐसे हमले करने वाले इंसान नहीं, बल्कि इंसानियत के दुश्मन हैं. कालू ने हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी समुदायों से एकजुट होने की अपील की, ताकि आतंकवाद का मुकाबला किया जा सके.
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हिजबुल मुजाहिदीन से सरेंडर तक का सफर
मोहम्मद कालू ने बताया कि वे चार साल तक हिजबुल मुजाहिदीन के साथ सक्रिय रहे. इस दौरान उन्होंने अपने इलाके में किसी भी तरह की हिंसक घटना को न तो अंजाम दिया और न ही किसी और को करने दिया. “मैं ज्यादातर गैर-मुस्लिमों के घरों में रहता था, उनके साथ खाना खाता था. मेरे लिए सब एक जैसे थे,” उन्होंने कहा. करीब 20 साल पहले सरेंडर करने के बाद, कालू ने पुलिस और सेना के साथ मिलकर कई आतंकवादियों को सरेंडर करवाने में मदद की. आज वे अपने परिवार के साथ रियासी में शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं और स्थानीय प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं.
आतंकवाद का बदला चेहरा
कालू के मुताबिक, उनके समय का आतंकवाद और आज का आतंकवाद पूरी तरह अलग है. पहले यह अनपढ़ी और शानो-शौकत के चलते फैलता था, लेकिन आज की घटनाएं, जैसे कि पहलगाम में पर्यटकों पर हमले, उन्हें गहरे दुख देती हैं. “ये इंसानियत के खिलाफ है. जो पर्यटक हमारे मेहमान बनकर आते हैं, उनके पास हथियार नहीं होते. फिर उन पर हमला क्यों?” वे भावुक होकर कहते हैं. कालू ने आतंकवादियों को संदेश दिया, “तुम्हारे भी बच्चे, बीवियां, मां-बहनें हैं. दूसरों के भाइयों पर गोली चलाने से पहले सोचो.”
पाकिस्तान और चीन ने बढ़ाया आतंकवाद
मोहम्मद कालू ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान और चीन की भूमिका पर सख्त टिप्पणी की. पूर्व आतंकवादी ने कहा “पाकिस्तान का तो काम ही यही है. वहां भूख से लोग मर रहे हैं, फिर भी वे आतंकवाद फैलाने में लगे हैं. चीन भी उनके साथ है. दोनों मिलकर जम्मू-कश्मीर को बर्बाद कर रहे हैं”. कालू ने यह भी बताया कि उन्होंने कभी सीमा पार नहीं की, लेकिन उन्हें स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया गया था. सरेंडर के बाद उन्होंने सुरक्षाबलों को आतंकवादियों के रास्तों और ठिकानों की पूरी जानकारी दी.
आतंकवाद के खात्मे का प्लान
कालू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक खास अपील की. उन्होंने कहा, “अगर गुर्जर-बकरवाल समुदाय के लिए एक रेजिमेंट बनाई जाए, तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद छह महीने में खत्म हो सकता है. हमें हर पहाड़ी, हर रास्ते की जानकारी है. हमारी नेतृत्व क्षमता का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता?” वे मानते हैं कि स्थानीय समुदाय की ताकत और एकता आतंकवाद को जड़ से उखाड़ सकती है.
भारत के लिए जान भी देने को तैयार
आज मोहम्मद कालू का दिल हिंदुस्तान के लिए धड़कता है. “यहां हमें आजादी है, जो दुनिया के किसी और मुल्क में नहीं। चाहे कोई टोपी पहने, धोती पहने या चोटी रखे, हमें अपनी मर्जी से जीने की आजादी है,” वे गर्व से कहते हैंय कालू ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए कहा, “वहां लोग भूख से मर रहे हैं, फिर भी वे आतंकवाद फैलाने में लगे हैं. हम अपने मुल्क के लिए जान दे सकते हैं.”
रियासी में शांति का संदेश
रियासी जिले में कालू आज एक सम्मानित व्यक्ति हैं. स्थानीय पुलिस और सेना के साथ उनका सहयोग जगजाहिर है. “रात के 12 बजे भी अगर पुलिस या आर्मी बुलाए, हम तैयार हैं,” वे कहते हैं. कालू का मानना है कि जम्मू-कश्मीर में शांति के लिए एकता और सतर्कता सबसे जरूरी है. वे बॉर्डर पर और सख्ती की वकालत करते हैं, ताकि बाहरी ताकतें आतंकवाद को बढ़ावा न दे सकें.
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