SIR Voter List: SIR(Special Intensive Revision) ने बिहार में चुनाव से पहले राजनीति को खूब गर्म कर दिया. इस दौरान पक्ष-विपक्ष का एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला, जिसमें राहुल गांधी ने वोट चोरी का मुद्दा भी उठाया. अब इसी SIR को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. विशेष सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूरे देश भर में अक्टूबर तक मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू होने के आसार है. इस प्रक्रिया के लिए सभी राज्यों और केद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों यानी सीईओ ने हरी झंडी दिखा दी है.
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तैयारियों में जुटा आयोग
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक निर्वाचन आयोग ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन आयोग के साथ एक सम्मेलन किया. इस सम्मेलन में सभी सीईओ से सलाह मशवरा के बाद अधिकारियों को 30 सितंबर तक तैयारियों को पूरी करने के लिए निर्देश दिए गए है. हालांकि आयोग अनौपचारिक रूप से इस बाबत पहले ही राज्यों के सीईओ से तालमेल बेहतर करने और तैयारियों का खाका तैयार करने को कह चुका है.
बिहार चुनाव से पहले हो सकती है घोषणा
आपको बता दें कि इस साल की शुरुआत से ही निर्वाचन आयोग द्वारा देश भर के बूथ लेवल अधिकारियों की ट्रेनिंग के कई स्तरीय दौर चले है. मुख्य निर्वाचन आयुक्त(CEC) का पद संभालते ही ज्ञानेश कुमार ने आयोग को सक्रिय करते हुए कई स्तरों पर बदलाव, सुधार और समन्वय के कई कार्य समानांतर शुरू किए हैं. निर्वाचन आयोग में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बिहार चुनाव खत्म होने से पहले ही हो सकती है देशव्यापी SIR की घोषणा हो सकती है.
सूत्रों के मुताबिक सम्मेलन सह कार्यशाला में सभी सीईओ से पूछा गया था कि वो कब तक SIR के लिए तैयारी पूरी कर सकते हैं? अधिकतर अधिकारियों ने कहा कि सितंबर तक सभी बुनियादी तैयारियां पूरी की जा सकती हैं. आयोग के इस विशिष्ट आयोजन में राज्यों के सीईओ के समक्ष विभिन्न सत्रों में SIR की तैयारियों सहित साढ़े तीन घंटे से अधिक के प्रेजेंटेशन दिए गए.
आयोग ने दिए ये निर्देश
आयोग ने अलग अलग राज्यों के मुख्य निर्वाचन आधिकारियों को वहां होने वाले विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए मतदाताओं की तस्दीक के लिए जमा कराए जाने वाले सनदी प्रमाणपत्रों की सूची बनाने को भी कहा गया है. ये सूची राज्य में स्थानीय स्तर पर मान्य सहज उपलब्ध दस्तावेजों पर अधित होगी. अलग-अलग राज्यों में दस्तावेजों के नाम और प्रकार होंगे. जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में, उत्तर पूर्वी समीवर्ती राज्यों में, पाक, बांग्लादेश और म्यांमार से सटे राज्यों में, समुद्र तटीय राज्यों में कई जगह पहचान और आवास के विशिष्ट प्रमाणपत्र भी होते हैं. कई जगह क्षेत्रीय स्वायत्त बोर्ड और निकाय भी ऐसे प्रमाण पत्र जारी करते हैं.
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