गुजरात में कांग्रेस के हालिया अधिवेशन ने न सिर्फ सियासी हलचलें तेज की हैं, बल्कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के भीतर भी नए समीकरणों की आहट दे दी है. इस अधिवेशन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को उनके गढ़ गुजरात में सीधी चुनौती दी. राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को "बब्बर शेर" कहकर ललकारते हुए अगले विधानसभा चुनाव में बीजेपी को "घुस कर हराने" की हुंकार भरी है.
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इस आक्रामक तेवर से शिवसेना (उद्धव गुट) खासा प्रभावित नजर आ रही है. अपने मुखपत्र 'सामना' में शिवसेना ने कांग्रेस की रणनीति और राहुल गांधी की भाषण शैली की तारीफ की. पार्टी ने लिखा कि जैसे कभी संसद में बीजेपी नेता मोदी के स्वागत में “शेर आया शेर आया” के नारे लगाते थे, वैसे ही अब राहुल गांधी "बब्बर शेर" बनकर उभरे हैं.
बीजेपी की रणनीति पर तंज
शिवसेना ने राहुल गांधी की मोदी सरकार पर की गई टिप्पणियों का समर्थन किया. 'छप्पन इंच के सीने' वाले बयान पर कटाक्ष करते हुए सामना में सवाल उठाया गया कि अब वो आवाजें क्यों नहीं सुनाई दे रही हैं? टैरिफ और ट्रंप से जुड़ी चुप्पी पर भी पार्टी ने मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया.
'इंडिया' गठबंधन की राजनीति और शिवसेना की चिंता
हालांकि शिवसेना ने कांग्रेस के अधिवेशन की तारीफ की, लेकिन उन्होंने यह भी चिंता जताई कि इसमें ‘इंडिया’ गठबंधन की बात नहीं हुई. शिवसेना ने सवाल किया कि क्या कांग्रेस अब अकेले चलने का मन बना चुकी है? दिल्ली में आम आदमी पार्टी और हरियाणा में जेजेपी के साथ टूटे तालमेल की ओर इशारा करते हुए शिवसेना ने याद दिलाया कि जब विपक्ष एकजुट नहीं होता, तो केजरीवाल जैसी हारें सामने आती हैं.
बीएमसी चुनाव और बदलते राजनीतिक समीकरण
शिवसेना की नजर मुंबई के आगामी बीएमसी चुनावों पर भी है, जहां मुस्लिम वोटर्स निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ऐसे में पार्टी ने संकेत दिया है कि कांग्रेस से गठजोड़ उन्हें लाभ पहुंचा सकता है. हालांकि पहले शिवसेना अकेले चुनाव लड़ने की बात कह चुकी है, लेकिन अब बदलते माहौल में कांग्रेस के साथ आना फायदे का सौदा माना जा रहा है.
राहुल बनाम ममता और विपक्ष का नेतृत्व
सामना में यह भी उल्लेख हुआ कि पहले शिवसेना खुद ममता बनर्जी को 'इंडिया' गठबंधन की कमान सौंपने के पक्ष में थीं, लेकिन अब वही शिवसेना मानती है कि राहुल गांधी कांग्रेस के भीतर नेतृत्व स्थापित कर चुके हैं और उन्हें ही फ्रंट का नेतृत्व करना चाहिए.
गुजरात की लड़ाई और केंद्र की सत्ता
शिवसेना ने कांग्रेस को सुझाव दिया कि अगर केंद्र में बीजेपी को सत्ता से हटाना है, तो पहले उसकी जड़ गुजरात से उखाड़नी होगी. इसके लिए कांग्रेस को अकेले नहीं, बल्कि आम आदमी पार्टी जैसे अन्य दलों का साथ लेना पड़ेगा.
कुल मिलाकर, गुजरात अधिवेशन ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है और विपक्षी खेमे में हलचल मचाई है. शिवसेना के सुर बदलते नजर आ रहे हैं, और राहुल गांधी के प्रति रुख में नरमी के संकेत मिल रहे हैं. अब देखना होगा कि यह मेलजोल बीएमसी चुनाव और आने वाले लोकसभा चुनाव तक कायम रहता है या नहीं.
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