क्या प्रशांत किशोर का दावा होगा सच...बिहार चुनाव में इस बार जनता नहीं होने देगी ऐसा?
Vijay Factor: बिहार की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है. 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. इस बीच, राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज पार्टी के साथ बिहार में नया विकल्प देने की बात कर रहे हैं.
ADVERTISEMENT

Vijay Factor: बिहार की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है. 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं. इस बीच, राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर अपनी जन सुराज पार्टी के साथ बिहार में नया विकल्प देने की बात कर रहे हैं. उनके हालिया इंटरव्यू सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर छाए हुए हैं. प्रशांत किशोर का दावा है कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है और इस बार नीतीश कुमार का सियासी सफर खत्म होने वाला है. आइए जानते हैं, क्या है प्रशांत किशोर का प्लान और क्यों हो रही है इतनी चर्चा.
नीतीश कुमार का सियासी अंत?
प्रशांत किशोर अपने हर इंटरव्यू में नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे हैं. उनकी मानें तो नवंबर 2025 के चुनाव के बाद नीतीश कुमार बिहार की सियासत से बाहर हो जाएंगे. प्रशांत का कहना है कि नीतीश अब मुख्यमंत्री नहीं रह पाएंगे, चाहे वो किसी भी गठबंधन के साथ हों. वे नीतीश को सत्ता के लिए लालची बताते हैं और कहते हैं कि बिहार की जनता अब उनसे ऊब चुकी है. प्रशांत ने तो ये भी कहा कि नीतीश पिछले चुनाव में सिर्फ 42 सीटें जीतकर भी मुख्यमंत्री बने, लेकिन इस बार जनता ऐसा नहीं होने देगी.
त्रिकोणीय मुकाबले का दावा
प्रशांत किशोर को लगता है कि बिहार में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला होगा. उनकी जन सुराज पार्टी सभी 243 सीटों पर मजबूती से लड़ेगी. वे मानते हैं कि न तो एनडीए अपने दम पर सत्ता में आएगी और न ही लालू प्रसाद यादव की आरजेडी को जनता चुनेगी. प्रशांत का अनुमान है कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति बनेगी, जिसमें उनकी पार्टी की भूमिका अहम होगी. वे कहते हैं कि जनता न लालू के “जंगल राज” को चाहती है और न ही नीतीश के “अधिकारी राज” को. ऐसे में जन सुराज एक नया विकल्प बनकर उभरेगी.
यह भी पढ़ें...
अरविंद केजरीवाल की राह पर प्रशांत?
प्रशांत किशोर की बातों में कई बार 2013-14 के अरविंद केजरीवाल की झलक दिखती है. जिस तरह केजरीवाल ने दिल्ली में सत्ता को चुनौती दी थी, उसी तरह प्रशांत बिहार में पुरानी पार्टियों को हटाने की बात कर रहे हैं. वे कहते हैं कि उनकी पार्टी सत्ता की “मास्टर चाबी” अपने पास रखेगी. हालांकि, वे ये भी मानते हैं कि बिहार की सियासत दिल्ली से अलग है. दिल्ली में जाति की भूमिका कम थी, लेकिन बिहार में जाति का समीकरण बड़ा रोल निभाता है. फिर भी, प्रशांत को भरोसा है कि उनकी पार्टी इस बार गेम चेंजर साबित होगी.
नीतीश और लालू पर तीखा हमला
प्रशांत किशोर का कहना है कि नीतीश और लालू दोनों ने बिहार को सिर्फ निराश किया है. वे नीतीश पर सुशासन के नाम पर “अधिकारी राज” चलाने का आरोप लगाते हैं. उनका कहना है कि नीतीश अब फैसले लेने की स्थिति में नहीं हैं और उनकी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी है. दूसरी तरफ, लालू के “जंगल राज” से भी जनता तंग आ चुकी है. प्रशांत का दावा है कि उनकी पार्टी इन दोनों से अलग एक नया रास्ता दिखाएगी, जिसमें शिक्षा, रोजगार और विकास पर ध्यान होगा.
क्या होगा जन सुराज का भविष्य?
प्रशांत किशोर को भरोसा है कि उनकी पार्टी नीतीश कुमार और एनडीए को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी. वे कहते हैं कि जनता बदलाव चाहती है, लेकिन वो लालू को दोबारा मौका नहीं देगी. प्रशांत का मानना है कि अगर त्रिशंकु विधानसभा बनी, तो उनकी पार्टी सत्ता की चाबी अपने पास रखेगी. लेकिन क्या बिहार की जटिल जातिगत सियासत में जन सुराज जगह बना पाएगी? ये सवाल अभी अनसुलझा है. प्रशांत को लगता है कि अगर इस बार पूरी जीत नहीं मिली, तो दोबारा चुनाव में जनता उन्हें मजबूत विकल्प के तौर पर चुनेगी.
प्रशांत किशोर का लेटेस्ट इंटरव्यू:
बिहार की जनता क्या चाहती है?
प्रशांत किशोर बार-बार कह रहे हैं कि बिहार की 60% से ज्यादा जनता बदलाव चाहती है. उनका कहना है कि लोग न तो नीतीश के सुशासन से खुश हैं और न ही लालू के पुराने राज से. बिहार का विकास, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर प्रशांत फोकस कर रहे हैं. वे कहते हैं कि नीतीश के 20 साल के शासन में बिहार हर पैमाने पर पीछे रहा है. ऐसे में जनता अब एक नई शुरुआत चाहती है, और जन सुराज उसकी आवाज बनेगी.
देखे वीडियो