Exclusive interview: शराबबंदी से लेकर चुनावी वादों तक, प्रशांत किशोर का तीखा सवाल, कहा- यह दिखावा बिहार में क्यों?
Exclusive interview: बिहार में शराबबंदी, महिला सशक्तिकरण और चुनावी वादों पर प्रशांत किशोर ने तीखे सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि अगर नीतियां सच में लाभकारी हैं तो उन्हें पूरे देश में लागू किया जाए, सिर्फ बिहार में ही क्यों?
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न्यूज़ हाइलाइट्स

बिहार में शराबबंदी कागजी है, जमीन पर होम डिलीवरी खुलेआम जारी है.

अगर शराबबंदी इतनी फायदेमंद है, तो पूरे देश में लागू क्यों नहीं?

ढाई हजार महीना देना संभव नहीं, योजना बजट से डेढ़ गुना ज्यादा.
बिहार में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों ने अभी से राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए जहां सत्ता में दोबारा वापसी के लिए पूरी ताकत झोंक रहा है, वहीं चुनावी रणनीति से पहचान बनाने वाले प्रशांत किशोर इस बार जनसुराज पार्टी के बैनर तले खुद चुनावी रण में उतरने जा रहे हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस ने भी बड़ा दांव चलते हुए कन्हैया कुमार को मैदान में उतारा है, जो लगातार प्रदेश का दौरा कर रहे हैं और बड़े बदलाव के वादे कर रहे हैं.
बिहार की राजनीति, एनडीए की स्थिति और कांग्रेस के दावों पर जनसुराज पार्टी के सूत्रधार और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर ने विस्तार से चर्चा की. यहां पढ़िए है इस खास इंटरव्यू का एक अंश…
प्रशांत किशोर शराबबंदी के खिलाफ क्यों हैं?
मिलिंद खांडेकर ने जब प्रशांत किशोर से शराबबंदी को लेकर सवाल पूछा और कहा कि आप कहते हैं कि शराबबंदी को हटाना चाहिए. लेकिन, इससे तो महिलाओं को शांति और सुकून मिला है, फिर इसे हटाने की मांग क्यों? इस पर प्रशांत किशोर ज्वाब देते हुए कहते हैं. शराबबंदी इसलिए हटाना चाहते हैं क्योंकि शराबबंदी बिहार में लागू ही नहीं है. शराब की दुकानें जरूर बंद हैं, लेकिन होम डिलीवरी पूरे बिहार में हो रही है. इस गलत शराबबंदी मॉडल की वजह से सरकार को 15 से 20 हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है और यह पैसा शराब माफिया, अफसरों और नेताओं की जेब में जा रहा है. बिहार में डीजल-पेट्रोल यूपी से 8-10 रुपए महंगे क्यों हैं? क्योंकि सरकार खोए हुए राजस्व की भरपाई जनता से कर रही है और सबसे बड़ा नुकसान—8 लाख से ज्यादा लोगों पर केस और एक लाख से ज्यादा लोग जेल में हैं, वो भी गरीब और वंचित तबके से.
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आगे प्रशांत किशोर कहते हैं अगर वाकई शराबबंदी से महिलाओं को सशक्तिकरण मिल रहा है तो फिर इसे पूरे देश में लागू क्यों नहीं करते? क्यों सिर्फ बिहार की महिलाओं को ‘अच्छी मिठाई’ दी जा रही है? "अगर ये पॉलिसी इतनी बढ़िया है, तो यूपी और पूरे देश में क्यों नहीं लागू करते?" उन्होंने सवाल उठाया कि अगर महिलाओं के फायदे के नाम पर शराबबंदी को सही ठहराया जा रहा है तो भाजपा शासित अन्य राज्यों या पूरे देश में इसे क्यों नहीं लागू किया गया? उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “क्या देश की महिलाओं को सशक्त नहीं करना चाहिए?”
महिलाओं को पैसे देकर वोट मांगना कितना सही?
मिलिंद सवाल पूछते हैं कि हाल में एक ट्रेंड चल पड़ा है - महिलाओं को पैसे देकर वोट लेना. अब आरजेडी ने भी घोषणा की है कि चुनाव जीतने पर महिलाओं को ₹2500 प्रति माह देंगे. एनडीए से भी ऐसी किसी योजना की उम्मीद है. आपकी राय? इस पर प्रशांत किशोर कहते हैं कि जो सरकार में हैं (एनडीए), अगर वो महिलाओं को पैसा देना चाहते हैं तो मैं उसका स्वागत करूंगा. लेकिन 18 साल से सत्ता में रहते हुए कुछ नहीं किया, और अब चुनाव से दो महीने पहले देंगे, तो साफ है-ये वोट खरीदने की कोशिश है. जहां तक आरजेडी की बात है, उनके नेता कुछ भी कह सकते हैं. तेजस्वी यादव कहते हैं कि हर महिला को ₹2500 देंगे. लेकिन क्या कभी गणित लगाया है? बिहार में लगभग 5 करोड़ महिलाएं हैं. उन्हें ₹2500 महीना देने पर सालाना खर्च करीब ₹1.5 लाख करोड़ होगा, जबकि राज्य का योजना बजट ही ₹1 लाख करोड़ है. तो इतनी बड़ी योजना कैसे चलाई जाएगी? पहले कैलकुलेटर तो चला लो.
"ऐसी बेहूदा बातें करने से पहले कम से कम गणना तो कर लो"
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट कहा कि देश के किसी भी राज्य के पास इतनी क्षमता नहीं कि वो हर महिला को हर महीने ₹2500 दे सके. “महाराष्ट्र जैसे समृद्ध राज्य भी सिर्फ ₹1000 दे रहे हैं, वह भी कंडीशनल. तमिलनाडु, कर्नाटक, अरुणाचल – सबने कोशिश की लेकिन वित्तीय हालात बिगड़ गए.” उन्होंने कहा कि अगर पत्रकार गंभीर सवाल पूछें तो ऐसे वादों की असलियत सामने आ सकती है. “₹1.5 लाख करोड़ की योजना, ₹1 लाख करोड़ के बजट में, कैसे चलेगी? गुणा तो कर लो भाई.”
यहां देखें पूरा इंटरव्यू :