संकटग्रस्त कछुओं के 3,267 नवजात लौटे अपने प्राकृतिक घर चंबल नदी में, नजारा रोमांचित करने वाला
News Tak Desk
02 Jun 2025 (अपडेटेड: Jun 2 2025 6:27 PM)
घड़ियालों, मगरमच्छ, डॉल्फिन के अलावा अब चंबल नदी में अब बाटागुर कछुओं के नवजातों की एक बड़ी संख्या को चंबल नदी में छोड़ गया है.
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नन्हे नवजातों से चहक उठी चम्बल नदी
धौलपुर की चम्बल नदी में पहली बार संकटग्रस्त बाटागुर प्रजाति के 3,267 नवजातों को छोड़ा गया. नन्हे कदमों की हलचल ने नदी में नई जान फूंकी.


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धौलपुर वन विभाग और TSA फाउंडेशन का संयुक्त मिशन
राजस्थान वन विभाग और TSA फाउंडेशन इंडिया ने मिलकर अंडों का संरक्षण कर ये मिशन सफल बनाया.
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बाटागुर प्रजाति: संकट में लेकिन उम्मीद बाकी है
बाटागुर प्रजाति IUCN की रेड लिस्ट में दर्ज है। ये मीठे पानी के कछुए तस्करी के चलते तेजी से विलुप्त हो रहे हैं.


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160 नेस्ट तैयार, लकड़ी से सुरक्षा कवच बनाया गया
कार्मिकों ने चम्बल किनारे 160 घोंसले बनाए, जहां अंडों को संरक्षित किया गया. जंगली जानवरों से बचाने के लिए लकड़ी से ढक दिया गया.
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24 घंटे की निगरानी और हेचरी में विकास
संतराम और रामानंद जैसे फील्ड कर्मचारियों ने दिन-रात देखरेख कर हजारों शावकों को हेचरी में पाला.


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रेड क्राउन और थ्री-स्ट्राइप्ड रूफ्ड टर्टल की वापसी
इन दो प्रजातियों को चम्बल नदी में दोबारा छोड़ा गया, जिनकी पहचान रंग-बिरंगे चेहरे और तीन धारियों से होती है.
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