समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान 23 महीने बाद जेल से रिहा हो गए हैं. ऐसे में इन दिनों वे खूब सुखियों में हैं. इस बीच उन्होंने यूपी Tak के शो ‘यूपी की बात’ में चैनल के एग्जीक्यूटिव एडिटर कुमार अभिषेक से बात की है. इस बातचीत के दौरान उन्होंने अपने जेल में बीते दिनों और राजनीति को लेकर खुलकर अपनी बात रखी. आजम खान ने कहा कि पहले वह बाहर रहने की जिंदगी के लिए चर्चा में थे अब कैद में रहने की जिंदगी चर्चा में है. उन्होंने कहा कि 'जिस दिन हम चर्चा, पर्चा और खर्चा से महरूम हो जाएंगे, उस दिन हम कब्र में होंगे बाहर नहीं होंगे.'
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शिकायत नहीं, बदला अल्लाह पर छोड़ा
इस दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें सरकार या किसी नेता से कोई शिकायत नहीं है जिनकी वजह से उन्हें यह सब झेलना पड़ा. इस पर उन्होंने कहा कि मेरा अल्लाह मुझे यह कहता है कि तुम्हें हक है इस बात का कि जिसने तुम्हारे साथ ज़्यादती की है, तुम अपने साथ होने वाली ज़्यादती का बदला लो लेकिन सबसे बेहतर बात यह है वह बदला तुम ना लो मुझ पर छोड़ दो तुम जानते हो मुझसे बेहतर बदला कोई नहीं ले सकता. उन्होंने कहा मैंने अपने अल्लाह पर छोड़ दिया है.
यहां देखें आज़म खान का पॉडकास्ट
अखिलेश यादव की मुलाकात और 114 मुकदमे
अखिलेश यादव से हुई मुलाकात पर आजम खान ने कहा कि वो मुझसे मिलने आए थे. चुनाव से पहले भी आए थे और पिछली बार जब वह जेल में थे तब भी आए थे. उन्होंने कहा कि वह शिकवे-शिकायतों के कभी कायल नहीं रहे. उन्होंने खुद को छोटा आदमी बताते हुए कहा, "मैं फिर छोटा सा आदमी, 114 मुकदमों का मुलजिम, चोर-उचक्को वाला और घटिया धाराओं का मुलजि. मैं एक अपराधी आदमी हूं. मेरी भी ख्वाहिशों की एक हद होगी तो मुझे कोई शिकायत नहीं है. जो लोग भी मुझसे मिलने आए उनका बड़प्पन था. उनका मेरे लिए प्यार था. मैं उनकी कदर करता हूं अब भी कभी मिलेंगे तो मेरी तरफ से उनकी इज्जत एतराम में कोई कमी नहीं होगी.
सदस्यता रद्द होने पर राहुल गांधी से की तुलना
आजम खान ने अपनी सदस्यता रद्द होने के मामले पर राहुल गांधी से तुलना करते हुए मौजूदा व्यवस्था पर निशाना साधा. उन्होंने बताया कि उनकी मेंबरशिप खत्म होने पर इल्जाम था कि उन्होंने घृणा भरी स्पीच दी. उनकी सदस्यता घंटे के अंदर चली गई. वोट का अधिकार खत्म हुआ और अगले साठे घंटे के अंदर नए इलेक्शन का अनाउंसमेंट हो गया. उन्होंने बताया कि मैंने अपील की कि जजमेंट में जज साहब ने यह लिखा जिस घृणा की स्पीच पर सजा दी. उसमें एक शब्द भी घृणा का नहीं था. यही वजह थी कि मेरी अपील मंजूर हो गई. मैं बरी कर दिया गया. लेकिन यह अलग बात है कि जज साहब को शाम को रामपुर छोड़ने का आदेश हो गया. उन्होंने आगे कहा कि वही धाराएं राहुल गांधी पर भी लगीं. दो एक ज्यादा ही थीं. मेरी घंटे के अंदर सदस्यता से हटा दी गई. लेकिन इलेक्शन कमीशन ने राहुल गांधी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने कहा कि यही फर्क है जनाब आजम खान में और राहुल गांधी में. इतना फर्क तो होना चाहिए.
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