Bihar: वोट बैंक साधने के लिए कांग्रेस ले सकती है बड़ा फैसला, मैदान में उतरेगी कन्हैया-पप्पू की जोड़ी!

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Bihar Politics Update: बिहार की सियासत में नई हलचल, कांग्रेस पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को बड़ी भूमिका देने की तैयारी में है. गुजरात अधिवेशन में उनकी संभावित एंट्री से कांग्रेस की चुनावी रणनीति बदल सकती है.

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बिहार में राजनीति की गहमा-गहमी शांत होने का नाम नहीं ले रहीं है. कभी पक्ष तो कभी विपक्ष दोनों ने सियासी गलियारों को गर्म कर रखा है. एक बार फिर हलचल तेज हो गई और इसका कारण है कांग्रेस क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव को लेकर कांग्रेस बड़ा फैसला ले सकती है. सूत्रों के हवाले से ये खबर आ रही है कि कांग्रेस से उन्हें गुजरात अधिवेशन में शामिल होने का न्योता मिला है. अगर इस अधिवेशन में कोई भी औपचारिक घोषणा होती है तो यह बिहार में कांग्रेस का एक बड़ा चुनावी दांव साबित हो सकता है.

क्यों गुजरात अधिवेशन है खास?

ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है क्योंकि इस बार संगठन सृजन और जवाबदेही पर खासा जोर दिया गया है. पार्टी इस अधिवेशन को अपने भविष्य की दिशा तय करने वाला कदम मान रही है. लेकिन राजनीतिक हलकों में सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की है, वो है पप्पू यादव की अहम मौजूदगी. पूर्व सांसद पप्पू यादव की कांग्रेस कार्यक्रम में उपस्थिति यह संकेत दे रही है कि पार्टी उन्हें बिहार में बड़ी भूमिका देने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस महासचिव कृष्णा अल्लावरू इस रणनीति के सूत्रधार माने जा रहे हैं. 

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बिहार कांग्रेस में परिवर्तन के संकेत

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी और संगठन में बदलाव के बाद पार्टी अब नए चेहरों और नई रणनीति के साथ आगे बढ़ रही है. इसी बीच पप्पू यादव की संभावित एंट्री और कन्हैया कुमार की सक्रियता इस नए विजन का हिस्सा हैं, जहां पार्टी स्थानीय जनाधार और प्रभावशाली चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी कर रही है.

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पप्पू यादव और कांग्रेस का पुराना रिश्ता

फिलहाल पप्पू यादव पूर्णिय से निर्दलीय सांसद है लेकिन कांग्रेस से उनका रिश्ता पुराना है. वे कई बार कांग्रेस और गांधी परिवार की खुलेआम तारिफ कर चुके हैं. झारखंड और दिल्ली में चुनाव प्रचार के दौरान भी वे कांग्रेस और झामुमो के लिए सक्रिय रहे और जमकर प्रचार किया है.

नहीं मिला टिकट फिर भी जीते

2024 के लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव ने कांग्रेस टिकट की उम्मीद में पार्टी जॉइन की थी. लेकिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह की वजह से उन्हें टिकट नहीं मिला था. हालांकि निर्दलीय चुनाव लड़कर भी उन्होंने अपनी जीत दर्ज की और अपनी लोकप्रियता का प्रमाण दिया था. 

वोट बैंक साधने की कोशिश

यादव समुदाय से आने वाले पप्पू यादव का बिहार में एक बड़ा वोट बैंक है. सीमांचल क्षेत्र में मजबूत पैठ के साथ-साथ मुस्लिम और पिछड़े वर्गों में भी उनकी मजबूत पकड़ है जो कि कांग्रेस के लिए आगामी चुनाव में काफी बेहतर साबित हो सकता है. 

वहीं कन्हैया कुमार भूमिहार समुदाय से आते हैं और सवर्णों में उनकी पकड़ काफी मजबूत हैं. ऐसे में कांग्रेस कन्हैया कुमार के जरिए सवर्ण मतदाताओं को साधने की कोशिश करेगी. दोनों नेताओं की जोड़ी से कांग्रेस को फायदा मिल सकता है और साथ ही इसी बहाने कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को फिर से अपने में मिला सकती है.

तेजस्वी यादव से रिश्ते - चुनौती या मौका?

पप्पू यादव ने अक्सर लालू और तेजस्वी पर जमकर हमला बोला है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा की अगर पप्पू कांग्रेस में आते है और कांग्रेस-आरजेडी का गठबंधन रहता है तो फिर इसके राजनीतिक मायने क्या रहेंगे. ऐसी स्थिति में कांग्रेस के लिए यह विपदा का समय होगा कि वे किसके साथ दूरी बनाएंगे या किसके साथ चलेंगे. माना जा रहा है कि पप्पू यादव को कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी मिलते ही बिहार की राजनीति में बड़ा उथल-पुथल हो सकता है. 

(इनपुट-इंटर्न उत्पल कुमार)

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