लालू यादव ने बिहार में चुनाव से पहले कर दिया बड़ा Game, शहाबुद्दीन के परिवार को साथ मिलाकर बनाया मास्टर प्लान

हर्षिता सिंह

लंबे अरसे बाद शहाबुद्दीन परिवार और आरजेडी की दूरिया आखिरकार खत्म हो गईं. दिवंगत नेता शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा और पत्नी आरजेडी में शामिल हो गए.

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तस्वीर: बिहार तक.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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लालू फैमिली एक बार फिर MY समीकरण को साधने में लग गई.

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अपने पुराने फार्मूले से ही आगमी चुनाव में बड़े दांव चलने की तैयारी.

लंबे अरसे बाद शहाबुद्दीन परिवार और आरजेडी की दूरिया आखिरकार खत्म हो गईं. दिवंगत नेता शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा और पत्नी आरजेडी में शामिल हो गए. विधानसभा चुनाव से पहले इसे लालू प्रसाद यादव का बड़ा माटरस्ट्रोक माना जा कहा है. बिहार में यादवों के बाद सबसे बड़ी आबादी मुसलमानों की है.

जातीय गणना के आधार पर बिहार में यादव जनसंख्या 14.27% है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 17.7% है. आरजेडी के MY फ़ार्मूले के हिसाब से ये दोनों मिलकर 17.7+14.27= 31.97 फीसदी होते हैं. MY समीकरण आरजेडी का वोटबैंक माना जाता है. दिवंगत नेता शहाबुद्दीन मुसलमानों के सबसे बड़े नेता रहे हैं और सिवान में आज भी उनका अच्छा-खासा प्रभाव है. ऐसे में शहाबुद्दीन का शहाबुद्दीन परिवार को चुनाव से पहले सदस्यता दिलाना मतलब लालू यादव ने चल दिया बड़ा दांव. 

छिटकते मुस्लिम वोट बैंक को साधने की तैयारी

इसे राजद की मुस्लिम वोट बैंक की मजबूती से जोड़कर देखा जा रहा है. बता दें कि सिवान के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के देहांत के बाद 3 साल से अधिक समय गुजर गए, लेकिन इस बीच शहाबुद्दीन के परिवार और राजद के बीच दूरियां रहीं. लोकसभा चुनाव में भी लालू ने हिना को टिकट नहीं दिया. जिसके बाद हिना की आरजेडी और लालू परिवार से नाराजगी साफ दिखी. टिकट नहीं मिला तो उन्होंने निर्दलीय ही मैदान में उतरने का फैसला लिया था. 

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शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब सिवान से निर्दलीय मैदान में उतरीं और लालू की पार्टी के उम्मीदवार की हार की वजह बन गईं. इस चुनाव में हिना खुद तो हार हुई और दूसरे नंबर पर आईं, लेकिन आरजेडी के चौधरी को तीसरे नंबर पर धकेल दिया. चर्चाएं हुईं कि अगर हिना को आरजेडी मैदान में उतारती तो नतीजे उलट होते और एक सीट पार्टी के खाते में जा सकती थी. 

इधर, हिना शहाब की नाराजगी भी कम हुई तो नए समीकरण भी बनते दिखने लगे हैं और दोनों एक बार फिर से करीब हैं. इतने लंबे अरसे बाद शहाबुद्दीन परिवार से आरजेडी की नजदीकी यूं ही नहीं हुई. इसके पीछे है बड़ा खेल 

मुसलमान वोट बैंक वाला खेल

माना जा रहा है कि इस नजदीकी के पीछे मुस्लिम वोट बैंक को साधने की कोशिश की गई है. मुस्लिम वोट भले ही लालू यादव का कोर वोट बैंक माना जाता था, लेकिन अब ये वोट बैंक लालू और आरजेडी से छटकता हुआ दिखाई दे रहा है.  बिहार में इन दिनों मुस्लिम वोट बैंक को लेकर खूब सियासत हो रही है. ना सिर्फ आरजेडी अब तो बिहार में बनी नई पार्टी जन सुराज जिसके सूत्रधार प्रशांत किशोर हैं, उनकी भी नजर इस वोट बैंक पर है. उन्होंने ऐलान किया है कि मुस्लिमों को हक के अनुसार मौका दिया जाएगा और 40 सीट मुसलमानों को देने का ऐलान कर दिया है. 

पीके के ऐलान ने बढ़ गई थी RJD की टेंशन

पीके के इस ऐलान ने आरजेडी के माथे पर टेंशन की लकीर खींच दी, क्योकि मुसलमानों के हितैशी बनने वाले लालू तेजस्वी से मुस्लिम वोटर छिटकने लगा. ऐसे में अब ओसामा शहाब का राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होना बताता है कि तेजस्वी यादव अपने कोर वोटर एमवाई समीकरण को को लेकर काफी गंभीर हैं. हो सके तो तेजस्वी ओसामा को विधानसभा चुनाव भी लड़वाएंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि सिवान में आरजेडी की पकड़ कमजोर हुई है. सिवान के मुसलमान शहाबुद्दीन के परिवार की अनदेखी पर लालू तेजस्वी पर  जहां नाराज थे तो वहीं मुसलमानों को उनके वोट को बस वोटबैंक की तरह इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया था. ऐसे में लालू तेजस्वी अब डैमेज कंट्रोल में लगे हैं.

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