बिहार पॉलिटिक्स में गड़रिया VS मुसहर पर बवाल, नेताओं की जाति पर कैसे आई बात?

हर्षिता सिंह

बिहार की राजनीति में गड़ेगिया VS मुसहर पर बवाल मचा हुआ है. एक दूसरे पर बयान आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला अब नेताओं की जाति तक पहुंच चुकी है.

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Bihar Politics: बिहार की राजनीति में जाति विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आमने-सामने हैं. मांझी ने तेजस्वी और लालू पर निशाना साधते हुए उन्हें 'गड़रिया' कह दिया, जिस पर पलटवार करते हुए लालू ने कहा, "ऊ मुसहर है का?"

कैसे शुरू हुआ विवाद?

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब नवादा अग्निकांड के बाद जीतनराम मांझी ने एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में उन्होंने लालू और तेजस्वी पर हमला बोलते हुए कहा, "विपक्षी दलों के गुंडे हमारे घर तोड़ सकते हैं, लेकिन हमारे लोगों का हौसला नहीं. घर जलाने वाले लालू पाल (गड़रिया) अपनी जाति छुपा सकते हैं, लेकिन हम गर्व से कहते हैं कि हम मुसहर हैं. लालू जी, हिम्मत है तो आप भी कहें कि आप गड़रिया हैं."

मांझी के इस बयान ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी. इसके बाद तेजस्वी यादव ने मंच से मांझी पर पलटवार किया, जिससे विवाद और गहरा गया. तेजस्वी ने मांझी को ‘शर्मा’ कहकर संबोधित किया, जो एक और नए विवाद की वजह बन गया.

पितृपक्ष के बीच जाति की राजनीति

इस समय बिहार में पितृपक्ष चल रहा है, लेकिन इसके साथ ही राजनीति में भी 'बाप-दादा' और 'खानदान' की चर्चा जोरों पर है. जीतनराम मांझी और लालू यादव दोनों एक-दूसरे की जाति और पुरखों पर सवाल उठा रहे हैं. मांझी ने लालू की जाति को लेकर सवाल खड़ा किया, तो लालू ने मांझी के मुसहर होने पर कटाक्ष किया.

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लालू ने मांझी के बयान पर अपने खास अंदाज में जवाब दिया, "ऊ मुसहर है का?" इस एक लाइन के जवाब ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, जहां जाति की राजनीति ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है.

नवादा अग्निकांड और जातिगत राजनीति

इस पूरे विवाद की शुरुआत नवादा अग्निकांड से हुई थी, जहां जमीन के विवाद में दलित और महादलित समुदाय आमने-सामने आए थे. इस घटना के बाद मांझी ने यादव समुदाय, खासकर लालू-तेजस्वी को निशाना बनाते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने दलितों की जमीनों और मुसलमानों के कब्रिस्तानों पर कब्जे को लेकर लालू यादव और उनकी पार्टी के समर्थकों पर भी आरोप लगाए.

मांझी के आरोपों के बाद तेजस्वी और लालू यादव ने इसे व्यक्तिगत हमले के रूप में लिया, जिससे राजनीति की इस लड़ाई ने जाति और पुरखों तक जा पहुंची.

नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप

बिहार की राजनीति में जाति और पहचान हमेशा से महत्वपूर्ण मुद्दा रही है. इस बार यह मुद्दा गड़रिया बनाम मुसहर तक पहुंच चुका है. जीतनराम मांझी ने लालू यादव की जाति को लेकर बयानबाजी की तो लालू ने भी मांझी को करारा जवाब दिया.

मांझी और लालू के बीच यह जातिगत विवाद अब बिहार की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस पर और क्या मोड़ आते हैं.

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