निवेशक धड़ाधड़ा बंद करा रहे SIP खाते, ढहते शेयर बाजार ने उड़ाई नींद, क्या है ये पूरा मामला?
शेयर बाजार की बात करें तो अक्टूबर से अब तक निफ्टी में 14 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. फरवरी महीने में ही निफ्टी 4 फीसदी टूट चुका है. बाज़ार की गिरावट से SIP करने वाले भी परेशान हो रहे हैं.
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लगातार गिरते शेयर बाजार ने निवेशकों की नींद उड़ा दी है. एक तरफ जहां SIP (Systematic Investment Plan) में तेजी से बढ़ रहे निवेश में कमी आई है वहीं निवेशक अब अपने खाते बंद करा रहे हैं. जिस निवेश में भारी भरकम रिटर्न का दावा किया जा रहा था उससे अचानक निवेशकों का मोह भंग हो रहा है.
शेयर बाजार की बात करें तो अक्टूबर से अब तक निफ्टी में 14 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. फरवरी महीने में ही निफ्टी 4 फीसदी टूट चुका है. बाज़ार की गिरावट से SIP करने वाले भी परेशान हो रहे हैं. इसी का नतीजा है कि SIP खातों में धड़ाधड़ कमी आई है. AMFI का डेटा भी ये ही कहता है कि जनवरी में SIP खातों में कमी आई है.
एंफी के डाटा के मुताबिक, केवल जनवरी महीने में 61 लाख 33 हजार लोगों ने अपने एसआईपी खाते बंद करा लिए. वहीं सिर्फ 56 लाख 19 हजार लोगों ने अपने नए SIP खाते खोले. यानी जनवरी महीने में करीब 5 लाख 14 हजार SIP खाते कम हो गए. एक ही महीने में 61 लाख से ज्यादा SIP खाते बंद होना एक रिकॉर्ड है. अभी तक कोई ऐसा महीना नहीं गया जब किसी महीने में एक साथ इनकी बड़ी संख्या में SIP खाते बंद हुए हो.
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क्यों बंद हो रहे SIP खाते?
- SIP खाते बंद होने के 5 कारण बताए जा रहे हैं.
- पहला : बीते 5 महीने से बाजार लगातार गिर रहा है.
- दूसरा : बाजार गिरने से SIP के रिटर्न भी घटे हैं या कुछ स्कीम्स के रिटर्न निगेटिव में चले गए हैं.
- तीसरा : लोगों की आय में बढ़ोतरी नहीं हो रही है, दूसरी ओर महंगाई के चलते खर्चें लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में कुछ निवेशक SIP चलाने में असमर्थ हो सकते हैं.
- चौथा: बीते दो साल में रियल एस्टेट और गोल्ड ने अच्छा रिटर्न दिए हैं. ऐसे में निवेशक गोल्ड ईटीएफ या फिडिकल गोल्ड पर फोकस कर रहे हैं. यानी निवेशकों ने वैकल्पिक निवेश का जरिया ढूंढ लिया है.
- पांचवां : बाजार के लगातार गिरने से निवेशकों का धैर्य जवाब दे रहा है.
इन्ही सब कारणों के चलते SIP खातों में कमी आई है. हालांकि इसमें एक पेंच ये भी है कि भले ही SIP खातों में कमी आई है, लेकिन SIP इनफ्लो में बढ़ोतरी दिख रही है. एंफी के डेटा के मुताबिक जनवरी में SIP के जरिए म्युचुअल फंड्स के पास 26 हजार 400 करोड़ रुपये आए. वहीं दिसंबर 2024 में 26 हजार 459 करोड़ रुपये आए थे. नवंबर में 25 हजार 320 करोड़ रुपये, अक्टबर में 25 हजार 323 करोड़ और सितंबर में 24 हजार 509 करोड़ रुपये का SIP इन्फ्लो था.
SIP इन्फ्लो में नहीं आई कमी
कुल मिलाकर देखा जाए तो SIP इन्फ्लो में कमी नहीं आ रही है. इनफ्लो में कमी न आना म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री और शेयर बाजार दोनों के लिए अच्छी बात है, लेकिन SIP खातों की कमी को भी यहां गंभीरता से लेने की जरूरत है. अगर आगे भी ये ट्रेंड जारी रहा तो आने वाले दिनों में इन्फ्लो पर भी असर आ सकता है. हालांकि माना जा रहा है कि 12 लाख तक इनकम पर टैक्स छूट, ब्याज दरों में कमी और फूड इन्फ्लेशन में कमी से आने वाले दिनों में SIP इन्फ्लो और खाता दोनों में बढ़ोतरी के अनुमान लगाए जा रहे हैं.
वैसे भी बाजार के जानकार मानते हैं कि निवेशकों के लिए बाजार की गिरावट को देखकर SIP रोकना गलत फैसला हो सकता है. जिन निवेशकों ने लंबी अवधि के लिए SIP की है उनको जारी रखनी चाहिए. इसके तर्क ये हैं कि जब बाजार टूटता है तो SIP निवेशकों के खाते में ज्यादा यूनिट अलॉट होती है, क्योंकि गिरावट में म्यूचुअल फंड्स का NAV यानी Net Asset Value में कमी आ जाती है. ऐसे में जब बाजार में तेजी आएगी तो निवेशकों के खाते में जितनी यूनिट होंगी उनकी वैल्यू उतनी ही बढ़ जाएगी.