छत्तीसगढ़: पत्रकार मुकेश चंद्राकर केस में बड़ी कार्रवाई, लोक निर्माण विभाग के 5 अधिकारी नपे

न्यूज तक

Mukesh Chandrakar case: छत्तीसगढ़ में पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में बड़ी कार्रवाई, PWD के 5 अधिकारी गिरफ्तार, भ्रष्टाचार और साजिश की परतें खुलीं.

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छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में PWD अधिकारियों की गिरफ्तारी
छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में PWD अधिकारियों की गिरफ्तारी
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Mukesh Chandrakar case: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. जनवरी में पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्याकांड में कार्रवाई हुई है. पुलिस ने जांच के दौरान लोक निर्माण विभाग(PWD) से जुड़ें पांच अधिकारियों को गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तार किए गए अधिकारियों में दो सेवानिवृत्त कार्यपालन अभियंता( Executive Engineer), एक कार्यरत कार्यपालन अभियंता, एक SDO और एक उप अभियंता शामिल हैं. नपे हुए सारे आरोपियों को दो दिन के लिए रिमांड पर भेजा गया है और उनसे पूछताछ जारी है.

बीजापुर एएसपी ने दी ये जानकारी

बीजापुर एएसपी चंद्रकांत गोवर्ना ने इस मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि पत्रकार मुकेश चंद्राकार हत्याकांड मामले में PWD के 5 अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें डी.आर. साहू और वी.के. चौहान नामक दो रिटायर्ड EE(Executive Engineer), एच.एन. पात्र – तत्कालीन कार्यपालन अभियंता(Executive Engineer), प्रमोद सिंह कंवर – SDO बीजापुर और संतोष दास – उप अभियंता जगदलपुर शामिल हैं.

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इस मामले में पहले भी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन कार्यपालन अभियंता बीएल ध्रुव,  SDO आरके सिन्हा और उप अभियंता जीएस कोडोपी के ऊपर FIR दर्ज की गई थी.

आखिर क्या है पूरा मामला?

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2025 को पत्रकार मुकेश चंद्राकर अपने घर से निकले थे और फिर लौटकर ही नहीं आए. फिर दो दिन बाद 3 जनवरी को उनकी लाश बीजापुर में एक पड़े सैप्टिक टैंक से बरामद हुई थी. इस हत्याकांड को लेकर खूब बवाल भी मचा था. हालांकि इस सनसनीखेज मामले में मुख्य आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को पहले ही पुलिस ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया था.

कौन थे मुकेश चंद्राकर?

मुकेश चंद्राकर एक निडर और निर्भीक पत्रकार थे जो समाज के मुद्दे को बेबाकी से उठाते थे. वे बीजापुर जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र और संवेदनशील इलाके से सच को उजागर करने का काम करते थे. सोशल मीडिया और वीडियो पोर्टल के माध्यम से सड़क निर्माण में हो रहे भ्रष्टाचार और गुणवत्ता के खिलाफ खुलकर आवाज उठाते थे. उनकी इन्हीं कामों और आवाज उठाने के कारण ठेकेदारों और भ्रष्ट अधिकारियों ने उन्हें निशाना बनाकर उनकी निर्मम हत्या कर दी.

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