कौन हैं पलक मिश्रा, जिन्हें कहा जा रहा है दूसरी जया किशोरी? सोशल पर खूब चर्चा में है ये कथावाचक
Satna News: कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी अक्सर सुर्ख़ियों में छाई रहती हैं. वह सोशल मीडिया पर भी काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं. देश ही नहीं दुनियाभर में उन्हें जाना जाता है. उनके भजनों और कथाएं लोगों को सुनना बेहद पसंद है. मध्यप्रदेश में बिल्कुल जया किशोरी से मिलती जुलती एक ओर किशोरी इन […]
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Satna News: कथावाचक और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी अक्सर सुर्ख़ियों में छाई रहती हैं. वह सोशल मीडिया पर भी काफी ज्यादा एक्टिव रहती हैं. देश ही नहीं दुनियाभर में उन्हें जाना जाता है. उनके भजनों और कथाएं लोगों को सुनना बेहद पसंद है. मध्यप्रदेश में बिल्कुल जया किशोरी से मिलती जुलती एक ओर किशोरी इन दिनों चर्चाओं में बनी हुई हैं. जिनके न केवल नैन नक्श जया किशोरी से मिलते जुलते हैं बल्कि उनके बोलने का अंदाज़ भी बिल्कुल जया किशोरी से मेल खाता है.
17 साल की खूबसूरत कथावाचक पलक मिश्रा मध्यप्रदेश के सतना जिले की रहने वाली है. इनका कथा सुनाने का हुनर और अंदाज किसी प्रोफेशनल कथावाचक से कम नहीं है. पलक यूं तो मध्य प्रदेश के रीवा से ताल्लुक रखती हैं, मगर सतना से भी उनका गहरा नाता है. पलक सतना नगर निगम में पदस्थ अतिक्रमण दस्ता अधिकारी रमाकांत शुक्ला की नवासी हैं.
पारिवारिक माहौल का पड़ा गहरा असर
कहते हैं पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. पलक के साथ भी यही हुआ. 24 दिसंबर 2005 को रीवा के अधिवक्ता सतीश मिश्रा के घर पर शाम्भवी मिश्रा (घर का नाम पलक) का जन्म हुआ. दो बड़ी बहनें अपराजिता मिश्रा, अदिति मिश्रा और भाई मानस के साथ पलक को बचपन से ही घर का धार्मिक माहौल मिला. बड़े पिता मनीष मिश्रा के धार्मिक प्रवत्ति के होने की वजह से घर में आए दिन धार्मिक अनुष्ठान होते रहते थे. 3 भाई बहनों में सिर्फ पलक के दिलो दिमाग पर इसका गहरा असर हुआ और उसका रुझान पूजा पाठ और धार्मिक किताबों की ओर बढ़ने लगा. बड़े पिताजी से पलक जो भी कथा सुनती बाद में वही कथा अपनी दादी, मम्मी, बड़ी मम्मी को सुनाने की कोशिश करती. धीरे-धीरे पलक इसमें पारंगत होती गई.
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मोटिवेशन स्पीच के लोग हो रहे दिवाने
पलक अभी कक्षा 12वी में हैं, लेकिन इनकी भाषाई कमांड बहुत अच्छी है. ये जितनी अच्छी और साफ हिंदी बोल लेती हैं उतनी ही इंग्लिश पर भी इनकी कमांड है. जब-जब पलक व्यास गद्दी से श्रीमद भागवत कथा और कृष्ण कथा का वाचन करती हैं. उसी दौरान वे लोगों को अपनी तरफ अपने मोटिवेशनल स्पीच के जरिए माहित कर लेती हैं. यही वजह है कि लोग इन दिनों पलक को सुनना और देखना पसंद कर रहे हैं.
कम उम्र में भी किसी प्रोफेशनल कथावाचक से कम नहीं
पलक का लंबे समय से घर पर परिवार वालों को रोजाना कथा सुनाने का नतीज़ा ये निकला कि पलक किसी प्रोफेशनल कथावाचक की तरह ही कथा सुनाने लगीं हैं. वर्ष 2021 में पलक ने रीवा के बांकेबिहारी मंदिर में एक मंझे हुए कथा वाचक की तरह श्रोताओं को भगवदगीता का पाठ सुनाया था. इसके बाद पलक रीवा संभाग में छा गईं. अब तक पलक के कई कार्यक्रम हो चुके हैं, और आगे के लिए भी कई कार्यक्रम निर्धारित किये जा चुके हैं.
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