ईरान या इजराइल? कौन भारत के लिए सबसे भरोसेमंद, C-Voter के सर्वे में खुलासा

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Israel-Iran C-Voter Survey: ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे टकराव को लेकर पूरी दुनिया की निगाहें पश्चिम एशिया पर टिकी हैं. इस बीच संघर्ष को लेकर विपक्ष और NDA क्या सोचते हैं...

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Israel-Iran C-Voter Survey: ईरान और इज़राइल के बीच चल रहे टकराव को लेकर पूरी दुनिया की निगाहें पश्चिम एशिया पर टिकी हैं. इस बीच संघर्ष को लेकर विपक्ष और NDA क्या सोचते हैं, यह जानने के लिए C-Voter ने 20 जून 2025 को एक स्नैप पोल किया.

इस सर्वे में उनकी पसंद, चिंता और भारत की भूमिका को लेकर राय ली गई, नतीजे बताते हैं कि अधिकतर लोग शांति और तटस्थता के पक्षधर हैं, लेकिन राष्ट्रीय हितों से समझौता नहीं चाहते. इस सर्वे में कुल 11 सवाल पूछे गए, जिससे भारत की विदेश नीति, मध्यस्थता की भूमिका और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर राय जानी गई.

1. किसका समर्थन करते हैं भारतीय?

सर्वे में सबसे पहला सवाल यही था कि इस युद्ध में भारतीय लोग व्यक्तिगत रूप से किस देश का समर्थन करते हैं. आंकड़े बताते हैं कि NDA समर्थक 53.9% लोग इजराइल के साथ हैं, जबकि विपक्षी समर्थकों में 38.1% लोग ईरान का पक्ष लेते हैं. वहीं विपक्ष में सिर्फ 23.1% लोग इजराइल के साथ हैं, जबकि NDA में केवल 10.6% लोग ईरान को समर्थन करते हैं.

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2. भारत का आधिकारिक रुख क्या हो?

जब पूछा गया कि भारत को आधिकारिक रूप से क्या रुख अपनाना चाहिए, तो जनता का रुझान शांति की ओर अधिक था. NDA समर्थकों में 49.1% और विपक्ष में 45.7% लोगों ने कहा कि भारत को तटस्थ रहकर शांति की अपील करनी चाहिए. हालांकि, NDA समर्थकों में 39.3% लोग चाहते हैं कि भारत इज़राइल को कूटनीतिक समर्थन दे, जबकि विपक्ष के 30.6% लोग ईरान को समर्थन देने के पक्ष में हैं. यह दिखाता है कि दोनों पक्षों में एक बड़ा वर्ग है जो भारत को किसी न किसी पक्ष में खड़ा देखना चाहता है, लेकिन शांति की मांग सबसे ऊपर है.

3. भारत को मध्यस्थता करनी चाहिए?

भारत की भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल पर भी दिलचस्प नतीजे आए. 56.4% विपक्षी और 53.8% NDA समर्थक मानते हैं कि भारत को ईरान-इज़राइल के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए. यानी इस मुद्दे पर राजनीतिक सोच अलग होने के बावजूद दोनों पक्षों के लोग चाहते हैं कि भारत शांति की राह पर सक्रिय भूमिका निभाए.

4. क्या इजराइल से रिश्ते मुस्लिम देशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं?

सर्वे में यह भी पूछा गया कि क्या भारत और इज़राइल के करीबी रिश्ते मुस्लिम देशों में भारत की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं? इस पर NDA समर्थकों में 43.7% लोगों का कहना था कि भारत संतुलन बनाए रखता है, जबकि विपक्ष में 31.5% लोगों ने माना कि इससे कूटनीतिक चुनौती खड़ी हो सकती है. वहीं, 27.7% लोगों की राय थी कि भारत को अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार फैसला करना चाहिए.

5. क्या यह युद्ध परमाणु संघर्ष में बदल सकता है?

परमाणु युद्ध की आशंका को लेकर भी लोगों से राय ली गई. विपक्ष के 34.9% और NDA समर्थकों के 26.8% लोगों को लगता है कि यह युद्ध बड़े स्तर पर, यानी परमाणु संघर्ष तक पहुंच सकता है. हालांकि NDA में ज्यादा लोग आश्वस्त दिखे कि ऐसा नहीं होगा.

6. क्या यह संघर्ष भारत की ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करेगा?

भारत की ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंता विपक्ष में ज्यादा देखने को मिली. जहां विपक्ष के 52.9% लोग मानते हैं कि इस युद्ध से भारत की ऊर्जा ज़रूरतें प्रभावित हो सकती हैं, वहीं NDA समर्थकों में यह संख्या 40.6% रही.

7. क्या भारत को इज़राइल से आर्थिक रिश्ते बनाए रखने चाहिए?

भारत को इज़राइल से अपने आर्थिक रिश्ते जारी रखने चाहिए या नहीं – इस पर भी जनता की राय बंटी हुई नजर आई. NDA समर्थकों में 65.4% लोगों ने साफ कहा कि राष्ट्रीय हित सबसे पहले होना चाहिए और ऐसे में इज़राइल से रिश्ते बनाए रखें. विपक्ष के सिर्फ 37% लोग इससे सहमत थे, जबकि 30.4% लोगों ने इन रिश्तों पर पुनर्विचार की जरूरत बताई.

8. अमेरिका बनाम रूस: किस पर ज़्यादा भरोसा?

एक और अहम सवाल यह था कि भारत को अमेरिका या रूस में से किस देश पर ज्यादा भरोसा करना चाहिए. यहां विपक्ष और NDA, दोनों ही गुटों में करीब 70% लोगों ने रूस को ज्यादा भरोसेमंद बताया. अमेरिका पर भरोसा बेहद कम लोगों ने जताया – NDA में 15.7% और विपक्ष में सिर्फ 9.3%.

9. ईरान बनाम इज़राइल: कौन भारत के लिए भरोसेमंद?

ईरान और इज़राइल में से किसे भारत को राष्ट्रीय हितों के लिहाज से प्राथमिकता देनी चाहिए – इस पर भी दोहरी सोच दिखी. NDA समर्थकों में 56.4% ने इज़राइल को ज्यादा भरोसेमंद बताया, जबकि विपक्ष के लोग ईरान (38.1%) और इज़राइल (37.5%) के बीच लगभग बराबर बंटे हुए हैं.

10. ट्रंप और पाक सेना प्रमुख की बैठक का भारत पर असर?

एक रोचक सवाल यह भी रहा कि क्या ट्रंप और पाकिस्तान सेना प्रमुख की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात के कारण अमेरिका का रुख भारत के प्रति कठोर हुआ है? इस पर NDA समर्थकों के 59.2% और विपक्षियों के 56.8% लोगों ने 'हां' में जवाब दिया.

11. क्या अमेरिका की सीधी दखल से मध्य पूर्व अस्थिर हो सकता है?

सर्वे का अंतिम सवाल था कि क्या अमेरिका की सीधी दखल इस युद्ध में मध्य पूर्व को अस्थिर कर सकती है? इस पर NDA के 51% और विपक्ष के 55.3% लोग मानते हैं कि इससे हालात और बिगड़ सकते हैं.

कुल मिलाकर, इस सर्वे से साफ है कि जनता की राय राजनीति से प्रभावित जरूर है, लेकिन कुछ मामलों में सोच मिलती-जुलती है. NDA समर्थक जहां इज़राइल और मजबूत विदेश नीति के साथ खड़े हैं, वहीं विपक्षी समर्थक संतुलन, ईरान और शांति की ओर झुकते हैं. हालांकि दोनों ही पक्ष मानते हैं कि भारत को इस संघर्ष में मध्यस्थता की भूमिका निभानी चाहिए और क्षेत्र में शांति की पहल करनी चाहिए.

 
 
 
 

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