क्या करते हैं भारत के जगदीप सिंह कि हर रोज कमाते हैं 48 करोड़ रुपए, हो रही इनकी खूब चर्चा
भारत मूल के जगदीप सिंह की चर्चा इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई नई बैटरी बनाई है. चर्चा इसलिए हो रही है कि जगदीप सिंह दुनिया के सबसे अमीर कर्मचारी बन गए हैं. हजारों कंपनियां जितनी कमाई कई साल में भी नहीं कर पाती उतनी जगदीप सिंह की एक दिन की सैलरी हो गई है.
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भारत में जिस इलेक्ट्रिक वेहिकल की हवा अब चलना शुरू हुई जगदीप सिंह ने उसका अनुमान 2010 से भी बहुत पहले लगाना शुरू कर दिया था. 2010 में तो उन्होंने इलेक्ट्रिक वेहिकल के लिए बैटरी बनाने वाली कंपनी क्वांटमस्केप शुरू कर दी थी. जैसे-जैसे दुनिया ईवी की तरफ जा रही है क्वांटमस्केप की बनाई बैटरी की डिमांड बढ़ रही है. जगदीप सिंह ने ईवी के लिए बैटरी बनानी शुरू तो की, लेकिन लीथियम आयन वाली बैटरियों से आगे की सोचकर. उनकी वाली बैटरी सॉलिड स्टेट बैटरी कही जाती है जो चलती भी ज्यादा है, रीचार्ज भी तेज होती है. साइज में छोटी भी होती है. क्वांटमस्केप का फ्यूचर देखकर बिल गेट्स और फॉक्सवैगन ने भी इन्वेस्ट किया है.
भारत मूल के जगदीप सिंह की चर्चा इसलिए नहीं कि उन्होंने कोई नई बैटरी बनाई है. चर्चा इसलिए हो रही है कि जगदीप सिंह दुनिया के सबसे अमीर कर्मचारी बन गए हैं. हजारों कंपनियां जितनी कमाई कई साल में भी नहीं कर पाती उतनी जगदीप सिंह की एक दिन की सैलरी हो गई है. हो सकता है सुनकर अचंभा लगे, लेकिन सच ये है कि जगदीप सिंह की एक दिन की सैलरी 48 करोड़ हो गई है. एनुअल सीटीसी फिक्स हुई है 17 हजार 500 करोड़. क्वांटमस्केप की ग्रोथ में योगदान को देखते हुए इतना भारी भरकम पैकेज दिया है.
जगदीप सिंह ने अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई की. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया से एमबीए करने के बाद जगदीप सिंह ने करीब चार साल तक Hewlett-Packard यानी HP, Sun Microsystems जैसी आईटी कंपनियों में काम किया, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं करनी थी. इनोवेशन करना था. पहली कंपनी खोली airsoft. उसके बाद अलग-अलग कंपनियों शुरू करते रहे. टर्न अराउंड तब हुआ जब जब ये अंदाजा लगा कि इलेक्ट्रिक वेहिकल के लिए बैटरी का क्या फ्यूचर है. पूरी जिंदगी बदल गई. 2010 में सब छोड़ कर क्वांटमस्केप नाम की ईवी बैटरी अमेरिका में खोल दी.
न्यूयॉर्क टाइम्स की 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक ईवी बैटरी में आने से पहले जगदीप सिंह ने telecommunications equipment की भी कंपनी शुरू की थी. प्रयोग के तौर पर जगदीप सिंह ने एलॉन मस्क की कंपनी टेस्ला की ईवी कार Roadster खरीदी. उन्हें कार नहीं, कार की बैटरी टेस्ट करनी थी. Roadster टेस्ला की ऐसी एक कार थी जिसे मस्क ने भी डिजास्टर माना था. जगदीप सिंह को इस बात का यकीन हो चला था कि दुनिया में ईवी कारों का ही फ्यूचर है. Roadster में लगी बैटरी का रिव्यू करके जगदीप सिंह ने मान लिया कि बैटरी बढ़िया करनी है तो नई केमेस्ट्री बनानी होगी. उन्होंने ईवी बैटरी के लिए सेरेमिक केमेस्ट्री पर काम किया. आज तक कोई नहीं जानता कि क्वांटमस्केप की बनाई बैटरी का सीक्रेट क्या है. 5 साल ये रिसर्च किया कि किस मैटेरियल से बैटरी बनाएं. अगले 5 साल इस पर मेहनत की कि कैसे बनाएं.
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न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, रिसर्चर और गूगल, अमेजॉन, टेस्ला के पहले इन्वेस्टर John Doerr, टेस्ला के को फाउंडर J.B. Straubel के साथ बोर्ड बनाकर जगदीप सिंह ने क्वांटमस्केप की शुरूआत की थी. San Jose में चार फुटबॉल ग्राउंड साइज बराबर फैक्ट्री में शुरू हुआ प्रोडक्शन.
भारत से बाहर बहुत सारे भारतीयों ने कामयाबी के झंडे गाड़े. कंपनियों के मालिक बने. एमडी, सीईडी, चेयरमैन बने. जगदीप सिंह ने भी वो सारा मुकाम हासिल किया, लेकिन कभी चर्चा में नहीं रहे. लाइमलाइट से दूर इतना कुछ कर दिया कि एक दिन लाइमलाइट खुद चलकर उनके पास आया. पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है सबसे अमीर एम्प्लाई सिंह इज किंग की. जिसकी टक्कर में तो क्या, आसपास भी कोई नहीं है. हालांकि जगदीप सिंह के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी इंटरनेट पर भी उपलब्ध नहीं है. क्वांटमस्केप की वेबसाइट पर भी कोई बायो नहीं है.
एक बात जरूर नोटिस करने वाली है पूरे 17500 करोड़ कैश में नहीं मिल रहे. क्वांटमस्केप 2020 में अमेरिकी शेयर मार्केट में लिस्ट हो चुकी कंपनी है. जगदीप सिंह के सैलरी पैकेज में मोटा हिस्सा स्टॉक ऑप्शन का है. मतलब करीब 175 करोड़ के कंपनी के शेयर हैं जिसे जब चाहें बेच सकते हैं. अभी स्टॉक बेच देंगे तो सालाना सैलरी करीब 17,500 करोड़ पड़ेगी. फरवरी 2024 को सिंह ने क्वांटमस्केप के सीईओ पद से इस्तीफा देकर कुर्सी सिवा सिवाराम को सौंप दी थी. अब स्टील्थ नाम के स्टार्टअप के सीईओ हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि वो नई टेक्नोलॉजी पर काम करके फिर कोई धमाका करने वाले हैं.
इतना सब पाने के लिए जगदीप सिंह को लगे 15 साल. हालांकि उससे पहले भी उन्होंने कब जूते नहीं घिसे. फिर भी कोई कितने जूते घिस लेगा, कितनी मेहनत कर लेगा, रोज के 48 करोड़ कहां कमा पाएगा. गूगल की पेरेंट कंपनी अल्फाबेट के सीईओ सुंदर पिचई की सैलरी भी सालाना 1663 करोड़, रोज के हिसाब से 5 करोड़ ही बनती है.
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