JDU अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चर्चाओं के बीच जानिए कौन हैं ललन सिंह, कैसे आए नीतीश के करीब?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक ललन सिंह और नीतीश कुमार के बीच बढ़ते मतभेद के कारण उन्होंने यह फैसला लिया है.
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News Tak : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक ललन सिंह और नीतीश कुमार के बीच बढ़ते मतभेद के कारण उन्होंने यह फैसला लिया है. 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से पहले इसकी घोषणा हो सकती है. सूत्रों के मुताबिक आरजेडी के साथ ललन सिंह की बढ़ती नजदीकियों के कारण नीतीश कुमार नाराज बताए जा रहेहैं. चर्चा है कि नीतीश कुमार एक बार फिर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन सकते हैं.
कौन हैं ललन सिंह जो छाए हैं चर्चा में?
ललन सिंह वर्तमान में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव हारने के बाद ललन सिंह को राज्यपाल कोटे से बिहार विधानपरिषद भेजा गया था. ललन सिंह इससे पहले भी बेगूसराय और मुंगेर से लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले ललन सिंह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. ललन सिंह को जुलाई 2021 में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था.
जदयू के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं ललन सिंह
बिहार की प्रभावशाली जाति माने जाने वाली भूमिहार जाति से आने वाले राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का जन्म 24 जनवरी 1955 को बिहार की राजधानी पटना में ज्वाला प्रसाद सिंह और कौशल्या देवी के घर हुआ था. ललन सिंह अपने कॉलेज के दिनों से ही राजनीति में सक्रिय थे. भागलपुर के टीएनबी कॉलेज से आर्ट्स में डिग्री हासिल करने के दौरान वह छात्र संघ के महासचिव भी रहे. उस दौरान चल रहे जेपी आंदोलन में भी ललन सिंह काफी सक्रिय रहे.
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नीतीश के करीब कैसे आए?
ललन सिंह उन लोगों में शामिल हैं जिन लोगों ने नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाईटेड की नींव रखी थी. लालू के खिलाफ और शरद यादव की नाराजगी मोल लेने के बावजूद जब नीतीश कुमार ने अपनी अलग पार्टी बनाई तब ललन सिंह उनके साथ मजबूती से खड़े थे. बाद में इन दोनों के बीच कुछ मनमुटाव चला लेकिन यह भी कुछ ही दिनों में खत्म हो गया. ललन सिंह 2004 में बेगूसराय से लोकसभा के सदस्य रहे. इसके बाद 2009 में वह दोबारा मुंगेर से सांसद बने. 2014 में अपना लोकसभा चुनाव हारने के बाद उन्हें विधानपरिषद भेज दिया गया. जीतनराम मांझी कैबिनेट में वह सड़क निर्माण विभाग के मंत्री भी रहे. 2019 में वह एक बार फिर लोकसभा पहुंचे.
2021 में मोदी मंत्रिमंडल के बदलाव के समय ललन सिंह केंद्रीय मंत्री बनने की चाह रखते थे. लेकिन, उनकी ही पार्टी के एक नेता आरसीपी सिंह और तत्कालीन जदयू अध्यक्ष उस रेस में आगे निकल गए. उनके केंद्रीय मंत्री बनने से ललन सिंह नाराज हो गए. बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मामले को शांत करने के लिए ललन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया.
ललन सिंह से पहले भी कई नेता जदयू को छोड़ चुके हैं. बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति ज्यादा समय तक नीतीश कुमार के साथ नहीं रह सकता है. इससे पहले शरद यादव, आरसीपी सिंह, उपेंद्र कुशवाहा भी पार्टी को छोड़ चुके हैं. आरसीपी सिंह जहां बीजेपी में शामिल हो गए थे. वहीं उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी बना ली थी.