Lok Sabha Election 2024: मिर्जापुर से हैट्रिक लगाने की फिराक में अपना दल की अनुप्रिया पटेल, जानिए यहां का सियासी समीकरण

News Tak Desk

2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्रिय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तीसरी बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. मिर्जापुर में पटेल, बिंद और ब्राह्मण जाति का दबदबा है.

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Anupriya Patel
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UP Loksabha Eleection: 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में देश भर में नरेंद्र मोदी और बीजेपी की लहर थी. बीजेपी समेत NDA गठबंधन ने 31 फीसदी वोट के साथ 336 सीटों पर जीत हासिल करके सत्ता में काबिज हुई. NDA गठबंधन ने यूपी में सर्वाधिक सीटें जीती. गठबंधन के खाते में 80 में से 71 सीटें आई थी. बीजेपी ने यूपी में जीतने के लिए जातिगत समीकरण देखकर अनेक छोटी पार्टियों के साथ गठजोड़ किया था. इसी क्रम में बीजेपी ने अपना दल (एस) के साथ भी गठबंधन किया. अपना (एस) की विधायक अनुप्रिया पटेल भी भारी मतों से चुनाव जीती और सबसे युवा केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली. 

2024 के लोकसभा चुनाव में केंद्रिय मंत्री अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से तीसरी बार चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रही हैं. मिर्जापुर में पटेल, बिंद और ब्राह्मण जाति का दबदबा है. इस बार तीनों प्रमुख जातियों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में है. सपा ने रमेश चंद बिंद को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बसपा ने अगड़ी जाति को साधने के लिए ब्राह्मण चेहरे मनीष तिवारी पर दाव लगाया है. इससे मिर्जापुर की लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. आइए हम आपको समझाते है मिर्जापुर का सियासी समीकरण.  

जातिगत समीकरण से अनुप्रिया पटेल को फायदा 

वैसे तो इस चुनाव में जातिगत गणित और सरकारी योजनाओं से अनुप्रिया पटेल को फायदा मिलने की संभावना है. लेकिन उन पर अपने वफादार कुर्मी समुदाय के प्रति पक्षपाती होने और आदिवासी समुदाय को नजरअंदाज करने का आरोप भी लग रहा है. आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण जल जीवन मिशन योजनाओं के अनियमित कार्यान्वयन का भी आरोप लग रहा है. बता दें कि, इस सीट पर 25 फीसदी दलित और आदिवासी समुदाय के लोग है. वहीं 49 फीसदी आबादी ओबीसी की है. मिर्जापुर के अलावा अपना दल (सोनेलाल) पड़ोसी रॉबर्ट्सगंज सीट से भी चुनाव लड़ रही है, जो आदिवासी बाहुल्य इलाका है. बीजेपी से नाराज चल रहे दलित और आदिवासी समुदाय के लोगों को अनुप्रिया पटेल मनाने का प्रयास कर रही है. हालांकि वो कितना सफल हो पाती है ये तो नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा. 

सपा कर रही निषाद समुदाय को साधने का प्रयास 

सपा ने मिर्जापुर में रमेश चंद बिंद को मैदान में उतारा है. बता दें कि 2019 में रमेश चंद बिंद बीजेपी के टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए थे. इस बार टिकट कटने के बाद वो सपा में चले गए. हालांकि, सपा को उम्मीद है कि, उनकी उम्मीदवारी से यादवों और मुसलमानों के अलावा बिंद या निषाद/नाविक समुदाय का एक बड़ा हिस्सा पार्टी के साथ जुड जाएगा. वैसे प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक और बाहुबली नेता राजा भैया ने भी रमेश चंद बिंद का समर्थन किया है. इससे क्षत्रिय समुदाय का वोट भी सपा प्रत्याशी के पक्ष में जाने के कयास लगाए जा रहे है.

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अब समझिए मिर्जापुर का जातीय समीकरण 

आंकड़ों के मुताबिक मिर्जापुर जिले में सबसे ज्यादा 2 लाख 50 हजार पटेल मतदाता है. दूसरे स्थान पर दलित है, जिनकी संख्या एक लाख 95 हजार है. एक लाख 60 हजार ब्राह्मण मतदाता और एक लाख 40 हजार बिंद वोटर है. यहां एक लाख 30 हजार वैश्य मतदाता और एक लाख 29 हजार मुस्लिम मतदाता है जो निर्णायक भूमिका निभाते है. वैसे यहां एक लाख के करीब (मौर्या, कुशवाहा और सैनी) मतदाता है जिनकी भूमिका अहम होगी. 

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

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