भ्रष्टाचार के मामले झेल रहे ये 25 नेता 2014 के बाद से अबतक BJP में हुए शामिल, इन 23 को मिली 'राहत'

अभिषेक

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Opposition Leader joined BJP: देश में लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में आने-जाने का सिलसिला लगा हुआ है. साल 2014 के बाद से जबसे बीजेपी सत्ता में आई है तबसे ये पहला चुनाव है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में नेता अपना पाला बदल रहे है. नेताओं के पार्टी बदलने के आंकड़ों को देखे तो एक खास ट्रेंड नजर आता है. ट्रेंड ये है कि, जिन नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे है और जांच एजेंसियों का शिकंजा कसा है वहीं नेता सत्ताधारी पार्टी में शामिल होते दिखाई दिए है. पार्टी बदलते ही उन नेताओं पर चल रहे मामले फीके पड़ गए. यही वजह है कि, विपक्षी पार्टियां सत्तारूढ़ बीजेपी को ‘वॉशिंग मशीन’ कहती है. यानी अगर आप बीजेपी में शामिल हो जाते है तो आपको सारे पाप धुल जाएंगे. 

नेताओं के पार्टी बदलने और उनपर चलने वाले मामलों को विस्तार से समझते हुए इंडियन एक्सप्रेस ने एक स्टोरी की है. इस स्टोरी में पूरी क्रोनोलाजी के साथ ये बताया गया है कि, कैसे नेताओं के पार्टी बदलते ही उनपर चल रहे रहे मामले या तो खत्म कर दिए गए या फिर वो ठंडे बस्ते में चले गए. 

कुछ प्रमुख नेताओं के उदाहरण के साथ आइए आपको विस्तार से बताते हैं क्या है ये पूरा मामला.   

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 के बाद से कथित भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई का सामना करने वाले 25 प्रमुख नेता बीजेपी में शामिल हो गए. इसमें 10 कांग्रेस से, NCP और शिवसेना से चार-चार, तृणमूल कांग्रेस से तीन, तेलगु देशम पार्टी से दो और सपा-YSRCP से एक-एक है. इसमें अकेले महाराष्ट्र से 12 प्रमुख नेता है जो 2022 या उसके बाद भाजपा में चले गए. वैसे दिलचस्प बात ये है कि, 25 नेताओं की इस लिस्ट में शामिल छह नेता आगामी लोकसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले ही बीजेपी में शामिल हुए है.

रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी ज्वाइन करने के बाद 20 नेताओं के खिलाफ जांच ठंडी पड़ गई और 3 के केस बंद हो गए. विपक्ष इसे 'वॉशिंग मशीन' कहता है. यानी एक ऐसा सिस्टम जिससे भ्रष्टाचार के आरोपी नेताओं को अपनी पार्टी छोड़ने और बीजेपी में शामिल होने पर केन्द्रीय एजेंसियों के जांच और जेल का सामना नहीं करना पड़ता है. 

अजीत पवार 

NCP नेता अजीत पवार पर महाराष्ट्र के राज्य सहकारी बैंक में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में अगस्त 2019 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर आर्थिक अपराध शाखा ने एफआईआर दर्ज की हुई है. अजीत पवार जब पिछली MVA सरकार का हिस्सा थे तब मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अक्टूबर 2020 में एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी. बीजेपी के सत्ता में लौटने पर पार्टी ने मामले को फिर से खोलने की मांग की लेकिन फिर अजीत पवार के NDA में शामिल होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया. 

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सुवेंदु अधिकारी 

पश्चिम बंगाल एक प्रमुख नेता सुवेंदु अधिकारी 11 अन्य TMC नेताओं के साथ 'नारद स्टिंग ऑपरेशन' मामले में आरोपी हैं. अपराध के समय वो एक सांसद थे. CBI 2019 से नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में जांच कर रही है. इसी बीच साल 2020 में सुवेंदु अधिकारी TMC छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. सांसद रहने की वजह से उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का प्रावधान है. लेकिन बीजेपी में शामिल होने के बाद से ही CBI लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी का इंतजार कर रही है. यानी ऐसे मामले भी है जो केवल नाम के लिए खुले रहते है, जिनमें कोई उल्लेखनीय कार्रवाई नहीं होती. 

हिमंत बिस्वा सरमा

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को 2014 में सारदा चिटफंड घोटाले में CBI की पूछताछ और छापेमारी का सामना करना पड़ा था. उनका नाम गोवा में जल परियोजना अनुबंधों के लिए कथित रिश्वत देने से जुड़े लुइस बर्जर मामले में सामने आया था. लेकिन 2015 में उनके भाजपा में शामिल होने के बाद से उनके खिलाफ मामला आगे नहीं बढ़ा है. 

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अशोक चव्हाण

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण मुंबई के आदर्श सहकारी हाउसिंग सोसाइटी में फ्लैट आवंटन से संबंधित मामले में मुख्य आरोपियों में से एक हैं. CBI ने उन पर कथित तौर पर रिश्तेदारों के लिए दो फ्लैटों के बदले में ऊंचे फ्लोर स्पेस इंडेक्स को मंजूरी देने का आरोप लगाया. इसी के तहत ED ने CBI की एफआईआर पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की और उनसे पूछताछ की. चव्हाण इकुछ दिनों पहले बीजेपी में शामिल हो गए. वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने आदर्श हाउसिंग मामले में CBI और ED की कार्यवाही पर रोक लगाई हुई है.

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प्रफुल्ल पटेल

ऐसे ही पूर्व NCP नेता प्रफुल्ल पटेल को UPA की सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री थे तब उनपर एयर इंडिया द्वारा 111 विमानों की खरीद के साथ-साथ एआई-इंडियन एयरलाइंस विलय में कथित भ्रष्टाचार के लिए मामला दर्ज हुआ था. इस मामले की जांच CBI और ED कर रही है. प्रफुल्ल पटेल ने साल 2023 में बीजेपी का दामन थाम लिया तबसे उनके खिलाफ जांच अटकी हुई है. 

संजय सेठ

साल 2015 में आयकर विभाग ने संजय सेठ से जुड़े शालीमार कॉर्प के कार्यालयों पर छापा मारा था. एमएलसी चुनावों के लिए सेठ के नाम पर यूपी के राज्यपाल की आपत्ति के बाद, सपा ने उन्हें 2016 में राज्यसभा भेजा था. मुलायम सिंह यादव के परिवार के करीबी माने जाने वाले सेठ ने 2019 में सपा-बसपा गठबंधन बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. फिर वो सपा छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए. हाल ही में हुए राज्यसभा के चुनाव में संजय सेठ आश्चर्यजनक रूप से बीजेपी के उम्मीदवार के तहत चुने गए. अब उनके खिलाफ चल रहा मामला भी रुक गया है. 

ये है वो प्रमुख नेता जिन्होंने ED-CBI के डर से बीजेपी ज्वाइन किया और उनपर केस या तो बंद हो गए या ठंडे बस्ते में चले गए. 

ज्योति मिर्धा, वाईएस चौधरी, प्रताप सरनाईक, हसन मुश्रीफ, भावना गवली, यामिनी और यशवन्त जाधव, सी एम रमेश, रनिंदर सिंह, के गीता, सोवन चटर्जी, छगन भुजबल, कृपाशंकर सिंह, दिगंबर कामत, नवीन जिंदल, तापस रॉय, अर्चना पाटिल, गीता कोड़ा, बाबा सिद्दीकी, ज्योति मिर्धा, सुजना चौधरी

इस पूरे मामले पर ED- CBI के अधिकारियों का क्या है रुख 

हालांकि इस पूरे मामले पर CBI के एक अधिकारी ने कहा कि, एजेंसी की सभी जांच 'सबूतों पर आधारित' है. 'जब भी सबूत मिलते हैं तब उचित कार्रवाई की जाती है.' उन मामलों के बारे में पूछे जाने पर जहां आरोपी के पार्टी बदलने के बाद एजेंसी ने अपना रास्ता बदल लिया है उसपर अधिकारी ने कहा कि, 'कुछ मामलों में विभिन्न कारणों से कार्रवाई में देरी होती है, लेकिन वे मामले भी खुले हैं. 

ED के एक अधिकारी ने कहा कि, उसके मामले अन्य एजेंसियों की एफआईआर पर आधारित होते है. अधिकारी ने कहा, 'अगर अन्य एजेंसियां ​​अपना मामला बंद कर देती है, तो ईडी के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है.' फिर भी हमने ऐसे कई मामलों में आरोपपत्र दायर किए है. पार्टियां बदलने के सवाल पर अधिकारी ने कहा, 'जिन मामलों में जांच चल रही है, जरूरत पड़ने पर कार्रवाई की जाएगी.' 

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