आज आएंगे पांच राज्यों के एग्जिट पोल, जानिए ये क्या होते हैं और ओपिनियन पोल से कैसे अलग हैं

अभिषेक

एग्जिट पोल एक तरह का सर्वे होता है. इसमे किसी भी राज्य, क्षेत्र और कन्स्टिचूअन्सी के मतदाताओं से कुछ सवाल पूछे जाते है. वोटरों ने किस पार्टी को वोट दिया, ये सवाल प्रमुख होता है.

ADVERTISEMENT

Exit Poll 2023
Exit Poll 2023
social share
google news

Exit Poll: देश में चल रहे पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव खत्म हो रहे हैं. 30 नवंबर शाम 6 बजे तेलंगाना में वोटिंग समाप्त होगी. इसके बाद एग्जिट पोल के रुझान आने शुरू हो जाएंगे. इससे राज्यों में बनने वाली सरकारों का मोटा-मोटा अनुमान लगाया जा सकता है. मतदान से पहले हम ओपिनियन पोल की बातें कर रहे थे लेकिन अब एग्जिट पोल की चर्चा होने लगी है. आइए बताते हैं क्या होता है एग्जिट पोल और यह ओपिनियन पोल से कैसे अलग है.

क्या होता है एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल एक तरह का सर्वे होता है. इसमे किसी भी राज्य, क्षेत्र और कन्स्टिचूअन्सी के मतदाताओं से कुछ सवाल पूछे जाते है. वोटरों ने किस पार्टी को वोट दिया, ये सवाल प्रमुख होता है. ये सवाल मतदान वाले दिन पोलिंग बूथ से बाहर निकल रहे मतदाताओं से किए जाते हैं. यही बात इसे ओपिनियन पोल से अलग करती है. इन सवालों के मिले जवाब को इकट्ठा कर उनका विधिवत एनालिसिस के बाद उससे निष्कर्ष निकाला जाता है. यही निष्कर्ष हमारे सामने एग्जिट पोल के रूप में आता है.

एग्जिट पोल के आंकड़े एकदम सटीक हों, ये जरूरी नहीं है. ये सर्वे में मतदाताओं से पूछे गए सवालों और उनके ओरिएंटेशन पर निर्भर करता है.

यह भी पढ़ें...

आज ही क्यों आएंगे एग्जिट पोल?

जनप्रतिनिधित्व ऐक्ट 1951 की धारा 126(A)के तहत एग्जिट पोल तबतक जारी नहीं किया जा सकता जबतक मतदान कि प्रक्रिया पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाती. 30 नवंबर को शाम 6 बजे तक तेलंगाना में वोटिंग के बाद चुनाव समाप्त हो रहा है. इसलिए आज एग्जिट पोल आने हैं. इससे पहले तमाम सर्वे एजेंसियां और न्यूज चैनल अपने-अपने आंकड़े दुरुस्त करने में लगे हुए हैं.

जनप्रतिनिधित्व या लोकप्रतिनिधित्व ऐक्ट 1951 देश में चुनाव के सुचारु ढंग से संचालन, सदस्यों के योग्यता/अयोग्यता, गलत प्रवित्तियों और अपराधों को रोकने के लिए प्रावधान करता है.

ओपिनियन पोल में क्या होता है?

ओपिनियन पोल यानी जनता के विचार क्या हैं? ये चुनाव से पहले किया जाता है. इसमें सभी लोगों शामिल होते हैं वो चाहे वोटर हों या न हों. इसमें जनता की चुनावी नब्ज टटोलने का प्रयास किया जाता है जो उनके ओरिएंटेशन पर निर्भर करता है. इसमे यह जानने की कोशिश की जाती है कि जनता किस बात, किन मुद्दों पर वोट करने जा रही है.

    follow on google news
    follow on whatsapp