राहुल के रोड शो में नहीं दिखे कांग्रेस और सहयोगी IUML के झंडे, लेफ्ट-BJP को मिला मुस्लिम एंगल!
केरल के सीएम पिनाराई विजयन और यूपी के अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया है कि, अगर रैली में कांग्रेस के झंडे होते तो अपने सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के झंडे भी लगाने पड़ते. इससे बचने के लिए ही कांग्रेस ने अपने झंडे भी नहीं आने दिए.
ADVERTISEMENT

Rahul Gandhi rally in Wayanad: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को केरल की वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन किया. राहुल गांधी के साथ उनकी बहन और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी के कई नेता मौजूद रहे. नामांकन के बाद राहुल गांधी ने रोड शो और डोर-टू-डोर कैंपेन भी किया. इन्हीं सब के बीच कुछ ऐसा हुआ कि लेफ्ट पार्टी और बीजेपी, राजनीतिक रूप से दोनों ही धुर विरोधियों को राहुल और कांग्रेस पर मुस्लिम एंगल से निशाना साधने का मौका मिल गया. केरल के सीएम पिनाराई विजयन और यूपी के अमेठी से सांसद स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर हमला बोला दिया. आइए आपको बताते हैं इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी.
असल में हुआ कुछ ऐसा कि राहुल गांधी के रोड-शो में उनकी पार्टी कांग्रेस की ही झंडे नदारद दिखे. इसकी जगह तिरंगा, तिरंगे गुब्बारे और राहुल गांधी के पोस्टर ही बहुतायत में दिखे. ऐसा होते ही लेफ्ट और बीजेपी दो अलग-अलग दावों के साथ सामने आ गए.
'मुस्लिमों के झंडे से बचने के लिए राहुल-कांग्रेस ने नहीं लगाए झंडे'
केरल के एर्नाकुलम में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सीएम पिनाराई विजयन ने कहा कि, 'कल कांग्रेस के शीर्ष नेता ने वायनाड से अपना नामांकन दाखिल किया था. इसके तहत एक रोड शो भी हुआ था. स्वाभाविक रूप से उनके समर्थक उनके साथ थे, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह थी कि, उनकी पार्टी का झंडा वहां नहीं था. उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद वायनाड में यह उनका पहला कार्यक्रम था. फिर भी अपना झंडा दिखने में उन्हें कोई उत्साह क्यों नहीं था? वे ऐसा रुख क्यों अपना रहे हैं कि 'हमें मुस्लिम लीग के वोट चाहिए, लेकिन उनके झंडे नहीं'? कांग्रेस इतनी नीचे कैसे गिर गई कि उसने मुस्लिम लीग के झंडे को दुनिया से छिपाने के लिए अपना झंडा छिपा लिया?'
यानी वो आरोप लगा रहे हैं कि अगर रैली में कांग्रेस के झंडे होते तो अपने सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के झंडे भी लगाने पड़ते. उनका दावा है कि इससे बचने के लिए ही कांग्रेस ने अपने झंडे भी नहीं आने दिए.
'मुस्लिम लीग के समर्थन से शर्मसार हैं राहुल गांधी'
राहुल गांधी के लिए कुछ ऐसे ही बात केन्द्रीय मंत्री और बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने भी कही. स्मृति ईरानी भी बीजेपी के उम्मीदवार के सुरेंद्रन के नामांकन में वायनाड पहुंची थीं. स्मृति ईरानी ने वायनाड में कहा, 'कल कांग्रेस पार्टी की नामांकन रैली में मुस्लिम लीग के झंडे छुपाना इस बात का संकेत है कि, राहुल गांधी मुस्लिम लीग के समर्थन से शर्मसार हैं या फिर जब वे उत्तर भारत आएंगे और मंदिरों में जाएंगे तब लोगों से मुस्लिम लीग के साथ उनके गठबंधन को छुपा पाएंगे. मैं यहां वायनाड आकर आश्चर्यचकित हूं कि PFI जैसे आतंकी संगठन के प्रतिबंध के बाद भी राहुल गांधी PFI के राजनीतिक नेतृत्व से समर्थन ले रहे हैं. प्रत्येक उम्मीदवार को अपना नामांकन दाखिल करने से पहले भारतीय संविधान के प्रति निष्ठा की शपथ लेनी पड़ती है. राहुल गांधी चुनावों के लिए PFI के राजनीतिक नेतृत्व से समर्थन लेकर भारतीय संविधान की शपथ को झुठला चुके हैं.'
यह भी पढ़ें...
केरल में कांग्रेस की सहयोगी है IUML
देश में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने बीजेपी और उसके गठबंधन एनडीए से मुकाबला करने के लिए INDIA अलायंस बनाया हुआ है. इस अलायंस में कांग्रेस, आरजेडी, DMK, AAP, लेफ्ट पार्टियों साहित कुल 28 से ज्यादा दल शामिल हैं. दिलचस्प बात ये है कि केरल में इस INDIA अलायंस से इतर एक अलग ही अलायंस चल रहा है जो सालों से चलता आ रहा है. कांग्रेस का यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) जिसमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) एक प्रमुख दल है. वहीं लेफ्ट पार्टियों का लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) जिसमें CPI, CPI(M) सहित कई दल शामिल हैं.
अब इसी IUML लेकर बीजेपी से लेकर लेफ्ट पार्टियां सभी उसपर हमलावर है. दरअसल वायनाड लोकसभा सीट पर 40 फीसदी मुस्लिम और 40 फीसदी हिंदू वोटर हैं. वहीं 20 फीसदी वोटर ईसाई समुदाय से हैं. यहां परंपरागत रूप से कांग्रेस मजबूत रही है. अब इस नए विवाद के बाद कांग्रेस यहां मुस्लिम वोटर्स के मुद्दे पर ट्रिकी सिचुएशन में फंसती नजर आ रही है.
झंड क्यों नहीं दिखे?
इसके पीछे भी एक थिअरी चल रही है, जिसका कनेक्शन 2019 के चुनाव से है. असल में 2019 में भी राहुल गांधी यहां से चुनाव लड़े थे. हमारे सहयोगी इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक उस दौरान IUML के झंडों को कथित तौर पर पाकिस्तानी झंडा बताकर सोशल मीडिया पर वायरल करते हुए राहुल गांधी को ट्रोल किया गया. संभवतः ऐसी किसी कंट्रोवर्सी से बचने के लिए कांग्रेस ने इस बार कोई झंडा ही नहीं आने देने का फैसला किया, लेकिन फिर भी पार्टी विवादों से बचने में कामयाब होती नजर नहीं आ रही है.