LTCG टैक्स पर सरकार का यू-टर्न, बजट में लाए गए प्रस्ताव में होगा बदलाव, अब लोगों को मिलेंगे दो विकल्प!
LTCG Tax: जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 7 अगस्त यानी आज संसद में LTCG टैक्स में राहत देने के लिए विधेयक के प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव पेश करेंगी.
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LTCG Tax: लोकसभा चुनाव के मोदी सरकार ने 23 जुलाई को नई सरकार का पहला बजट पेश किया था. बजट में अचल संपत्ति पर पूंजीगत लाभ कर(LTCG) में कुछ बदलाव किए गए थे. LTCG टैक्स दर कद तो कम किया गया था, मगर इंडेक्सेशन खत्म कर दिया गया था. सरकार के इस कदम का विपक्ष के साथ-साथ सरकार में शामिल पार्टियों और खुद बीजेपी के नेताओं ने जमकर विरोध किया. सरकार के इस फैसले से स्टेक-होल्डर्स को लगा था कि इससे आने वाले समय में भारी नुकसान होगा. विरोध के बाद अब सरकार ने अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है. बीते दिन संसद में दिए गए वित्त मंत्री के बयान के मुताबिक अब सरकार इसमें वापस बदलाव करने वाली है. यानी की अब टैक्स-पेयर्स और रियल एस्टेट इंडस्ट्री के लिए राहत मिलने वाली है.
जानकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 7 अगस्त यानी आज संसद में LTCG टैक्स में राहत देने के लिए विधेयक के प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव पेश करेंगी.
पहले जानिए क्या होता है LTCG?
LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन यह एक प्रकार का टैक्स है. किसी भी इन्वेस्टमेंट की बिक्री से मिलने वाला लाभ पर LTCG लगता है. यानी प्रॉपर्टी की बिक्री के समय के दाम और खरीद के समय के दाम में जो अंतर होता है उस पर. आमतौर पर जब भी कोई प्रॉपर्टी खरीदी जाती है- जैसे जमीन या मकान, तो उसे अमूमन कुछ साल के बाद ही बेचा जाता है. इसी प्रॉपर्टी को बेचते वक्त LTCG टैक्स चुकाना पड़ता है. LTCG तब लगता है जब शेयर या किसी प्रॉपर्टी को खरीदने के एक साल बाद बेचकर प्रॉफिट कमाया जाता है. अगर प्रॉफिट सवा लाख रुपए तक हुआ तो कैपिटल गेन टैक्स नहीं लगेगा और सवा लाख से ज्यादा प्रॉफिट हुआ तो 12.50 परसेंट टैक्स लगेगा. म्यूचुअल फंड पर भी यही नियम लागू होता है.
LTCG में क्या बदलाव हुआ था?
बजट 2024-25 से पहले तक प्रॉपर्टी बेचने पर 20 फीसदी LTCG टैक्स चुकाना पड़ता था. लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने टैक्स कम कर दिया. अब प्रॉपर्टी बेचने पर 12.5 फीसदी के टैक्स का नियम लाया गया. यानी पहले की तुलना में टैक्स की दर को काम किया गया. फिर भी कहा गया कि टैक्स रेट कम होने के बावजूद अब पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा, क्योंकि सरकार ने इंडेक्सेशन खत्म कर दिया है. लोगों का मानना है कि, इंडेक्सेशन को खत्म करके सरकार ने सारा खेल ही बदल दिया.
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अब जानिए आखिर इंडेक्सेशन क्या होता है?
मान लीजिए कि आपने 10 साल पहले कोई प्रॉपर्टी 10 लाख रुपये की खरीदी थी और आज आप उसी प्रॉपर्टी को 25 लाख रुपये में बेच रहे हैं. तो पहले इंडेक्सेशन कराया जाता है जो सर्टिफाइड वैल्यूअर करता है. यानी आज की तारीख में उस प्रॉपर्टी की वैल्यू कितनी है ये निकाला जाता है. अब मान लीजिए वैल्यूअर उस प्रॉपर्टी की आज की वैल्यू 18 लाख बताता है, तो आपको 25 लाख में से 18 लाख (मौजूदा वैल्यू) घटा कर 7 लाख रुपये के मुनाफे पर 20 फीसदी LTCG टैक्स देना होता था. सरकार के नए नियम इंडेक्सेशन खत्म हो जाने के बाद अगर आप उसी प्रॉपर्टी को बेचते, तो 25 लाख (बिक्री) में 10 लाख (खरीद) घटाकर माने पूरे 15 लाख रुपये पर 12.5 फीसदी LTCG टैक्स देना होगा. यानी की आपको पहले की तुलना में ज्यादा रकम टैक्स के रूम में चुकानी होगी.
क्या हो सकता है नया बदलाव?
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केंद्र की मोदी सरकार लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) की मौजूदा व्यवस्था में संशोधन करने का फैसला किया है. जानकारी के मुताबिक सरकार के बदलाव के बाद टैक्स पेयर्स को 23 जुलाई 2024 से पहले की संपत्तियों पर 12.5 फीसदी की कम टैक्स (बिना इंडेक्सेशन वाली संपत्तियों पर) या इंडेक्सेशन के साथ 20 फीसदी की उच्च दर में से किसी एक के बीच चयन करने की अनुमति मिलेगी. यानी की लोगों को दोनों विकल्प दिए जाएंगे.
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