लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारें में जातीय समानता के मामले में कैसा है बीजेपी और कांग्रेस का प्रदर्शन?

अभिषेक गुप्ता

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Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव चल रहे है. सात चरणों में होने वाले इस चुनाव के लिए पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग हो चुकी है और दूसरे चरण के लिए 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. इस बीच बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी पार्टियां अपने-अपने चुनावी वादे गिनाने में लगी हुई है. बात इन दोनों पार्टियों की करें तो दोनों ने समाज के हाशिये पर रहने वाले समुदायों के लिए बड़े-बड़े वादे किये. लेकिन क्या पार्टियां अपने वादों को चुनावों में लागू भी कर रही है या नहीं. जैसे बीजेपी के साथ ही कांग्रेस के राहुल गांधी ने दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के लिए जमकर बातें की क्या ये पार्टियां इन वादों पर खरी उतर रही है या ये सिर्फ चुनावी हवाबाजी मात्र है. इसी बात को जानने के लिए इंडिया टुडे के हिमांशु मिश्रा ने समाज के विभिन्न वर्गों को पार्टियों से दिए गए टिकटों का विश्लेषण किया हैं. आइए आपको बताते हैं क्या पार्टियों के वादे टिकट बंटवारें में फलीभूत हो रहे है या नहीं. 

बीजेपी से सिर्फ 2 फीसदी अल्पसंख्यकों को बनाया उम्मीदवार 

लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी ने अबतक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 432 उम्मीदवारों की सूची जारी किया है. इन उम्मीदवारों के विस्तृत विश्लेषण से विभिन्न सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधित्व का पता चलता है. बीजेपी के 432 उम्मीदवारों में सामान्य वर्ग से 186 उम्मीदवार है जो लगभग 43 फीसदी है. 117 उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से है जो 27 फीसदी है वहीं 75 उम्मीदवार यानी 17 फीसदी उम्मीदवार SC वर्ग से है. इसके साथ ही 44 उम्मीदवार या 10 फीसदी ST श्रेणी से आते है और 10 उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से है को कुल उम्मीदवारों का मात्र दो फीसदी है.

कांग्रेस के घोषित 294 उम्मीदवारों की ये है संरचना 

कांग्रेस पार्टी के अबतक घोषित 294 उम्मीदवारों में से 106 यानी 36 फीसदी सामान्य वर्ग से है.  73 उम्मीदवार ओबीसी वर्ग से है जो 25 फीसदी है. 47 SC और 41 ST उम्मीदवार है जो क्रमशः 16 और 14 फीसदी है. इसके साथ ही 27 उम्मीदवारों के साथ अल्पसंख्यकों की संख्या नौ फीसदी है. 

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इस डेटा से साफ है कि, उम्मीदवार बनाने में विविधता बनाए रखने के बीजेपी ने अच्छा प्रयास किया है हालांकि इसमें सुधार की गुंजाइश अभी भी है. खासकर ST और अल्पसंख्यकों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने में.वहीं अगर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों के डेटा को देखें तो इसमें ST और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व मजबूत है इसके बाद भी हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने में  पार्टी को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. 
 

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