यूपी में क्षत्रियों को मनाने की कोशिश में कितनी सफल हुई बीजेपी? समझिए पूरा मामला 

News Tak Desk

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Loksabha Election in UP: सात फेज में होने वाले लोकसभा चुनाव के चार फेज के मतदान हो चुके है. पांचवे फेज के लिए 20 मई को वोटिंग होनी है. इस चुनावी मौसम में सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में खूब सियासी उलटफेर देखने को मिला है. बीजेपी का कोर वोट बैंक कहे जाने वाले राजपूत इस चुनाव में पार्टी का विरोध कर रहे है. विरोध की वजह बना गुजरात बीजेपी नेता परसोत्तम रूपाला का क्षत्रिय विरोधी एक बयान. इसके बाद से ही गुजरात से लेकर पूरे देश में बीजेपी को क्षत्रियों का विरोध का सामना करना पड़ा है. हालांकि उन्होंने दो-दो बार सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगी है लेकिन उसका कोई असर होता दिखा नहीं है.

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग से लेकर पूर्वांचल तक क्षत्रिय समाज के लोग सत्तारूढ़ बीजेपी से नाखुश ही दिखे है. इस बीच बीजेपी ने क्षत्रिय समुदाय को खुश करने के प्रयास भी तेज किया है. बीजेपी के नेताओं से लेकर केंद्रिय मंत्री अमित शाह तक क्षत्रिय समुदाय के नेताओं के मान-मनौवल में लगे हुए हैं. आइए हम आपको बताते है कि बीजेपी से क्षत्रियों की नाराजगी की क्या है वजह और बीजेपी का क्या है इसपर रुख. 

पहले जानिए बीजेपी से क्षत्रिय समाज के नाराजगी की वजह

केंद्रिय मंत्री परसोत्तम रूपाला पाटीदार समुदाय से आते है. पिछले दिनों उन्होंने एक दलित समाज के कार्यक्रम में कहा था कि, अंग्रेजों ने हम पर राज किया अंग्रेजों ने हम लोगों को खूब सताया लेकिन हमलोग झुके नहीं. वहीं क्षत्रिय राजाओं ने अंग्रेजों के साथ रोटियां भी तोड़ीं और अपनी बेटियों की उनसे शादी भी करा दी. मंत्री के इस बयान के बाद काफी बवाल मचा और राजपूत समुदाय को काफी ठेस पहुंचा. मंत्री परषोत्तम रूपाला की विवादास्पद टिप्पणी के साथ ही गाजियाबाद से सेन के पूर्व जनरल और दो बार से गाजियाबाद से सांसद वीके सिंह को टिकट नहीं देने की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में क्षत्रिय समुदाय में बीजेपी के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया. जानकारों के मुताबिक, क्षत्रिय समाज के गुस्से की वजह लोकसभा चुनाव में क्षत्रिय नेताओं को कम टिकट देना, अग्निवीर योजना का लागू करना, EWS कोटे में छूट से इनकार और राजपूत इतिहास से छेड़छाड़ है.

अब क्षत्रिय समाज को कैसे मना रही है बीजेपी? 

क्षत्रिय समाज की नाराजगी क बाद बीजेपी ने कवायद तेज कर दी. बीजेपी ने मान- मनौवल के लिए राजपूत नेताओं को मैदान में उतारा. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ से लेकर दीया कुमारी तक राजपूत समाज को समझाने में लग गई. इसी क्रम बुधवार को केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह ने जौनपुर के बाहुबली राजपूत नेता धनंजय सिंह की पत्नी श्री कला से मुलाकात की. बीते मंगलवार को एक सार्वजनिक सभा में धनंजय सिंह ने बीजेपी को समर्थन देने का वादा किया. ऐसे ही राजा भैया को भी बीजेपी के नेताओं ने मनाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने पार्टी से दूरी बना रखी है. मंगलवार को बीजेपी नेता विजय सोनकर और मुजफ्फरनगर से सांसद संजीव बालियान भी राजा भैया को मनाने के लिए पहुंचे थे. हालांकि राजा भैया ने एक बयान जारी कर कहा कि, 'मैं आगामी चुनाव में किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहा हूं, सम्मानित मतदाता अपनी पसंद की पार्टी को वोट दें.' 

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बीजेपी का विरोध कर रहे क्षत्रिय नेताओं ने तो गुजरात में तो मतदान के बाद बीजेपी को 7 सीटों के नुकसान होने की घोषणा भी कर दी. लोकसभा चुनाव के पिछले चार चरणों में क्षत्रिय बहुल कई सीटों पर समुदाय के मतदाताओं में काफी असंतोष देखा गया है. यूपी की गौतम बौद्ध नगर और गाजियाबाद जैसी बीजेपी की पारंपरिक सीटें भी शामिल हैं, जहां पार्टी के खिलाफ कई क्षत्रिय महापंचायतें हुईं. हालांकि क्षत्रिय समुदाय की नाराजगी से बीजेपी को कितनी सीटों का नुकसान होगा और क्या इसका फायदा कांग्रेस उठा पाएगी यह तो चुनाव के नतीजों के बाद ही पता चल पाएगा. 

इस स्टोरी को न्यूजतक के साथ इंटर्नशिप कर रहे IIMC के डिजिटल मीडिया के छात्र राहुल राज ने लिखा है.

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