महादेव बेटिंग ऐप का मालिक सौरभ चंद्राकर दुबई में गिरफ्तार, ऐप से भूपेश बघेल के कनेक्शन का ED का दावा! जानें पूरा मामला

शुभम गुप्ता

Mahadev Betting App Case: महादेव ऐप के मालिक सौरभ चंद्राकर को इंटरपोल ने हिरासत में ले लिया है. इसके बाद सौरभ को भारत वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. मामला तब सुर्खियों में आया जब इसमें भूपेश बघेल का नाम भी सामने आया.

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Mahadev Betting App Case: महादेव बेटिंग ऐप केस में भारत की जांच एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है. सूत्रों के मुताबिक, महादेव ऐप के मालिक सौरभ चंद्राकर को इंटरपोल ने हिरासत में ले लिया है. इसके बाद सौरभ को भारत वापस लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम सौरभ चंद्राकर को एक हफ्ते के भीतर भारत लाने का प्लान बना रही है. बताया जा रहा है कि इंटरपोल ने सीबीआई को इसकी सूचना दी है, जो इस मामले में नोडल एजेंसी है.

रेड कॉर्नर नोटिस और D कंपनी से कनेक्शन

इससे पहले, ईडी ने सौरभ चंद्राकर के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. चंद्राकर का कनेक्शन दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से भी बताया जा रहा है. महादेव ऐप के खिलाफ देश के कई राज्यों में केस दर्ज हैं.  ईडी में भी इस ऐप को लेकर शिकायतें दर्ज की गई हैं.  दिसंबर 2023 में भी सौरभ चंद्राकर को दुबई में हिरासत में लिया गया था और उसके बाद उसे 'घर में नजरबंद' रखा गया था.

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केंद्र सरकार ने महादेव बेटिंग ऐप को किया था ब्लॉक

केंद्र सरकार ने 5 नवंबर 2023 को महादेव बेटिंग ऐप समेत अवैध सट्टेबाजी वाले 22 ऐप्स और वेबसाइटों को ब्लॉक करने का ऑर्डर दिया था. यह आदेश इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी अधिनियम की धारा 69ए के तहत जारी किया गया था. ये ईडी की सिफारिशों पर आधारित था. महादेव ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप का मामला तब सुर्खियों में आया था, जब ईडी ने दावा किया था कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यूएई में स्थित ऐप प्रमोटरों से 508 करोड़ रुपये लिए थे. हालांकि, भूपेश बघेल ने इन आरोपों को खारिज किया था.

क्या था पूरा केस?

महादेव बेटिंग ऐप और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में मुंबई पुलिस ने 8 नवंबर 2023 को केस दर्ज किया था. आरोपियों पर धोखाधड़ी और अवैध सट्टेबाजी के आरोप लगे थे. माटुंगा पुलिस थाने में सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और 30 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ. इसे बाद में मुंबई क्राइम ब्रांच को सौंपा गया. इसके बाद मामले की जांच के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स (एसआईटी) का गठन किया गया.

15 हजार करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप

सोशल वर्कर द्वारा इस मामले में लोअर कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इसमें ऐप और इसके प्रमोटर्स के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी. कोर्ट के आदेश पर माटुंगा पुलिस ने FIR दर्ज की. FIR में आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को करीब 15 हजार करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया है.

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