महाराष्ट्र के स्पीकर को बागी विधायकों पर लेना ही होगा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने तय की डेड लाइन

अभिषेक

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Eknath Shinde, Maharashtra News
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Maharashtra News: महाराष्ट्र में सरकार को लेकर अनिश्चितता खत्म होने वाली है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर को फैसले को लेकर डेडलाइन दे दी हैं. स्पीकर को 31 दिसंबर तक शिवसेना के बागी विधायकों पर, 31 जनवरी तक एनसीपी के बागी विधायकों पर फैसला करना होगा. इसका मतलब पहले शिंदे गुट पर, फिर अजीत पवार के विधायकों की अयोग्यता पर फैसला आएगा.

कई विधायकों पर लटकी है अयोग्यता की तलवार?  

सरकार बनाने के लिए पहले एकनाथ शिंदे की लीडरशिप में शिवसेना में बगावत हुई. फिर अजित पवार ने एनसीपी में बगावत को लीड किया. दोनों पार्टियां टूट गईं और ज्यादातर विधायक, सांसद शिंदे और अजित पवार के साथ बीजेपी से जा मिले लेकिन दोनों पार्टियों की बगावत का केस सुप्रीम कोर्ट में हैं. उद्धव शिवसेना की ओर से सुनील प्रभु और एनसीपी की ओर से जयंत पाटिल ने केस किया हुआ है. शिवसेना के दोनों ग्रुप के 34 और एनसीपी के 5 विधायकों की विधानसभा सदस्यता पर तलवार लटकी हुई है. सबसे बड़ी बात ये है कि खुद सीएम एकनाथ शिंदे, अजित पवार की सदस्यता खतरे में है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर पर छोड़ा फैसला 

18 सितंबर की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता का फैसला स्पीकर राहुल नार्वेकर पर छोड़ा था. नार्वेकर फाइलें लेकर बैठ गए. कोई एक्शन नहीं लिया. सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर को सुनवाई में चेतावनी दी थी कि अनंत काल तक या अगले चुनाव की घोषणा तक लटकाकर नहीं रखा जा सकते. सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी कहा, फिर दोहराया कि स्पीकर नहीं करेंगे तो सुप्रीम कोर्ट को ही फैसला लेना होगा.

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स्पीकर के समर्थन में SJ तुषार मेहता की दलील

स्पीकर राहुल नार्वेकर का पक्ष केंद्र सरकार के सॉलीसीटर जनरल(SJ) तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में रख रहे हैं. तुषार मेहता ने कोर्ट के सामने लंबा कैलेंडर रख दिया कि इस साल तो कुछ हो नहीं सकता. शीत सत्र के लिए विधानसभा नागपुर शिफ्ट होती है. इस बीच दीवाली की छुट्टियां भी हैं. विधान सभा का शीत सत्र 7 दिसंबर से शुरू होकर 20 दिसंबर तक चलेगा. ऐसे में जनवरी के आखिर तक ही कुछ हो पाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने SJ तुषार मेहता को दिया जवाब

सुप्रीम कोर्ट ये तो समझ चुका है कि स्पीकर टालमटोल कर रहे हैं. सीजेआई ने भी तुषार मेहता को बता दिया कि अगर स्पीकर के पास टाइम नहीं है तो मामले को हम सुन सकते हैं. अनंत काल तक या अगले चुनाव की घोषणा तक चीजों को लटकाकर नहीं रखा जा सकता. 31 दिसंबर तक इस मसले का निपटारा कर दिया जाना चाहिए. दीवाली की छुट्टियों में भी एक हफ्ता है. छुट्टियों के बाद सत्र शुरू होने में भी 15 दिनों से ज्यादा समय है. उसके बाद भी समय है. फिर भी तुषार मेहता ने कह दिया कि ऐसा प्रैक्टिकल नहीं होगा. तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट को ये समझाते रहे कि स्पीकर को कोर्ट निर्देश नहीं दे सकती. सीजेआई ने साफ कह दिया कि अगर स्पीकर इन याचिकाओं को तय समय के अंदर नहीं सुन सकते तो कोर्ट याचिकाएं सुन सकती है.

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स्पीकर राहुल नार्वेकर पर सुप्रीम कोर्ट का थोड़ा असर तो दिख रहा है. सुनवाई से पहले दिल्ली आकर तुषार मेहता से मिले थे. लेकिन अब सवाल ये है कि वो सुप्रीम कोर्ट की नई डेडलाइन का पालन करेंगे या नहीं और अगर नहीं करेंगे तब क्या होगा.

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