निशिकांत दुबे को महुआ मोइत्रा के सवाल पूछने पर याद आया ‘कैश फॉर क्वेरी’ कांड, क्या था ये?
बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर गंभीर आरोप लगाया हैं. उन्होंने मोइत्रा पर पैसे और गिफ्ट के बदले विदेश में बसे एक उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के हितों के लिए संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया है.
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झारखंड के गोड्डा से बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा पर गंभीर आरोप लगाया हैं. उन्होंने मोइत्रा पर पैसे और गिफ्ट के बदले विदेश में बसे एक उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी के हितों के लिए संसद में सवाल पूछने का आरोप लगाया है. हिरानंदानी की कंपनी को अदाणी समूह का प्रतिद्वंद्वी माना जाता है. निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है. इसमें कहा है कि लोकसभा में उनके (मोइत्रा) द्वारा पूछे गए 61 में से 50 प्रश्न अडाणी समूह पर केंद्रित थे, जिस पर टीएमसी सांसद ने अक्सर कदाचार के आरोप लगाए हैं.
भाजपा सांसद ने आगे कहा है, ‘‘इसमें रत्ती भर भी संदेह नहीं है कि महुआ मोइत्रा ने संसद में प्रश्न पूछकर एक व्यवसायी – श्री दर्शन हीरानंदानी – के व्यावसायिक हितों का संरक्षण करने के लिए आपराधिक साजिश रची है, जो 12 दिसंबर, 2005 के ‘सवाल पूछने के बदले नकदी लेने’ से जुड़े प्रकरण की याद दिलाती है.’’ इसके जवाब में महुआ मोइत्रा ने भी निशिकांत दुबे पर पैसे देकर फर्जी डिग्री लेने का आरोप लगाया. उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से पहले दुबे के खिलाफ झूठे हलफनामे के आरोप की जांच करने का अनुरोध किया है.
क्या था कैश फॉर क्वेरी कांड?
कैश फॉर क्वेरी कांड यानी सवाल पूछने के बदले नकदी लेने के जिस मामले का जिक्र निशिकांत दुबे कर रहे हैं, वो 2005 का है. तब एक ऑनलाइन पोर्टल कोबरापोस्ट का स्टिंग ऑपरेशन एक निजी न्यूज चैनल पर प्रसारित किया गया था. स्टिंग में 1 राज्यसभा और 10 लोकसभा सांसदों के द्वारा पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने की बात कबूलते हुए दिखाया गया था. इनमें 6 भाजपा से, 3 बसपा से और एक-एक राजद और कांग्रेस से थे. उस वक्त प्रस्ताव लाकर सांसदों को निष्कासित कर दिया गया था. बीजेपी ने इस प्रस्ताव का यह कह कर विरोध किया था कि निष्कासन कठोर सजा है, जबकि सर्वाधिक सांसद उसके ही थे.
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