‘वायनाड नहीं हैदराबाद से लड़ो’, राहुल को चैलेंज करने वाले ओवैसी के कॉन्फिडेंस की वजह समझिए
Rahul Gandhi News: हाल ही में हैदराबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुली चुनौती दे…
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![‘वायनाड नहीं हैदराबाद से लड़ो’, राहुल को चैलेंज करने वाले ओवैसी के कॉन्फिडेंस की वजह समझिए ओवैसी](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/nwtak/images/story/202310/owaisi-1024x576.jpg?size=948:533)
Rahul Gandhi News: हाल ही में हैदराबाद में एक सभा को संबोधित करते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को खुली चुनौती दे डाली कि वो वायनाड छोड़कर हैदराबाद आएं और उनके सामने चुनाव लड़ें. ओवैसी ने कहा कि राहुल गांधी को यहां आकर उनसे ‘पंजा’ लड़ाना चाहिए. ओवैसी के इस भाषण की एक झलक को यहां नीचे देखा जा सकता है.
VIDEO | "I challenge Congress leader (Rahul Gandhi) to contest elections from Hyderabad, and not Wayanad. Come here and fight against me," said AIMIM chief @asadowaisi while addressing Jalsa-e-Rahmatal-lil-Alameen at Darussalam, Hyderabad yesterday. pic.twitter.com/pEZxswyt15
— Press Trust of India (@PTI_News) September 25, 2023
अब सवाल यह है कि आखिर ओवैसी हैदराबाद में अपनी जीत को लेकर इतने आश्वस्त क्यों हैं? आखिर राहुल गांधी को चैलेंज करने के पीछे ओवैसी के कॉन्फिडेंस का आधार क्या है? चलिए इसको समझते हैं.
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क्या है हैदराबाद सीट की सियासत
आपको बता दें कि हैदराबाद सीट ओवैसी के लिए खानदानी सीट जैसी हो गई है. इसे समझने के लिए हमें हैदराबाद लोकसभा सीट के सियासी इतिहास पर नजर डालनी होगी. हैदराबाद लोकसभा सीट का 6 बार परिसीमन हो चुका है. 1952 से लेकर 1967 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. 1971 में तेलंगाना प्रजा समिति को यहां जीत मिली. 1977 और 1980 के चुनावों में कांग्रेस ने यहां फिर जीत हासिल की, उसके बाद से यह सीट ओवैसी खानदान के पास ही रही है.
पहले पिता और अब खुद, हैदराबाद सीट पर ओवैसी के सामने कोई नहीं टिकता
असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाउद्दीन ओवैसी ने पहली बार 1984 में हैदराबाद सीट से निर्दलीय चुनाव जीता. इससे पहले वह 6 बार अलग-अलग विधानसभाओं से विधायक रह चुके थे. इसके बाद वह 6 बार 2004 तक सांसद रहे. उनकी विरासत को संभालते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने तब से लेकर आज तक उस सीट पर अपना दबदबा बनाए हुआ है और लगातार जीत कर संसद जा रहे हैं. 2014 मे जब देश मे मोदी लहर चल रही थी तब ओवैसी दो लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे. वहीं 2019 में यह अंतर और बढ़कर दो लाख अस्सी हजार तक हो गया.
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क्या इस कॉन्फिडेंस के पीछे है मुस्लिम वोटर?
हैदराबाद लोकसभा सीट की धार्मिक संरचना भी ऐसी है, जो कहीं न कहीं ओवैसी के लिए फायदेमंद साबित होती है. यहां हिन्दू आबादी 51% और मुस्लिम आबादी करीब 43% है. मुस्लिम मतदाता हमेशा से ही निर्णायक भूमिका निभाते रहे हैं. चुनावों में भाजपा, टीआरस और कांग्रेस आपस में लड़ते हैं और AIMIM के ओवैसी एकतरफा मुकाबला जीतते हैं.
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