नवीन पटनायक को झटका दे राज्यसभा सांसद ममता मोहंता ने थामा बीजेपी का हाथ, BJD की बढ़ी मुश्किलें
Odisha News: ममता मोहंता के इस्तीफे का मतलब ओडिशा की राज्यसभा की सीट पर उपचुनाव होगा. क्या पता बीजेपी ममता मोहंता को ही उपचुनाव लड़वाकर वापस राज्यसभा भेज दे. ऐसा हो या न हो, ममता मोहंता के इस्तीफे से खाली एक सीट बीजेपी के पक्ष में ही जानी है.
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BJD Rajya Sabha MP Joined BJP: नवीन पटनायक पांच बार ओडिशा के सीएम रहे. वे CM बनने का सिक्सर नहीं लगा पाए. हालांकि वो जब तक सीएम रहे, बीजेपी से दोस्ताना बनाए रखा. 2024 में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद नींद टूटी तो देखा कि पार्टी में ही सेंधमारी चल रही है. तब जाकर उन्होंने बीजेपी के विरोध की लाइन पर चलना शुरू किया. उन्होंने ऐलान किया कि संसद में बीजेडी मोदी सरकार का विरोध करेगी.
वैसे मामला यहां तक शांत नहीं हुआ. इसके बाद नया कांड शुरू हो गया. बीजेपी का विरोध शुरू करते ही बची-खुची पार्टी भी निपटने लगी है. लोकसभा में तो बीजेडी का कोई सांसद जीतकर आया नहीं, राज्यसभा में जो 9 सांसद थे उनमें ही बगावत हो गई. सीनियर पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद ममता मोहंता ने पहले राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और 24 घंटे के अंदर बीजेपी का पटका धारण कर लिया. ये कहते हुए बीजेडी छोड़ी कि वहां उपेक्षा हो रही थी. लगने लगा कि पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है. किसी साजिश के तहत नहीं, मोदी के सेवा भाव को देखकर बीजेपी में आई हैं.
मयूरभंज की ममता मोहंता को बीजेडी छोड़कर बीजेपी की मदद करने का जुनून सवार था. 2020 में नवीन पटनायक ने राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा था. 2026 तक ममता को सांसद रहना था. उन्होंने 18 महीने पहले संसद सदस्यता ठुकराकर बीजेपी की साधारण कार्यकर्ता बनना पसंद किया. बीजेडी ने आरोप लगाया कि ये सब बीजेपी की साजिश के तहत हुआ है.
नवीन पटनायक की करीबी रही है ममता मोहंता
करीब 12 साल पहले ममता मोहंता को नवीन पटनायक की बड़ी उम्मीद से पार्टी में लाए थे. आदिवासी बहुल मयूरभंज में बीजेडी का सिक्का कमजोर था. ममता इलाके में सेल्फ हेल्प सर्विस किया करती थी. पहले सरकार की महिला कल्याण की मिशन शक्ति योजना के साथ जुड़ीं. फिर बीजेडी ज्वाइन कर मयूरभंज में महिला विंग की अध्यक्ष और जिला परिषद सदस्य बनीं. 2019 के चुनाव में मयूरभंज की 9 में से 6 सीटों पर बीजेडी की हार हुई तो उन्होंने ममता को पार्टी का चेहरा बनाया. उसी मकसद राज्यसभा में भेजा लेकिन ममता से पार्टी को फायदा नहीं हुआ. लोकसभा-विधानसभा चुनावों में फिर मयूरभंज हार गई बीजेडी. अब तो ममता ही पार्टी से चली गईं.
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उपचुनाव में बीजेपी मार लेगी बाजी
ओडिशा से राज्यसभा में 10 सांसद चुनकर आते हैं. बीजेपी के पास इतना भी बहुमत नहीं था कि एक भी सांसद जीत सके. नवीन पटनायक ने जेंटलमैन पॉलिटिक्स की. रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को बीजेडी के समर्थन से बीजेपी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनवा दिया. बीजेडी के 9 सांसद थे. ममता मोहंता के इस्तीफे के बाद 8 रह जाएंगे. ये 8 भी कब तक रहेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है. जिस तरह से बीजेपी ने ममता मोहंता को पार्टी में लाकर बीजेडी को झटका दिया वैसा वैसा आगे भी होगा, इसकी अटकलें लग रही हैं.
ममता मोहंता के इस्तीफे का मतलब ओडिशा की राज्यसभा की सीट पर उपचुनाव होगा. क्या पता बीजेपी ममता मोहंता को ही उपचुनाव लड़वाकर वापस राज्यसभा भेज दे. ऐसा हो या न हो, ममता मोहंता के इस्तीफे से खाली एक सीट बीजेपी के पक्ष में ही जानी है. बीजेडी के पास विधानसभा में अब बीजेपी से कम विधायक हैं. एक सीट पर उपचुनाव हुआ तो बीजेडी उम्मीदवार ही जीतेगा.
राज्यसभा में नहीं है बीजेपी का बहुमत
राज्यसभा में बहुमत बीजेपी की पुरानी समस्या है. अभी भी राज्यसभा में मोदी सरकार के पास बहुमत नहीं है. इससे सरकार नहीं गिरती लेकिन फिजूल में बिल पास कराने के लिए समर्थन जुटाने के लिए हाथ-पैर मारने पड़ते हैं. 245 सदस्यों की राज्यसभा में फिलहाल 225 सांसद हैं. बीजेपी के अपने 86 और एनडीए सांसदों को मिलाकर नंबर पहुंचता है 101 जो बहुमत के 113 के नंबर से कम है. ओडिशा में बीजेपी ने 78 सीटें जीतकर सरकार बनाई है. बीजेडी के पास 51 और कांग्रेस के पास 14 सीटें हैं. तीन सीटों पर निर्दलीय और एक सीपीएम की जीत हुई. कांग्रेस के पास ज्यादा कुछ खोने के लिए है नहीं. बीजेपी बीजेडी से सिर्फ 27 सीटें जीतकर सरकार में आई है. जब तक बीजेडी मजबूत रहेगी, बीजेपी के लिए खतरा बना रहेगा.