चेन्नई में लग रही वीपी सिंह की प्रतिमा, अभी क्यों याद आया सियासत का ये ‘फकीर’?

अभिषेक

ADVERTISEMENT

VP Singh
VP Singh
social share
google news

VP Singh: आज तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है. कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने इसका स्वागत किया है. तमिलनाडु सरकार के इस कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे. वीपी सिंह ने 1990 में मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू किया था. इससे देश में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) को 27 फीसदी का आरक्षण मिला.

कहानी वीपी सिंह की

विश्वनाथ प्रताप सिंह (वीपी सिंह) देश के 8वें प्रधानमंत्री थे. वैसे इनकी सरकार एक साल से भी कम समय तक चली, लेकिन इसी दौरान उन्होंने ऐसे फैसले लिए जिसे आज भी राष्ट्रीय पटल पर सराहा जाता है. PM बनने से पहले वे देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे. उनका जन्म 25 जून 1931 को इलाहाबाद के एक राजपूत परिवार में हुआ था. उन्हें देश में पिछड़ी जातियों के उद्धारक के रूप में जाना जाता है. 27 नवंबर 2008 में वीपी सिंह की मौत हो गई.

VP Singh
VP SINGH COMING OUT OF PARLIAMENT

क्या है मंडल कमीशन जिसे वीपी सिंह ने लागू किया

देश में सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) की पहचान करने और उनके स्थिति सुधारने के लिए केंद्र की जनता पार्टी सरकार ने 1979 में बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया था. इसे मंडल आयोग के नाम से ख्याति मिली. बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल पहले कांग्रेस में थे, बाद में जनता पार्टी में शामिल हुए. वह बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके थे. मंडल कमीशन ने 31 दिसंबर 1980 को रिपोर्ट सौंपी थी और तबतक जनता पार्टी की सरकार गिर चुकी थी. इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के कार्यकाल में ये रिपोर्ट ठंडे बस्ते में रही. 7 अगस्त 1990 को तत्कालीन पीएम वीपी सिंह ने इसे स्वीकार करने का ऐलान किया था.

ADVERTISEMENT

VP Singh Mandal Rath
VP Singh on Mandal Rath

आयोग की रिपोर्ट में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण की बात थी जिसे वीपी सिंह ने लागू कर दिया. इससे ओबीसी को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण मिला. पिछड़े समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दशा-दिशा पूरी तरह से बदल गई. वीपी सिंह के इस फैसले पर पिछड़े समुदाय ने उनके लिए एक नारा दिया ‘राजा नहीं फकीर है, देश की तकदीर है’, जो काफी प्रचलित हुआ.

अभी क्यों याद आए वीपी सिंह?

मंडल कमीशन के बाद देश में पिछड़े नेतृत्व वाले क्षेत्रीय दलों की राजनीति मजबूत हुई. उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव और बिहार में लालू प्रसाद, शरद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से राष्ट्रीय दलों को पछाड़ दिया. बाद में इसकी काट के लिए बीजेपी ने राम मंदिर की सियासत को धार दिया. इसे मंडल बनाम कमंडल की लड़ाई कहा जाता है. इस वक्त प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने कांग्रेस सहित क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर रखा है. जातिगत जनगणना और ओबीसी की हिस्सेदारी जैसी मांगों के जरिए विपक्ष एक बार फिर से मंडल की राजनीति को धार देने की कोशिश कर रहा है.

ADVERTISEMENT

VP Singh
VP Singh with Mulayam Singh Yadav

वीपी सिंह की प्रतिमा का अनावरण उस दौर में किया जा रहा है जब देश में ओबीसी की जनगणना और उनकी हिस्सेदारी के आधार पर भागीदारी की बात जोर-शोर से हो रही है. कांग्रेस के नेतृत्व में बनी इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) में शामिल लगभग सभी दल इसे लेकर सुर में सुर मिलाए हुए हैं.

ADVERTISEMENT

बिहार की नीतीश सरकार ने पिछले दिनों जातिगत और आर्थिक सर्वे के आधार पर प्रदेश में आरक्षण को बढ़ाकर 75 फीसदी कर दिया. सर्वे में पता चला कि बिहार में ओबीसी की जनसंख्या 63 फीसदी से ज्यादा है. इन आंकड़ों के आने के बाद से ही कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने आबादी के आधार पर भागीदारी की बात करनी शुरू कर दी. अभी पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं. मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में वोटिंग हो चुकी है. तेलंगाना, मिजोरम में बाकी है. कांग्रेस ने जातिगत सर्वे को चुनावी मुद्दा बनाते हुए राज्यों में अपनी सरकार बनने पर इसे कराने की घोषणा तक कर दी है.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT