बीजेपी ने राहुल गांधी के सामने वायनाड से के सुरेंद्रन को उतारा, जानिए कौन हैं ये?

News Tak Desk

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Election bribery case against K. Surendran
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Rahul Gandhi news: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए रविवार को 111 कैंडिडेट्स की अपनी पांचवीं सूची जारी की. इसमें 17 अलग-अलग राज्यों में प्रत्याशियों का ऐलान किया गया. बीजेपी ने केरल की बची चार सीटों के लिए भी टिकट बांट दिए हैं. केरल में बीजेपी 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उसकी सहयोगी बीडीजेएस राज्य में चार सीट पर चुनाव लड़ेगी. इस बीच बीजेपी ने केरल की वायनाड सीट से भी राहुल गांधी के खिलाफ एक मजबूत चेहरा उतारने की कोशिश की है. यहां से के सुरेंद्रन को टिकट दिया गया है.

कौन हैं के सुरेंद्रन? 

के सुरेंद्रन केरल बीजेपी के 11वें प्रदेश अध्यक्ष हैं. वह केरल के कोझिकोड से आते हैं. के सुरेंद्रन केमिस्ट्री से बीएससी हैं. उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. अक्टूबर 2009 में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के अध्यक्ष के तौर पर के सुरेंद्र केरल में बेरोजगारी के खिलाफ मार्च निकालकर चर्चा में आए थे. बीजेपी ने सुरेंद्रन को 2019 के लोकसभा चुनाव में केरल की पथानामथिट्टा सीट से उम्मीदवार बनाया था. तब इस सीट पर कांग्रेस के एंटो एंटोनी को जीत मिली थी. सीपीएम कैंडिडेट दूसरे नंबर पर थे, जबकि सुरेंद्रन तीसरे स्थान पर थे. 

बीजेपी ने बाद में 15 फरवरी 2020 को के सुरेंद्रन को केरल का प्रदेश अध्यक्ष बनाया. अब उन्हें राहुल गांधी के खिलाफ वायनाड से उतारा गया है. राहुल गांधी को घेरने के लिए माकपा ने यहां से डी राजा की पत्नी एनी राजा को मैदान में उतारा है. 

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2019 में राहुल गांधी ने हासिल की थी बड़ी जीत

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी यूपी की अमेठी और केरल की वायनाड सीट से उतरे थे. राहुल गांधी को अमेठी में स्मृति ईरानी के खिलाफ मुकाबले में हार मिली थी. पर वायनाड की सीट से राहुल गांधी ने बड़ी जीत हासिल की थी. राहुल गांधी को यहां हुई वोटिंग का करीब 65 फीसदी वोट मिला था. राहुल को 7 लाख 6 हजार 367 वोट मिले थे. वहीं सीपीआई कैंडिडेट पीपी सुनीर को सिर्फ 2 लाख 74 हजार 597 वोट मिले थे. 

बीजेपी केरल में जिस BDJS के साथ गठबंधन में है उनके कैंडिडेट तुषार वेल्लापल्ली को सिर्फ 78 हजार 816 वोट मिले थे. इस बार बीजेपी ने यहां से अपने प्रदेश अध्यक्ष को उतारकर केरल में संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के बीच होने वाले द्विध्रुवीय संघर्ष को त्रिकोणीय मुकाबला बनाने की कोशिश की है. 

यह सीट कांग्रेस के गढ़ के रूप में जानी जाती रही है. कांग्रेस ने यहां से पहले ही राहुल गांधी की उम्मीदवारी का ऐलान कर दिया है. अब यह देखना रोचक होगा कि राहुल गांधी के लिए यह मुकाबला 2019 के चुनाव की तरह एकतरफा होता है या वो त्रिकोणीय संघर्ष में फंसते हैं. 

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