राजस्थान, MP, छत्तीसगढ़ में कौन बनेगा मुख्यमंत्री? गेम अब हुआ ऑन! BJP ने इन नेताओं को लगाया
पांच राज्यों के विधानसभा नतीजे आने के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत ने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाकर रखा है. पर इन राज्यों के बीजेपी क्षत्रपों की रातों की नींद शायद उड़ रखी है.
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कौन बनेगा मुख्यमंत्रीः पांच राज्यों के विधानसभा नतीजे आने के बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत ने कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाकर रखा है. पर इन राज्यों के बीजेपी क्षत्रपों की रातों की नींद शायद उड़ रखी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इन राज्यों में बीजेपी किसे मुख्यमंत्री बनाएगी, अबतक ये साफ नहीं हुआ है. 3 दिसंबर को इन राज्यों के चुनावी नतीजे आने के बाद अटकलों का दौर जारी है.
राजस्थान में वसुंधरा राजे CM बनेंगी या नहीं, मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान का क्या होगा? ये फिलहाल के दो सबसे बड़े सियासी सवाल हैं.
वसुंधरा राजे तो दिल्ली आकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिल भी चुकी हैं. इस बीच बीजेपी ने इन राज्यों के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर दी है. बताया जा रहा है कि रविवार, 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक भी हो सकती है. मध्य प्रदेश में 10 दिसंबर को विधायक दल की बैठक की पुष्टि हो गई है.
BJP ने पर्यवेक्षक के रूप में किन नेताओं को लगाया?
राजस्थान के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय और राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े को पर्यवेक्षक बनाया गया है. मध्य प्रदेश के लिए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर, ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा को पर्यवेक्षक बनाया गया है. छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीन जनजातीय मंत्री अजुर्न मुंडा, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम पर्यवेक्षक बनाए गए हैं.
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क्या करेंगे ये पर्यवेक्षक: इन तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री पद को लेकर कई दिग्गज रेस में हैं. ये पर्यवेक्षक इन प्रदेशों के विधायक दल की बैठक में विधायकों की राय लेंगे. फिर जो नाम सामने आएगा, उसपर बीजेपी आलाकमान की मुहर लगेगी. ऐसी संभावना है कि रविवार को विधायक दल के नेता (जो सीएम बनेंगे) के नामों का ऐलान हो सकता है.
सूत्रों की मानें तो बीजेपी मध्यप्रदेश के लिए किसी ओबीसी चेहरे की तलाश में है. वैसे शिवराज सिंह चौहान भी ओबीसी ही हैं. पर न्यूज एजेंसी ने पिछले दिनों सूत्रों के हवाले से ऐसी खबर दी कि रिकॉर्ड चुनाव जीतने के बावजूद शिवराज तक की दावेदारी पर सवाल हैं. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सूत्रों ने यह जानकारी दी है कि बीजेपी इन राज्यों में मुख्यमंत्री के लिए नए चेहरे दे सकती है.
ऐसा भी कहा जा रहा है कि बीजेपी को किसी नए ओबीसी चेहरे की तलाश है. इसमें प्रह्लाह सिंह पटेल के नाम की भी चर्चा है. इसी तरह नरेंद्र सिंह तोमर का नाम भी रेस में बताया जा रहा है. इसके अलावा बीजेपी इसबार मध्यप्रदेश में उप-मुख्यमंत्री के नाम पर भी विचार कर रही है.
वसुंधरा और शिवराज की दावेदारी में कितना दम?
सबसे पहले बात वसुंधरा की करते हैं.
चुनावी नतीजे आने के बाद ऐसी खबरें आईं कि वसुंधरा खेमे ने जीतकर आए बीजेपी विधायकों से संपर्क साधा. वसुंधरा राजे इस बीच गुरुवार को दिल्ली भी पहुंचीं और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. करीब 1 घंटे 20 मिनट दोनों के बीच चर्चा चली. इस मीटिंग के बाद जेपी नड्डा ने गृह मंत्री अमित शाह से मिलने गए. इन सारी कवायदों का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि वसुंधरा भी सीएम पद की दावेदारी छोड़ नहीं रही हैं. राजस्थान में सीएम फेस की रेस में कई नाम शामिल हैं. इनमें वसुंधरा के अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत, बालकनाथ योगी, अश्विनी वैष्णव, अर्जुनराम मेघवाल, दीया कुमारी के नाम शामिल हैं.
शिवराज की दावेदारी
उधर एमपी में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर शिवराज सिंह चौहान कह चुके हैं कि वह रेस में नहीं है. पार्टी के अन्य नेताओं की तरह वह दिल्ली आलाकमान से मिलने भी नहीं पहुंचे. इसके बजाय वह मध्यप्रदेश में लाड़ली बहनाओं और आदिवासियों के बीच लगातार सक्रिय हैं. वह कह चुके हैं कि उनका ध्यान मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटों पर है. उन्होंने इसकी शुरुआत कमलनाथ के क्षेत्र छिंदवाड़ा से की जो 2019 में कांग्रेस द्वारा जीती गई एकमात्र लोकसभा सीट थी.
ऐसा कहा जा रहा है कि लाड़ली बहनाओं के बीच जाना शिवराज की पोलिटिकल मैसेजिंग है जिससे अप्रत्यक्ष तौर पर सेंटर को यह संदेश दे रहे हैं कि यह जीत लाड़ली बहनाओं की है यानी शिवराज की है.
दूसरा तमाम नेताओं की तरह दिल्ली न भागकर मध्यप्रदेश में लोकसभा की तैयारियों के लिए छिंदवाड़ा जाना बताता है कि वह शिवराज ही हैं जो लोकसभा की सभी 29 सीटें बीजेपी की झोली में डाल सकते हैं. तीसरा विधानसभा चुनावों में नॉन-स्टॉप 160 रैलियां. यह सीधा संदेश देता है कि 64 वर्षीय शिवराज को उम्र की वजह से नकारा नहीं जा सकता. पर इस बीच कैलाश विजयवर्गीय के बयान की भी खूब चर्चा है. एमपी के मुख्यमंत्री के सवाल पर कैलाश विजयवर्गीय कह चुके हैं कि 10 दिसंबर को सब साफ हो जाएगा. विजयवर्गीय भी उन नेताओं में शामिल बताए जा रहे हैं जो मुख्यमंत्री की दौड़ में हैं.