सिद्धू को लेकर पंजाब कांग्रेस में क्यों मचा बवाल, क्या पार्टी से निकाले जाएंगे? जानिए इनसाइड स्टोरी

रूपक प्रियदर्शी

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Navjot Singh Sidhu
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Navjot Singh Sidhu: राजनीति में आने से पहले भी नवजोत सिंह सिद्धू का कद बड़ा था. उसी की बदौलत सिद्धू ने राजनीति में भी खूब सीढ़ियां चढ़ीं, लेकिन अब हालात ऐसी हैं कि वो कहीं हैं नहीं. पंजाब में कांग्रेस के निपटने का भी ठीकरा उनके ही सिर फोड़ा जाता है. एक बार फिर पंजाब कांग्रेस में ऐसे हालात बने हैं कि, सिद्धू को पार्टी से निकालने की मांग शुरू हो गई है. लुधियाना से कांग्रेस सांसद रवनीत बिट्टू ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बिट्टू ने पार्टी हाईकमान से मांग की है कि 10 दिन में सिद्धू को बाहर करो या हमें करो.

वैसे वर्तमान में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में किसी पद पर नहीं हैं. हाईकमान से कोई जिम्मेदारी नहीं मिली हुई है फिर भी वे बिना पंजाब कांग्रेस को भरोसे में लिए ही रैलियां कर रहे हैं, राजनीतिक कार्यक्रम कर रहे हैं. सिद्धू कह रहे हैं कि, वे पंजाब में कांग्रेस की नींव को मजबूत कर रहे हैं. हालांकि पंजाब कांग्रेस के नेताओं को ये नागवार गुजर रहा है.

2022 में भी हुई थी खींचतान

राजनीति के इसी तरीके ने पंजाब कांग्रेस में सिद्धू के खिलाफ बगावत की चिंगारी भड़की है. कांग्रेस हाईकमान के सामने सिद्धू को लेकर संकट एकबार फिर खड़ा हुआ है. ऐसा ही संकट 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले खड़ा हुआ था. तब कैप्टन अमरिंदर सिंह औऱ नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़े में हाईकमान ने सिद्धू की साइड लेकर कैप्टन को पार्टी से जाने के लिए मजबूर किया था. आज सिद्धू कांग्रेस में साइडलाइन हैं और कैप्टन अमरिंदर बीजेपी में पिछली पंक्ति में कहीं बैठे हैं.

मुख्यमंत्रियों के खिलाफ बगावती रहें हैं सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू के निशाने पर पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह थे. फिर चरणजीत सिंह चन्नी आए. अब कांग्रेस की अलायंस पार्टनर आप सरकार के सीएम भगवंत मान हैं. कांग्रेस-आप में अलायंस की चर्चाओं के बीच सिद्धू ने भगवंत मान सरकार के खिलाफ अवैध माइनिंग केस में एनजीटी से शिकायत कर दी. एनजीटी ने एक्शन भी ले लिया है. सिद्धू के इस एक्शन से बेवजह कांग्रेस-आप में तनातनी बढ़ी है जो हाईकमान के लिए नई सिरदर्दी है.

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अब जान लीजिए कौन हैं नवजोत सिंह सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू टीम इंडिया के शानदार क्रिकेटर रहे. क्रिकेट से रिटायर हुए तो टीवी शोज करके हिट हुए. सिद्धू के स्टारडम में फायदा सबसे पहले अटल-आडवाणी के दौर वाली बीजेपी ने देखा. 2004 में पार्टी में लाकर बीजेपी ने उनको चुनाव लड़वाया. पार्टी ने सिद्धू की भीड़ जुटाने की काबिलियत का भरपूर इस्तेमाल किया. सिद्धू 2004, 2007 औऱ 2009 के लोकसभा चुनावों में अमृतसर से बीजेपी सांसद बने. उनकी राजनीति में यूटर्न तब आया जब 2014 में उनको अमृतसर से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला. तब बीजेपी ने अरुण जेटली को अमृतसर से लड़ाया था. हालांकि अरुण जेटली कैप्टन अमरिंदर सिंह से हारकर भी बीजेपी में बड़ी पोजिशन पर रहे लेकिन सिद्धू का कद घटता रहा. तभी से नवजोत सिंह सिद्धू की बेचैन शुरू हो गई.

सिद्धू का पॉलिटिकल करियर

अपनी राजनैतिक पार्टी भी बना चुके हैं सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू को बीजेपी जाने नहीं देना चाहती थी. कहीं आम आदमी पार्टी में न चले जाएं इसलिए राज्यसभा सांसद बना दिया लेकिन सिद्धू का मन नहीं माना. 3 महीने में राज्यसभा की संसद सदस्यता, बीजेपी- सब छोड़छाड़ कर अपनी राजनीति करने चल पड़े. हॉकी स्टार परगट सिंह के साथ उन्होंने आवाज-ए-पंजाब नाम की पार्टी बनाई लेकिन वो आइडिया भी फ्लॉप हुआ तो सिद्धू कांग्रेस में आ गए.

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हाई कमान से नजदीकियों का सिद्धू को हमेशा मिला फायदा

जब सिद्धू कांग्रेस में आए तब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के सर्वेसर्वा थे. मोदी लहर के बाद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में सरकार बनाने का कमाल किया. चुनाव जीतकर सिद्धू, अमरिंदर सिंह की सरकार में पर्यटन मंत्री बने लेकिन सिद्धू को कैप्टन के अंडर में काम करना जमा नहीं. तकरार इतनी बढ़ी कि कैप्टन ने सिद्धू को कैबिनेट निकाल दिया लेकिन सोनिया, राहुल, प्रियंका तक पहुंच की बदौलत सिद्धू कैप्टन को हराने में कामयाब रहे. कहा जाता है कि कांग्रेस हाईकमान की इसी गलती से पंजाब कांग्रेस के हाथ से निकल गया.

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अब एकबार फिर लोकसभा चुनाव से पहले सिद्धू के चलते कांग्रेस में कलह है. सिद्धू के चलते कैप्टन जैसा भारी-भरकम नेता भी कांग्रेस से चला गया और पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष रहते सिदूध विधानसभा चुनाव का चुनाव भी नहीं जीता सके. कांग्रेस हाईकमान के सामने फिर धर्मसंकट है.

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